बॉलीवुड और असमिया संगीत के मशहूर गायक जुबीन गर्ग का शुक्रवार को सिंगापुर में एक स्कूबा डाइविंग हादसे में निधन हो गया। उनकी उम्र मात्र 52 वर्ष थी। इस अप्रत्याशित खबर से न केवल असम बल्कि पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जुबीन गर्ग के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की और कहा कि उनका योगदान भारतीय संगीत जगत में हमेशा याद किया जाएगा।
पीएम मोदी का शोक संदेश 🙏
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर जुबीन गर्ग की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए लिखा:
“लोकप्रिय गायक जुबीन गर्ग के आकस्मिक निधन से स्तब्ध हूं। उन्हें संगीत में उनके समृद्ध योगदान के लिए याद किया जाएगा। उनके गीत सभी वर्गों और क्षेत्रों के लोगों में लोकप्रिय थे। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।”
यह बयान इस बात को दर्शाता है कि जुबीन गर्ग का संगीत केवल असम या बॉलीवुड तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरे देश के लोगों के दिलों में उनकी विशेष जगह थी।
🗣️ असम सरकार और नेताओं की प्रतिक्रिया
असम के कैबिनेट मंत्री अशोक सिंघल ने भी जुबीन गर्ग के निधन की पुष्टि की। उन्होंने X पर लिखा:
“हमारे प्रिय जुबीन दा का असामयिक निधन बेहद दुखद है। असम ने केवल एक आवाज ही नहीं, बल्कि अपनी धड़कन भी खो दी है। वे केवल गायक नहीं थे, बल्कि असम और पूरे भारत का गौरव थे। उनके गीतों ने हमारी संस्कृति और भावनाओं को पूरी दुनिया तक पहुँचाया।”
यह बयान स्पष्ट करता है कि जुबीन गर्ग केवल एक गायक ही नहीं, बल्कि असमिया पहचान के प्रतीक भी थे।
🌊 हादसे की पूरी कहानी: स्कूबा डाइविंग के दौरान मौत
नॉर्थ ईस्ट न्यूज़ के मुताबिक, जुबीन गर्ग सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग गतिविधि में शामिल हुए थे। उसी दौरान एक हादसे में वे समुद्र में गिर गए।
- तुरंत उन्हें बाहर निकाला गया और आईसीयू में भर्ती कराया गया।
- कई घंटों तक इलाज चलता रहा, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
- वे अगले दिन होने वाले नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल में प्रस्तुति देने वाले थे।
उनकी अचानक मौत ने इस फेस्टिवल और उनके प्रशंसकों दोनों को गहरे सदमे में डाल दिया।
👤 जुबीन गर्ग: जीवन परिचय और करियर यात्रा
- जन्म: 1972, मेघालय
- असली नाम: जुबीन बोरठाकुर
- मंच नाम: जुबीन गर्ग (गोत्र “गर्ग” को अपनाया)
- करियर की शुरुआत: 1990 का दशक
- पहला बड़ा ब्रेक: फिल्म “गैंगस्टर” (2006) का गाना “या अली”
“या अली” की सफलता ने उन्हें देशभर में पहचान दिलाई और इसके बाद उन्होंने कई हिट गाने दिए।
🎶 बॉलीवुड में जुबीन गर्ग के यादगार गाने
जुबीन गर्ग ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कई हिट गाने दिए, जिनमें शामिल हैं:
- या अली – गैंगस्टर (2006)
- सुबह सुबह – फिल्म आई, मी और मैं
- क्या राज है – फिल्म किंगडम
- दिल तू ही बता – कृष 3
इन गानों ने उन्हें न केवल बॉलीवुड में लोकप्रिय बनाया बल्कि देशभर में उनकी आवाज़ को घर-घर तक पहुँचाया।
🌍 बहुभाषी गायक: 40 से अधिक भाषाओं में गायन
जुबीन गर्ग की खासियत यह थी कि उन्होंने सिर्फ हिंदी और असमिया ही नहीं बल्कि 40 से अधिक भाषाओं और बोलियों में गाया।
- असमिया
- बंगाली
- हिंदी
- भोजपुरी
- पंजाबी
- और कई अन्य पूर्वोत्तर की भाषाएँ
इससे वे उन गिने-चुने गायकों में शामिल हो गए जो भारत की विविधता को अपने संगीत के जरिए एकजुट करते हैं।
💰 असम के सबसे सफल गायक
कई रिपोर्ट्स के अनुसार, जुबीन गर्ग को लंबे समय तक असम का सबसे ज्यादा कमाई करने वाला गायक माना गया।
उनके कॉन्सर्ट्स और एल्बम्स ने उन्हें न केवल लोकप्रियता बल्कि आर्थिक रूप से भी मजबूत बनाया।
🏆 योगदान और सम्मान
जुबीन गर्ग ने भारतीय संगीत में अपनी गहरी छाप छोड़ी।
- राष्ट्रीय और क्षेत्रीय अवॉर्ड्स से सम्मानित
- असमिया संस्कृति और संगीत को वैश्विक स्तर तक पहुँचाया
- कई सामाजिक अभियानों में सक्रिय योगदान
उनकी कला और व्यक्तित्व दोनों ही प्रशंसकों को प्रेरित करते रहेंगे।
📌 जुबीन गर्ग की खासियतें
- अनूठी आवाज़ और गायकी शैली
- रॉक, फोक और सूफी का मिश्रण
- असमिया और बॉलीवुड संगीत में सेतु की भूमिका
- मंच पर जीवंत और ऊर्जावान प्रस्तुति
❓अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. जुबीन गर्ग का निधन कैसे हुआ?
👉 वे सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान हादसे का शिकार हो गए और बाद में अस्पताल में निधन हो गया।
Q2. जुबीन गर्ग का असली नाम क्या था?
👉 उनका असली नाम जुबीन बोरठाकुर था।
Q3. जुबीन गर्ग का सबसे मशहूर गाना कौन सा है?
👉 फिल्म गैंगस्टर का “या अली” उनका सबसे मशहूर गाना माना जाता है।
Q4. उन्होंने कितनी भाषाओं में गाया?
👉 उन्होंने 40 से अधिक भाषाओं और बोलियों में गाया था।
Q5. जुबीन गर्ग का जन्म कहाँ हुआ था?
👉 उनका जन्म 1972 में मेघालय में हुआ था।
🏁 निष्कर्ष
जुबीन गर्ग का निधन भारतीय संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। असम से लेकर पूरे देश और विश्वभर में उनके प्रशंसक उनकी आवाज़ को हमेशा याद रखेंगे। प्रधानमंत्री मोदी समेत तमाम नेताओं और कलाकारों ने उनके योगदान को श्रद्धांजलि दी है। जुबीन गर्ग भले ही इस दुनिया से चले गए हों, लेकिन उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों तक अमर रहेगा।
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