कर्नाटक में RSS बैन की मांग पर विवाद: प्रियांक खरगे को मिल रही धमकियां

कर्नाटक सरकार में मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने हाल ही में सरकारी स्कूलों और सार्वजनिक संस्थानों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। इस बयान के बाद उन्हें लगातार धमकी भरे कॉल्स और अपशब्दों का सामना करना पड़ रहा है।

🔍 विवाद की शुरुआत: RSS पर प्रतिबंध की मांग

📄 पत्र के माध्यम से उठाई गई मांग

प्रियांक खरगे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एक आधिकारिक पत्र लिखकर सरकारी परिसरों में RSS की गतिविधियों पर रोक लगाने की अपील की थी। उन्होंने तर्क दिया कि ऐसी गतिविधियाँ बच्चों और युवाओं के मन में सांप्रदायिकता और असहिष्णुता के बीज बोती हैं।

“सरकारी संस्थानों को धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक होना चाहिए, न कि किसी विचारधारा का प्रचार केंद्र।” – प्रियांक खरगे

📢 सोशल मीडिया पर बयान

एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए खरगे ने लिखा कि पिछले दो दिनों से उनके फोन पर धमकी भरे कॉल्स आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें और उनके परिवार को गालियों और डराने-धमकाने वाले संदेश मिल रहे हैं।

📞 धमकी भरे कॉल्स: क्या है मामला?

📌 प्रियांक खरगे का बयान

खरगे ने कहा, “अगर कोई सोचता है कि मुझे चुप करा देगा, तो यह उनकी गलतफहमी है। RSS ने गांधी और अंबेडकर को नहीं छोड़ा, तो मुझे क्यों छोड़ेगा?”

📊 कॉल्स की प्रकृति

  • कॉल्स में गालियाँ और धमकियाँ शामिल थीं
  • परिवार को भी निशाना बनाया गया
  • कॉल्स की संख्या लगातार बढ़ रही है

🏛️ राजनीतिक प्रतिक्रिया: पक्ष और विपक्ष आमने-सामने

🔵 कांग्रेस का रुख

कांग्रेस ने प्रियांक खरगे के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि सरकारी संस्थानों को किसी भी धार्मिक या वैचारिक संगठन से दूर रखा जाना चाहिए।

🔴 भाजपा की आलोचना

भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने खरगे की मांग को “प्रचार का हथकंडा” बताया। उन्होंने कहा, “इंदिरा गांधी ने भी यही कोशिश की थी और उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी थी।”

📋 मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की प्रतिक्रिया

📌 तमिलनाडु मॉडल की समीक्षा

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि तमिलनाडु सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा की जाए, जहां हाल ही में सरकारी स्थानों पर RSS की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया था।

📌 संभावित नीति बदलाव

राज्य सरकार इस दिशा में कदम उठाने पर विचार कर रही है, जिससे सरकारी संस्थानों में RSS की उपस्थिति सीमित की जा सके।

🧠 सामाजिक और कानूनी पहलू

⚖️ क्या कहता है संविधान?

भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्षता की गारंटी देता है। सरकारी संस्थानों में किसी भी धार्मिक या वैचारिक संगठन की गतिविधियाँ संविधान की भावना के विरुद्ध मानी जा सकती हैं।

🧩 प्रियांक खरगे का तर्क

  • RSS को निजी स्थानों तक सीमित किया जाए
  • सार्वजनिक प्रदर्शन से सांप्रदायिकता फैलती है
  • अन्य समुदायों को ऐसी अनुमति नहीं मिलती

📌 प्रियांक खरगे के सवाल: क्या RSS कार्यकर्ता विशेष नागरिक हैं?

🧵 उनके बयान के मुख्य अंश

  • “क्या RSS कार्यकर्ता भारत के विशेष नागरिक हैं?”
  • “अगर दलित, ओबीसी समुदाय लाठियों के साथ मार्च करें तो क्या अनुमति मिलेगी?”
  • “कानून सबके लिए समान है, RSS संविधान से बड़ा नहीं है।”

📚 पृष्ठभूमि: RSS की भूमिका और विवाद

🕵️‍♂️ RSS का इतिहास

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में हुई थी। यह एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है, जिसका उद्देश्य हिंदू संस्कृति का प्रचार करना है।

🔥 विवादों की सूची

  • स्कूलों में शाखाओं का आयोजन
  • राजनीतिक प्रभाव
  • सांप्रदायिकता के आरोप

📈 विश्लेषण: क्या यह चुनावी रणनीति है?

🧠 विशेषज्ञों की राय

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। इससे कांग्रेस को धर्मनिरपेक्षता का समर्थन करने वाले वोटर्स का समर्थन मिल सकता है।

❓ FAQs

Q1. प्रियांक खरगे ने RSS पर प्रतिबंध की मांग क्यों की?

सरकारी संस्थानों में RSS की गतिविधियों को धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताते हुए उन्होंने यह मांग की।

Q2. क्या मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कोई कार्रवाई की है?

उन्होंने मुख्य सचिव को तमिलनाडु मॉडल की समीक्षा करने का निर्देश दिया है।

Q3. भाजपा का इस मुद्दे पर क्या कहना है?

भाजपा ने इसे प्रचार का हथकंडा बताया और कांग्रेस की आलोचना की।

Q4. क्या प्रियांक खरगे को धमकियाँ मिल रही हैं?

हाँ, उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया कि उन्हें और उनके परिवार को धमकी भरे कॉल्स मिल रहे हैं।

🔚 निष्कर्ष

कर्नाटक में RSS की गतिविधियों पर प्रतिबंध की मांग ने एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। प्रियांक खरगे के बयान और उन्हें मिल रही धमकियों ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है। अब देखना यह है कि राज्य सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और यह विवाद किस दिशा में जाता है।

External Source: Patrika Report

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