चीन में पहली बार इंसान को लगाया गया सुअर का लिवर, 171 दिन तक जीवित रहा मरीज — मेडिकल साइंस में नई क्रांति

मेडिकल साइंस में नई उम्मीद की किरण

चीन में पहली बार एक इंसान को जेनेटिकली मॉडिफाइड सुअर का लिवर लगाया गया। 71 वर्षीय मरीज इस ट्रांसप्लांट के बाद 171 दिन तक जीवित रहा। यह प्रयोग लिवर ट्रांसप्लांट की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है।

🏥 सर्जरी का इतिहास: कब और कैसे हुआ यह प्रयोग?

मई 2024 में चीन के Anhui Medical University के डॉक्टरों ने एक गंभीर रूप से बीमार मरीज पर यह प्रयोग किया। मरीज को हेपेटाइटिस-बी से जुड़ा लिवर सिरोसिस और ट्यूमर था, और मानव डोनर उपलब्ध नहीं था।

  • मरीज की उम्र: 71 वर्ष
  • बीमारी: हेपेटाइटिस-बी, लिवर सिरोसिस, ट्यूमर
  • सर्जरी स्थान: First Affiliated Hospital, Anhui Medical University
  • सर्जरी तिथि: मई 2024
  • जीवित रहने की अवधि: 171 दिन

🐖 सुअर का लिवर कैसे तैयार किया गया?

इस प्रयोग के लिए वैज्ञानिकों ने एक क्लोन सुअर का चयन किया, जिसमें 10 जीन एडिट किए गए थे ताकि मानव शरीर में संक्रमण या रिजेक्शन की संभावना न रहे।

🧪 लिवर की कार्यप्रणाली:

  • खून को फिल्टर करना
  • बाइल बनाना
  • टॉक्सिन्स को शरीर से निकालना
  • ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर बनाना

सर्जरी के बाद मरीज के शरीर में कोई गंभीर जटिलता नहीं दिखी। लिवर ने तुरंत काम करना शुरू कर दिया।

⏳ कब और क्यों निकाला गया सुअर का लिवर?

सर्जरी के 38वें दिन मरीज का अपना लिवर फिर से काम करने लगा। इसके बाद डॉक्टरों ने सुअर का लिवर निकाल दिया।

📌 यह प्रयोग क्या साबित करता है?

  • सुअर का लिवर अस्थायी रूप से इंसानों में इस्तेमाल किया जा सकता है
  • यह ब्रिजिंग थेरेपी के रूप में काम कर सकता है जब तक मानव डोनर उपलब्ध न हो
  • मरीज को जीवनदान देने का एक नया विकल्प खुलता है

🌍 वैश्विक संदर्भ: लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत और चुनौतियाँ

📊 आंकड़े:

  • दुनियाभर में 1 लाख से अधिक मरीज लिवर ट्रांसप्लांट के इंतजार में
  • चीन में हर साल 3 लाख से अधिक लोग लिवर फेलियर से पीड़ित
  • 2022 में केवल 6,000 लोगों को ही मानव लिवर ट्रांसप्लांट मिला

🧬 Xenotransplantation क्या है?

Xenotransplantation का मतलब है जानवरों के अंगों को इंसानों में ट्रांसप्लांट करना। सुअर इस दिशा में सबसे उपयुक्त माना जाता है क्योंकि:

  • उनके अंगों का आकार इंसानों से मिलता-जुलता है
  • जीन एडिटिंग तकनीक से उन्हें अनुकूल बनाया जा सकता है
  • उनकी उपलब्धता अधिक है

🧠 वैज्ञानिकों की राय और भविष्य की दिशा

👨‍⚕️ विशेषज्ञों की टिप्पणियाँ:

  • Dr. Beicheng Sun (लीड सर्जन): “यह प्रयोग साबित करता है कि सुअर का लिवर इंसानों में काम कर सकता है।”
  • Dr. Heiner Wedemeyer (Journal of Hepatology): “यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, लेकिन अभी कई चुनौतियाँ बाकी हैं।”

🔮 भविष्य की संभावनाएं:

  • अस्थायी लिवर सपोर्ट के रूप में सुअर का लिवर
  • इम्यून सिस्टम को बेहतर समझने के लिए डेटा
  • कोएगुलेशन डिसऑर्डर और रिजेक्शन को रोकने की तकनीक
  • किडनी और हार्ट ट्रांसप्लांट में भी सुअर के अंगों का उपयोग

📌 इस प्रयोग से क्या सीखा गया?

✅ प्रमुख निष्कर्ष:

  1. सुअर का लिवर इंसानों में अस्थायी रूप से काम कर सकता है
  2. जीन एडिटिंग से संक्रमण और रिजेक्शन की संभावना कम होती है
  3. यह तकनीक उन मरीजों के लिए जीवनदायिनी हो सकती है जिनके पास कोई विकल्प नहीं है
  4. मेडिकल साइंस में यह एक मील का पत्थर है

❓ FAQs

Q1. क्या सुअर का लिवर इंसानों में स्थायी रूप से लगाया जा सकता है?

अभी तक यह प्रयोग केवल अस्थायी रूप से सफल रहा है। स्थायी ट्रांसप्लांट के लिए और शोध की जरूरत है।

Q2. क्या यह तकनीक भारत में भी लागू हो सकती है?

यदि सुरक्षा और नैतिक मानकों को पूरा किया जाए, तो भविष्य में भारत में भी यह संभव हो सकता है।

Q3. क्या मरीज को कोई साइड इफेक्ट हुआ?

सर्जरी के बाद शुरुआती 38 दिनों तक कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं दिखा। बाद में कुछ जटिलताएं सामने आईं।

Q4. क्या यह तकनीक अन्य अंगों के लिए भी उपयोगी है?

हां, सुअर के हार्ट और किडनी पर भी इसी तरह के प्रयोग हो चुके हैं।

🔚 निष्कर्ष: एक नई दिशा की शुरुआत

चीन में हुआ यह प्रयोग मेडिकल साइंस के इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह न केवल लिवर ट्रांसप्लांट की दिशा में नई उम्मीद जगाता है, बल्कि लाखों मरीजों के लिए जीवनदान का मार्ग भी खोलता है।

External Source: Patrika Report

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