गर्भपात की दवाओं पर सख्ती: स्वास्थ्य विभाग का बड़ा कदम
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने गर्भपात में उपयोग की जाने वाली दवाओं—मिसोप्रोस्टोल और मिफिप्रिस्टोन—की अनियमित बिक्री पर रोक लगाने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। अब इन दवाओं की बिक्री केवल डॉक्टर की मान्यता प्राप्त पर्ची पर ही की जा सकेगी। यह निर्णय महिलाओं के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने और दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है।
🧬 क्या हैं मिसोप्रोस्टोल और मिफिप्रिस्टोन?
- मिसोप्रोस्टोल: गर्भाशय में संकुचन उत्पन्न करता है जिससे गर्भपात संभव होता है।
- मिफिप्रिस्टोन: प्रोजेस्टेरोन हार्मोन को ब्लॉक करता है, जिससे गर्भावस्था का विकास रुक जाता है।
इन दोनों दवाओं का संयोजन मेडिकल गर्भपात के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन बिना चिकित्सकीय निगरानी के इनका प्रयोग गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है।
🚨 बैठक में क्या हुआ? स्वास्थ्य अधिकारियों की चेतावनी
तीन ब्लॉकों के फार्मासिस्टों की बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शोभा पटेल ने स्पष्ट निर्देश दिए कि:
- मिसोप्रोस्टोल, मिफिप्रिस्टोन और एविल जैसी दवाएं बिना डॉक्टर की पर्ची के नहीं बेची जाएं।
- इन दवाओं का दुरुपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे महिलाओं की जान को खतरा है।
- एविल का उपयोग युवा वर्ग नशे के रूप में कर रहा है, जो चिंताजनक है।
🔍 औचक निरीक्षण में सामने आईं गंभीर खामियां
जिला खाद्य एवं औषधि निरीक्षक दिलीप अग्रवाल ने बताया कि हाल ही में जिले के 28 मेडिकल स्टोर्स का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण में निम्नलिखित समस्याएं सामने आईं:
- 12 मेडिकल स्टोर्स पर फार्मासिस्ट मौजूद नहीं थे।
- दवाओं की खरीद-बिक्री का रिकॉर्ड अधूरा पाया गया।
- कई स्टोर्स पर गर्भपात की दवाएं बिना पर्ची के उपलब्ध थीं।
इन सभी 12 मेडिकल स्टोर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
🏥 नोटिस पाने वाले मेडिकल स्टोर्स की सूची
स्वास्थ्य विभाग ने जिन मेडिकल स्टोर्स को नोटिस जारी किया है, उनमें शामिल हैं:
- भाग्यश्री मेडिकल (ब्यावरा)
- शीला मेडिकल, सुलभ मेडिकल (सारंगपुर)
- गायत्री मेडिकल, आयुष्मान मेडिकल (तलेन)
- गोविंद मेडिकल (खुजनेर)
- धनवंतरी मेडिकल, बालाजी मेडिकल, गोस्वामी मेडिकल, शेख मेडिकल (छापीहेड़ा)
- अभय फार्म एजेंसी और मेडिकल स्टोर
यदि इन स्टोर्स का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो लाइसेंस निलंबन या निरस्तीकरण की कार्रवाई की जा सकती है।
📊 दवाओं के दुरुपयोग के खतरे
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भपात की दवाओं का बिना चिकित्सकीय सलाह के उपयोग निम्नलिखित जोखिम उत्पन्न कर सकता है:
- अत्यधिक रक्तस्राव
- अधूरा गर्भपात
- संक्रमण
- भविष्य की गर्भधारण क्षमता पर असर
📘 कानून क्या कहता है?
भारत में Medical Termination of Pregnancy (MTP) Act, 1971 के तहत गर्भपात की दवाओं की बिक्री केवल डॉक्टर की निगरानी में ही की जा सकती है। बिना पर्ची के इन दवाओं की बिक्री अवैध मानी जाती है।
🧠 जनजागरूकता की आवश्यकता
स्वास्थ्य विभाग ने आम जनता से अपील की है कि:
- गर्भपात की दवाएं केवल डॉक्टर की सलाह पर ही लें।
- मेडिकल स्टोर्स से दवा खरीदते समय पर्ची दिखाना अनिवार्य करें।
- दवाओं के दुरुपयोग की जानकारी मिलने पर तुरंत स्वास्थ्य विभाग को सूचित करें।
❓ FAQs
Q1. क्या मिसोप्रोस्टोल और मिफिप्रिस्टोन OTC दवाएं हैं?
नहीं, ये दवाएं केवल डॉक्टर की पर्ची पर ही दी जा सकती हैं।
Q2. क्या बिना पर्ची के दवा खरीदना गैरकानूनी है?
हां, MTP Act के तहत यह अवैध है।
Q3. क्या इन दवाओं से स्वास्थ्य पर असर पड़ता है?
बिना निगरानी के उपयोग से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं।
Q4. क्या मेडिकल स्टोर्स पर निगरानी बढ़ाई गई है?
हां, औचक निरीक्षण और नोटिस जारी किए गए हैं।
🔚 निष्कर्ष
मध्य प्रदेश में गर्भपात की दवाओं की अनियमित बिक्री पर रोक लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सख्त कदम उठाए हैं। 12 मेडिकल स्टोर्स को नोटिस जारी कर यह स्पष्ट कर दिया गया है कि अब बिना डॉक्टर की पर्ची के ऐसी दवाएं नहीं बेची जाएंगी। यह कार्रवाई महिलाओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा और दवाओं के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
External Source: Patrika Report
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