बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले जदयू को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। भागलपुर जिले की गोपालपुर सीट से मौजूदा विधायक गोपाल मंडल ने पार्टी से टिकट कटने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में सवर्ण लॉबी का दबदबा बढ़ गया है, जिससे पिछड़े वर्ग की आवाज दबाई जा रही है।
🧨 टिकट कटते ही बगावत का ऐलान
🔹 सीएम आवास के बाहर धरना देकर जताई थी नाराजगी
कुछ दिन पहले ही गोपाल मंडल ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना देकर यह संकेत दे दिया था कि उन्हें टिकट नहीं मिलने की आशंका है। जैसे ही जदयू की दूसरी सूची में उनका नाम नहीं आया और पूर्व सांसद बुलो मंडल को गोपालपुर से उम्मीदवार घोषित किया गया, उन्होंने पार्टी के खिलाफ खुली बगावत कर दी।
“मैं नीतीश जी का विरोधी नहीं हूं, लेकिन उनके आसपास बैठे कुछ सवर्ण नेता पिछड़ों की आवाज नहीं सुनना चाहते।” — गोपाल मंडल
🗳️ निर्दलीय लड़ने का ऐलान: क्या बोले गोपाल मंडल?
🔸 पुराने साथ का हवाला
गोपाल मंडल ने कहा कि वे समता पार्टी के समय से नीतीश कुमार के साथ रहे हैं और हमेशा उनके लिए काम किया है। उन्होंने कहा:
“मैंने नीतीश जी के लिए मैदान में लड़ा, लेकिन अब पार्टी में पुराने कार्यकर्ताओं को किनारे किया जा रहा है। मैं निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा और जीतकर दिखाऊंगा।”
🔸 समर्थन फिर भी नीतीश को
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव जीतने के बाद वे नीतीश कुमार को ही समर्थन देंगे, लेकिन अन्याय और अपमान को अब बर्दाश्त नहीं करेंगे।
🧾 टिकट कटने के पीछे की वजहें
गोपाल मंडल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें पार्टी के भीतर कुछ नेताओं द्वारा साजिश के तहत साइडलाइन किया गया। उन्होंने दावा किया कि:
- उन्होंने दलित-पिछड़ों की आवाज उठाई, इसलिए उनका टिकट काटा गया।
- निशांत कुमार को आगे लाने की सजा उन्हें मिली।
- बुलो मंडल जैसे बाहरी उम्मीदवार को टिकट दिलवाया गया।
🧠 विश्लेषण: जदयू के लिए क्या है इसका मतलब?
गोपाल मंडल की बगावत ने जदयू के अंदरूनी समीकरणों को झकझोर दिया है। गोपालपुर सीट पर अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है:
- जदयू के उम्मीदवार बुलो मंडल
- महागठबंधन के प्रत्याशी
- निर्दलीय उम्मीदवार गोपाल मंडल
इसके अलावा जनसुराज और अन्य दलों के उम्मीदवार भी मैदान में हैं, जिससे मुकाबला और भी रोचक हो गया है।
📌 गोपाल मंडल: विवादों से घिरे लेकिन लोकप्रिय
गोपाल मंडल का नाम कई बार विवादों में रहा है:
- ट्रेन में कपड़े बदलने का मामला
- विधानसभा में विवादित बयानबाजी
- हथियार लेकर चलने की स्वीकारोक्ति
फिर भी, उनकी ग्रामीण पकड़ और स्थानीय लोकप्रियता को नकारा नहीं जा सकता। यही कारण है कि निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा ने राजनीतिक हलचल मचा दी है।
📋 जदयू की दूसरी सूची में क्या हुआ?
जदयू ने अपनी दूसरी सूची में 44 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए। गोपालपुर सीट से पूर्व सांसद बुलो मंडल को टिकट दिया गया, जिससे गोपाल मंडल नाराज हो गए।
“मुझे आखिरी वक्त में धोखा दिया गया। पार्टी में अब विचारधारा नहीं, लॉबी सिस्टम चल रहा है।” — गोपाल मंडल
📊 जनता का मूड: किसके साथ है जनसमर्थन?
गोपाल मंडल का दावा है कि जनता उनके साथ है और वे चुनाव जीतकर दिखाएंगे कि असली जनसमर्थन किसके पास है। उन्होंने कहा कि अब वे जनता की अदालत में जाएंगे और वहां से न्याय मिलेगा।
❓FAQs: गोपाल मंडल और बिहार चुनाव 2025
Q1. गोपाल मंडल किस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं?
उत्तर: वे भागलपुर जिले की गोपालपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
Q2. उन्होंने जदयू से बगावत क्यों की?
उत्तर: उनका आरोप है कि पार्टी में सवर्ण लॉबी का दबदबा है और पिछड़ों की आवाज को दबाया जा रहा है।
Q3. क्या वे नीतीश कुमार का समर्थन करेंगे?
उत्तर: हां, उन्होंने कहा कि जीत के बाद वे नीतीश कुमार को समर्थन देंगे, लेकिन अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे।
Q4. गोपाल मंडल का राजनीतिक इतिहास क्या है?
उत्तर: वे समता पार्टी के समय से नीतीश कुमार के साथ रहे हैं और कई बार विधायक रह चुके हैं।
🔚 निष्कर्ष: बगावत से बदले समीकरण
गोपाल मंडल की बगावत ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जदयू के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है। जहां एक ओर पार्टी को आंतरिक असंतोष का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर गोपाल मंडल की लोकप्रियता और बेबाकी उन्हें एक मजबूत निर्दलीय उम्मीदवार बनाती है। अब देखना यह होगा कि जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है।
External Source: Patrika Report
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