उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक दशक पुराने हत्या मामले में अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह को पत्नी ईशा सिंह की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। यह मामला 2015 में सामने आया था, जब ईशा का शव कौशांबी जिले में बरामद हुआ था।
⚖️ 10 साल पुराना मामला: अदालत ने सुनाया फैसला
कानपुर की अदालत ने बुधवार को दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह को पत्नी की हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही ₹60,000 का जुर्माना भी लगाया गया।
- आरोपी: ज्ञानेंद्र सिंह सचान, चित्रकूट निवासी
- तैनाती के समय: प्रतापगढ़ जिले में
- घटना स्थल: काकादेव थाना क्षेत्र, कानपुर
- पीड़िता: ईशा सिंह, नवीन नगर निवासी
अदालत में अभियोजन पक्ष ने 11 गवाहों को पेश किया, जिनकी गवाही के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया गया।
📍 हत्या की पृष्ठभूमि: दोहरी शादी बना विवाद की वजह
दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह पहले से शादीशुदा थे और उनके दो बच्चे भी थे। कानपुर में तैनाती के दौरान उनका संपर्क ईशा सिंह से हुआ। दोनों के बीच प्रेम संबंध बढ़ा और उन्होंने शादी कर ली। लेकिन पहले से शादीशुदा होने की बात सामने आने के बाद दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया।
🔍 प्रमुख कारण:
- पहले से शादीशुदा होने की बात छुपाना
- दो बच्चों की जिम्मेदारी
- ईशा सिंह का विरोध और तनाव
📅 घटना की रात: 18 मई 2015 की आखिरी बातचीत
एडीजीसी प्रदीप बाजपेई के अनुसार, 18 मई 2015 की रात 8 बजे तक ईशा सिंह की अपनी मां विनीता से बातचीत होती रही। इसके बाद उनका मोबाइल बंद हो गया और संपर्क टूट गया।
विनीता ने काकादेव थाने में बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने सर्विलांस और स्थानीय जांच के जरिए मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश की।
🧩 शव की बरामदगी: कौशांबी में मिला था धड़
कुछ दिनों बाद पुलिस को कौशांबी जिले के महेवा पुल के पास एक महिला का धड़ मिला। शव की पहचान कंधे पर बने टैटू, हाथ में बंधी पट्टी, ब्रेसलेट और घड़ी से की गई।
🚨 जांच के प्रमुख बिंदु:
- शव की पहचान टैटू और घड़ी से
- मोबाइल लोकेशन और कॉल रिकॉर्ड्स की जांच
- आरोपी की गिरफ्तारी और पूछताछ
पुलिस ने दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया और पूछताछ की। साथ ही पांच अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया, जिनकी निशानदेही पर घटना में इस्तेमाल की गई कार बरामद की गई।
👮 आरोपी की प्रोफाइल: कई थानों में कर चुके हैं सेवा
ज्ञानेंद्र सिंह सचान उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने कानपुर के कई थानों में सेवा दी थी। काकादेव थाने में तैनाती के दौरान ही उनका संपर्क ईशा सिंह से हुआ था।
🧾 सेवा विवरण:
- चित्रकूट निवासी
- प्रतापगढ़ में तैनाती के समय संपर्क
- कानपुर में कई थानों में ड्यूटी
🏛️ अदालत की कार्यवाही: गवाहों और सबूतों के आधार पर सजा
अदालत में अभियोजन पक्ष ने 11 गवाहों को पेश किया। इनमें पीड़िता की मां, पुलिस अधिकारी, फॉरेंसिक विशेषज्ञ और अन्य शामिल थे। सबूतों के आधार पर अदालत ने आरोपी को दोषी पाया और उम्रकैद की सजा सुनाई।
📌 सजा का विवरण:
- उम्रकैद (आजन्म कारावास)
- ₹60,000 का जुर्माना
- दोष सिद्धि गवाहों और फॉरेंसिक रिपोर्ट पर आधारित
External Source: Patrika Kanpur Report
📉 सामाजिक और कानूनी प्रभाव
इस मामले ने पुलिस विभाग की छवि पर सवाल खड़े किए हैं। एक पुलिस अधिकारी द्वारा की गई हत्या ने विभागीय अनुशासन और आंतरिक जांच की प्रक्रिया पर भी ध्यान आकर्षित किया है।
⚠️ प्रमुख प्रभाव:
- पुलिस विभाग की साख पर असर
- महिला सुरक्षा को लेकर चिंता
- न्यायिक प्रक्रिया की धीमी गति पर सवाल
❓ FAQs
Q1: दरोगा ज्ञानेंद्र सिंह को किस मामले में सजा हुई?
उत्तर: उन्हें पत्नी ईशा सिंह की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
Q2: यह घटना कब और कहां हुई थी?
उत्तर: यह घटना 18 मई 2015 को कानपुर के काकादेव थाना क्षेत्र में हुई थी।
Q3: शव कहां मिला था?
उत्तर: ईशा सिंह का शव कौशांबी जिले के महेवा पुल के पास मिला था।
Q4: आरोपी पहले से शादीशुदा था?
उत्तर: हां, आरोपी की पहले से शादी हो चुकी थी और उसके दो बच्चे भी थे।
Q5: अदालत ने क्या सजा सुनाई?
उत्तर: अदालत ने उम्रकैद और ₹60,000 का जुर्माना लगाया।
🔚 निष्कर्ष: न्याय की जीत, लेकिन देरी से
इस मामले में न्याय तो मिला, लेकिन 10 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद। यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि पुलिस विभाग की जवाबदेही और न्यायिक प्रक्रिया की गति पर भी सवाल उठाती है। उम्मीद है कि ऐसे मामलों में भविष्य में तेजी से कार्रवाई हो।
अगर आपको यह लेख उपयोगी लगा हो, तो इसे शेयर करें और दूसरों को भी जागरूक करें। NEWSWELL24.COM पर हम ऐसे ही जरूरी और भरोसेमंद जानकारी लाते रहते हैं।