एक 28 वर्षीय महिला की मदद की गुहार पर पहुंचे दो पुलिसकर्मियों ने भरोसे को तोड़ते हुए उसके साथ दुष्कर्म किया। यह घटना आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में सामने आई है, जिसने राज्यभर में कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
🚨 घटना की शुरुआत: मदद मांगने गई महिला बनी शिकार
चित्तूर जिले के पुंगनूर पुलिस स्टेशन क्षेत्र में एक महिला, जो तीन बच्चों की मां है, ने जब सहायता के लिए पुलिस का रुख किया, तब उसे नशीला पदार्थ पिलाकर उसके साथ कथित तौर पर कई बार दुष्कर्म किया गया।
- पीड़िता ने आरोप लगाया कि कांस्टेबल उमाशंकर और होमगार्ड किरण कुमार ने उसे नशीला पेय पिलाया।
- इसके बाद दोनों ने उसके साथ बलात्कार किया और बच्चों को जान से मारने की धमकी दी।
- होमगार्ड द्वारा बार-बार फोन कर परेशान करने की बात भी सामने आई।
🕵️♂️ पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी
पीड़िता ने कई थानों में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन दो सप्ताह तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः जब उसने मीडिया के सामने न्याय की गुहार लगाई, तब बंगारुपलयम पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया।
👮 गिरफ्तार आरोपी:
- कांस्टेबल उमाशंकर – पुंगनूर पुलिस स्टेशन में तैनात
- होमगार्ड किरण कुमार – स्थानीय सुरक्षा ड्यूटी पर कार्यरत
पालमनेर के पुलिस उपाधीक्षक देगाला प्रभाकर ने पुष्टि की कि दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले की जांच जारी है।
📊 राज्य में यौन अपराधों की स्थिति
आंध्र प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में हाल के वर्षों में वृद्धि देखी गई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार:
- 2023 में राज्य में महिलाओं के खिलाफ 4,500 से अधिक मामले दर्ज हुए।
- इनमें से 1,200 से अधिक मामले यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म से संबंधित थे।
- ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस की जवाबदेही को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं।
🧠 सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव
इस तरह की घटनाएं न केवल पीड़िता के जीवन को प्रभावित करती हैं, बल्कि समाज में पुलिस के प्रति विश्वास को भी कमजोर करती हैं।
🔍 विशेषज्ञों की राय:
- मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसे मामलों में पीड़िता को दीर्घकालिक मानसिक आघात का सामना करना पड़ता है।
- सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि पुलिसकर्मियों द्वारा किए गए अपराधों में सख्त सजा और त्वरित न्याय आवश्यक है।
📅 पुरानी घटनाओं की पुनरावृत्ति
यह मामला कोई पहली बार नहीं है जब आंध्र प्रदेश में पुलिसकर्मियों पर यौन अपराध का आरोप लगा हो।
📌 उदाहरण:
- 2024 में श्री सत्य साईं जिले के हिंदुपुर क्षेत्र में एक 8 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया था।
- आरोपी गंगाधर को 2025 में पॉक्सो स्पेशल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी, साथ ही 5 साल की कठोर कारावास और ₹10,000 का जुर्माना भी लगाया गया था।
📢 न्याय की गुहार और मीडिया की भूमिका
पीड़िता ने जब पुलिस से न्याय नहीं मिला, तब उसने मीडिया के सामने अपनी बात रखी। इसके बाद ही पुलिस ने मामला दर्ज किया और कार्रवाई शुरू की।
📌 मीडिया की भूमिका:
- पीड़िता की अपील को प्रमुख समाचार चैनलों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने उठाया।
- सोशल मीडिया पर #JusticeForChittoorVictim ट्रेंड करने लगा।
📚 कानूनी धाराएं और संभावित सजा
इस मामले में भारतीय दंड संहिता की निम्नलिखित धाराएं लगाई गई हैं:
- धारा 376 – बलात्कार
- धारा 506 – धमकी देना
- धारा 328 – नशीला पदार्थ देकर अपराध करना
यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो दोनों आरोपियों को 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
📈 पुलिस सुधार की आवश्यकता
इस घटना ने एक बार फिर पुलिस सुधार की मांग को बल दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिसकर्मियों की मनोवैज्ञानिक जांच, प्रशिक्षण और जवाबदेही सुनिश्चित करना आवश्यक है।
✅ सुझाव:
- पुलिसकर्मियों की नियमित मानसिक स्वास्थ्य जांच
- महिला शिकायतों के लिए अलग सेल की स्थापना
- शिकायतों की ऑनलाइन ट्रैकिंग प्रणाली
❓ FAQs
Q1: चित्तूर दुष्कर्म मामले में कौन-कौन आरोपी हैं? A1: कांस्टेबल उमाशंकर और होमगार्ड किरण कुमार को आरोपी बनाया गया है।
Q2: पीड़िता ने कब और कैसे शिकायत दर्ज कराई? A2: दो सप्ताह तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, बाद में मीडिया में अपील के बाद मामला दर्ज हुआ।
Q3: इस मामले में कौन-कौन सी IPC धाराएं लगाई गई हैं? A3: IPC की धारा 376, 506 और 328 लगाई गई हैं।
Q4: क्या आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं? A4: हां, दोनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
Q5: क्या राज्य में पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं? A5: हां, 2024 में हिंदुपुर में एक बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या का मामला सामने आया था।
🔚 निष्कर्ष
चित्तूर जिले में महिला के साथ हुए दुष्कर्म की घटना ने पुलिस की भूमिका और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इस मामले में त्वरित कार्रवाई और न्याय की मांग को लेकर समाज में आक्रोश है। राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को ऐसे मामलों में संवेदनशीलता और पारदर्शिता के साथ काम करने की आवश्यकता है।
External Source: Patrika Report
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