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इज़राइल और हमास के बीच लंबे समय से जारी संघर्ष अब और खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। इज़राइल ने गाजा पर ज़मीनी हमले की शुरुआत कर दी है, जिसे उसने “Gaza is Burning” अभियान नाम दिया है। यह अभियान गाजा पट्टी में बढ़ते तनाव और हमास की रॉकेट फायरिंग के जवाब में शुरू किया गया है।
🌍 पृष्ठभूमि: गाजा और इज़राइल का संघर्ष
गाजा पट्टी और इज़राइल के बीच संघर्ष नया नहीं है। पिछले कई दशकों से यह क्षेत्र लगातार हिंसा, सैन्य कार्रवाई और राजनीतिक विवाद का गवाह रहा है।
- 1948 में इज़राइल के गठन के बाद से ही अरब देशों और फ़लस्तीनियों के बीच तनाव बढ़ा।
- गाजा पट्टी, जो मिस्र और इज़राइल के बीच बसा है, फ़िलहाल हमास के नियंत्रण में है।
- 2007 में हमास के सत्ता में आने के बाद से गाजा और इज़राइल के बीच कई बार युद्ध जैसी स्थिति बनी।
इज़राइल का दावा है कि वह अपनी सुरक्षा के लिए कार्रवाई करता है, जबकि फ़लस्तीनी पक्ष इसे कब्ज़े और मानवाधिकार उल्लंघन के रूप में देखता है।
🚨 ‘Gaza is Burning’ अभियान: क्या है योजना?
इज़राइल ने इस ऑपरेशन का नाम ‘Gaza is Burning’ रखा है। इसका मकसद हमास के ठिकानों को नष्ट करना और रॉकेट हमलों को रोकना बताया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु:
- इज़राइल ने गाजा सीमा पर बड़ी संख्या में टैंक और सैनिक तैनात किए।
- ड्रोन और फाइटर जेट्स का इस्तेमाल कर हवाई हमले भी तेज़ किए गए।
- गाजा सिटी और खान यूनिस इलाके को मुख्य निशाना बनाया गया।
- नागरिकों को सुरक्षित क्षेत्रों की ओर जाने की चेतावनी दी गई।
इज़राइली सेना के अनुसार, यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक गाजा से इज़राइल पर हो रहे हमले पूरी तरह बंद नहीं होते।
🏠 गाजा में तबाही और मानवीय संकट
गाजा पट्टी की आबादी लगभग 23 लाख है। पहले से ही यह इलाका गरीबी, बेरोज़गारी और स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा था। अब ज़मीनी हमले और हवाई हमलों ने स्थिति और खराब कर दी है।
- बिजली और पानी की आपूर्ति ठप – गाजा की कई जगहों पर बुनियादी सुविधाएं नष्ट हो गई हैं।
- अस्पतालों पर दबाव – घायलों की बढ़ती संख्या से अस्पतालों में जगह की भारी कमी।
- लाखों लोग बेघर – लोग स्कूलों और मस्जिदों में शरण लेने को मजबूर।
👉 संयुक्त राष्ट्र (UN) ने चेतावनी दी है कि गाजा की स्थिति लगातार बिगड़ रही है और यह “मानवीय आपदा” में बदल सकती है।
🌐 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
गाजा संकट पर दुनिया के कई देशों ने प्रतिक्रिया दी है।
- अमेरिका: इज़राइल को “रक्षा का अधिकार” बताया, लेकिन नागरिकों की सुरक्षा की अपील की।
- यूरोपीय संघ: युद्धविराम की आवश्यकता पर जोर दिया।
- तुर्की और कतर: गाजा पर हो रहे हमलों की कड़ी निंदा।
- भारत: दोनों पक्षों से संयम बरतने और शांति बहाल करने की अपील।
👉 External Source: United Nations Report on Gaza
⚔️ इज़राइल की रणनीति और भविष्य की स्थिति
सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह ज़मीनी हमला लंबे समय तक चल सकता है। इज़राइल का उद्देश्य सिर्फ हमास को कमजोर करना नहीं, बल्कि उसकी सैन्य क्षमता को पूरी तरह खत्म करना है।
संभावित परिणाम:
- गाजा में बड़े पैमाने पर तबाही।
- नागरिक हताहतों की संख्या में बढ़ोतरी।
- मध्य पूर्व क्षेत्र में और तनाव।
- शांति वार्ता की संभावना और भी कम।
📊 आँकड़ों में गाजा-इज़राइल संघर्ष
- 2008 से अब तक: गाजा और इज़राइल के बीच 5 बड़े संघर्ष।
- 2021 युद्ध: 250 से अधिक फ़लस्तीनी और 13 इज़राइली मारे गए।
- 2025 ऑपरेशन: ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, सैकड़ों नागरिक प्रभावित।
📰 मीडिया कवरेज और सोशल मीडिया ट्रेंड
इस युद्ध की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे हैं। #GazaIsBurning और #IsraelUnderAttack जैसे हैशटैग दुनिया भर में ट्रेंड कर रहे हैं।
- कई पत्रकारों और फोटो जर्नलिस्ट्स ने गाजा से लाइव रिपोर्टिंग की।
- अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसे “21वीं सदी के सबसे खतरनाक संघर्षों में से एक” बताया।
📌 निष्कर्ष
इज़राइल का ‘Gaza is Burning’ अभियान मध्य पूर्व की राजनीति और शांति प्रक्रिया पर गहरा असर डाल सकता है। जहां इज़राइल अपनी सुरक्षा को लेकर कठोर रुख पर है, वहीं गाजा में मानवाधिकार संकट बढ़ता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय दबाव और मानवीय चिंताओं के बीच यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में स्थिति किस दिशा में जाती है।
❓अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1. ‘Gaza is Burning’ अभियान क्या है?
यह इज़राइल का गाजा पर ज़मीनी और हवाई हमला है, जिसका उद्देश्य हमास की ताकत को खत्म करना है।
Q2. इस संघर्ष में सबसे ज्यादा प्रभावित कौन है?
सबसे ज्यादा प्रभावित गाजा के आम नागरिक हैं, जिन्हें बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
Q3. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या प्रतिक्रिया मिली?
अमेरिका ने इज़राइल का समर्थन किया, जबकि संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने शांति बहाल करने की अपील की है।
Q4. क्या इस संघर्ष का जल्द अंत संभव है?
फिलहाल स्थिति गंभीर है और शांति वार्ता की संभावना बेहद कम लग रही है।
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