ऑनलाइन गेमिंग पर पूरी तरह बैन का प्रस्ताव: ₹25,000 करोड़ का उद्योग खतरे में

🎮 भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग पर संकट के बादल

भारत सरकार ने “ऑनलाइन गेमिंग प्रोमोशन एंड रेगुलेशन बिल, 2025” को मंजूरी दे दी है, जो अगर संसद में पास हो गया, तो देश में सभी पैसों वाले ऑनलाइन गेम्स पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा — चाहे वो कौशल आधारित हों या किस्मत पर निर्भर।

इस प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, पैसों वाले ऑनलाइन गेम्स का प्रचार करना अवैध माना जाएगा, और बैंक या वित्तीय संस्थाएं ऐसे प्लेटफॉर्म्स से जुड़े किसी भी प्रकार के लेन-देन को संसाधित नहीं कर सकेंगी। यदि कोई व्यक्ति इस तरह के गेमिंग प्लेटफॉर्म का संचालन करता है, तो उसे तीन साल तक की सजा और भारी आर्थिक दंड भुगतना पड़ सकता है।

📉 अरबों का उद्योग, अब अस्तित्व संकट में

भारत का ऑनलाइन गेमिंग उद्योग वर्तमान में $3.7 बिलियन का है और 2029 तक इसके $9.1 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद थी। लेकिन इस सेक्टर की 86% कमाई रियल-मनी गेम्स से होती है। अगर ये फॉर्मेट्स बैन हो जाते हैं, तो उद्योग की रीढ़ ही टूट जाएगी।

Dream11, Winzo, GamesKraft, My11Circle और Games24x7 जैसे प्रमुख गेमिंग ब्रांड्स अब अपने अस्तित्व को बचाने की चुनौती से जूझ रहे हैं।

🆘 इंडस्ट्री की गुहार: बैन नहीं, रेगुलेशन चाहिए

ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इस बिल पर पुनर्विचार की मांग की है। उनका कहना है कि यह बिल करोड़ों वैध गेमर्स को अवैध जुए की ओर धकेल सकता है।

फेडरेशन ने कहा, “अगर यह बिल पास होता है, तो वैध उद्योग को भारी नुकसान होगा और यूज़र्स को गैरकानूनी ऑपरेटर्स के हवाले कर दिया जाएगा।” उन्होंने प्रगतिशील रेगुलेशन की मांग की, जिससे यूज़र सुरक्षा और राजस्व दोनों सुनिश्चित हो सकें।

⚖️ बिल में क्या है?

सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस बिल में कोई अस्पष्टता नहीं है:

  • सभी रियल-मनी गेमिंग ट्रांजैक्शन्स पर प्रतिबंध।
  • बैंक और पेमेंट गेटवे इनसे जुड़े भुगतान प्रोसेस नहीं कर पाएंगे।
  • ऐसे गेम्स का विज्ञापन करना गैरकानूनी होगा।
  • फ्री-टू-प्ले और सब्सक्रिप्शन आधारित गेम्स की अनुमति होगी, बशर्ते उनमें पैसों की बाज़ी न हो।

कानूनी विशेषज्ञ रंजीत महतानी (Dhruva Advisors) कहते हैं, “यह बिल एक व्यापक फ्रेमवर्क देता है जिसमें लाइसेंसिंग, यूज़र सेफगार्ड्स और जिम्मेदार गेमिंग पर फोकस है, लेकिन टैक्सेशन जैसे मुद्दों को नहीं छूता।”

🧾 रेगुलेशन से सीधे प्रतिबंध की ओर

पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने कई कदम उठाए:

  • अक्टूबर 2023 में गेमिंग रेवेन्यू पर 28% GST लगाया गया।
  • FY 2024–25 से नेट विनिंग्स पर 30% टैक्स लागू हुआ।
  • दिसंबर 2023 में भारतीय न्याय संहिता में संशोधन कर अवैध सट्टेबाज़ी को अपराध घोषित किया गया।
  • 2022 से अब तक 1,400 से अधिक अवैध सट्टेबाज़ी साइट्स को ब्लॉक किया गया।

अब सरकार टैक्स और रेगुलेशन से सीधे प्रतिबंध की ओर बढ़ रही है।

💼 नौकरियां और राजस्व पर खतरा

इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सरकार का दृष्टिकोण “भ्रामक” है। “बैन से सुरक्षा नहीं मिलेगी, बल्कि नुकसान होगा। नौकरियां जाएंगी, यूज़र्स अवैध जुए की ओर जाएंगे और संविधान का उल्लंघन होगा।”

कानूनी पहलू भी बेहद महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्ट्स ने कई बार स्पष्ट किया है कि स्किल-आधारित गेम्स को जुए की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(g) प्रत्येक नागरिक को व्यापार करने का अधिकार देता है, और ऐसे किसी भी प्रतिबंध को उस मौलिक अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा।

👥 सामाजिक असर भी गंभीर

भारत में 45 करोड़ से अधिक लोग ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं। इनमें से कई लोग जिम्मेदारी से कौशल आधारित गेम्स में भाग लेते हैं। अगर ये यूज़र्स अवैध प्लेटफॉर्म्स की ओर चले गए, तो धोखाधड़ी, लत और उपभोक्ता सुरक्षा की कमी जैसे खतरे बढ़ जाएंगे।

एक सूत्र ने बताया, “केवल GST का नुकसान ही $4 बिलियन से अधिक है — जो कि पूरे वैध भारतीय उद्योग की कमाई से ज्यादा है।”

💰 आर्थिक नुकसान: ₹25,000 करोड़ की चपत

यह सेक्टर हर साल ₹25,000 करोड़ से अधिक टैक्स देता है और एक लाख से ज्यादा डायरेक्ट व इनडायरेक्ट नौकरियां देता है — इंजीनियरिंग, एनिमेशन, गेम डिज़ाइन और कंटेंट क्रिएशन में।

“यह उद्योग 20% CAGR से बढ़ रहा था और 2028 तक दोगुना होने की उम्मीद थी। बैन से यह सब खत्म हो जाएगा,” सूत्र ने कहा।

2021 से 2022 के दौरान इस उद्योग में $2 बिलियन से अधिक का विदेशी निवेश हुआ। लेकिन अगर नीतिगत अस्थिरता बनी रही, तो वैश्विक निवेशक भारत से अपना रुख मोड़ सकते हैं।

🌐 इनोवेशन और डिजिटल संप्रभुता पर असर

रियल-मनी गेम्स पर बैन से इनोवेशन रुक जाएगा और भारत की डिजिटल लीडरशिप कमजोर होगी। “यह कदम उपभोक्ताओं की सुरक्षा नहीं करेगा, बल्कि पूरा मार्केट अवैध ऑपरेटर्स को सौंप देगा,” सूत्र ने कहा।

🧭 आगे का रास्ता क्या है?

इंडस्ट्री का संदेश साफ है: बैन नहीं, रेगुलेशन चाहिए। “भारत को एक स्मार्ट, प्रगतिशील फ्रेमवर्क चाहिए जो कौशल और किस्मत वाले गेम्स में फर्क करे, यूज़र सुरक्षा सुनिश्चित करे, टैक्स रेवेन्यू बनाए रखे और इनोवेशन को बढ़ावा दे। यही एकमात्र रास्ता है।”

अब सबकी निगाहें संसद पर हैं। यह बिल भारत के ऑनलाइन गेमिंग भविष्य को पूरी तरह बदल सकता है।

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