तमिलनाडु के कृष्णगिरि जिले में स्थित अंचेट्टी गांव, जो कभी शिक्षा से अछूता था, आज एक प्रेरणादायक बदलाव का गवाह बन चुका है। तीन समर्पित शिक्षकों की पहल ने इस आदिवासी क्षेत्र को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ दिया है।
🌄 अंचेट्टी गांव: जहां शिक्षा कभी सपना थी
🏞️ भौगोलिक स्थिति और सामाजिक पृष्ठभूमि
- अंचेट्टी गांव कृष्णगिरि जिले की पहाड़ियों में स्थित है।
- यहां की जनसंख्या मुख्यतः आदिवासी समुदाय से है।
- लंबे समय तक शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहा।
📉 शिक्षा की स्थिति पहले कैसी थी?
- बच्चे स्कूल जाने के बजाय मजदूरी या घरेलू कामों में लग जाते थे।
- बाल विवाह की घटनाएं आम थीं।
- स्कूल तक पहुंचने के लिए कोई परिवहन सुविधा नहीं थी।
👨🏫 तीन शिक्षक, एक मिशन: शिक्षा की अलख जगाना
🌟 शिक्षक कौन हैं?
- वी. सतीश – अंग्रेजी शिक्षक, अंचेट्टी के पास मरियालम गांव के निवासी।
- एम. गणेशमूर्ति – रसायन विज्ञान शिक्षक, पुंचोलाई गांव से।
- के. मुनिराज – अंग्रेजी शिक्षक, देवनडोड्डी गांव से।
📚 कैसे शुरू हुआ बदलाव?
- सतीश ने 2012 में अंचेट्टी स्कूल को सेवा के लिए चुना।
- उनके दो मित्रों ने भी साथ आकर स्कूल में पढ़ाना शुरू किया।
- उन्होंने हर घर जाकर शिक्षा के महत्व को समझाया।
🚸 बच्चों की पढ़ाई में कैसे आई रुचि?
🧠 समझाइश से बदली सोच
- शुरुआत में अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से हिचकिचाते थे।
- शिक्षकों ने उन्हें बताया कि शिक्षा से गरीबी दूर हो सकती है।
- धीरे-धीरे स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ने लगी।
🚌 परिवहन की सुविधा
- अंचेट्टी, दोड्डामंजू, नटरामपालयम, थाडिक्कल और मदक्क पंचायतों से छात्र आने लगे।
- NGOs की मदद से परिवहन की सुविधा उपलब्ध करवाई गई।
- जहां जरूरत पड़ी, वहां शिक्षकों ने अपनी जेब से मदद की।
🎓 कॉलेज तक की राह: उच्च शिक्षा की ओर कदम
📈 कॉलेज में प्रवेश की चुनौतियाँ
- स्कूली शिक्षा के बाद कॉलेज में दाखिले के लिए भी अभिभावकों को मनाना पड़ा।
- फीस और प्रवेश की प्रक्रिया में शिक्षकों ने मदद की।
👩🔬 सफलता की कहानियाँ
- वर्षा नामक आदिवासी छात्रा को इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश मिला।
- एक बस चालक ने उसकी फीस भरने में मदद की।
- एमबीबीएस में भी कई छात्रों का दाखिला हुआ।
🧑⚕️ बंधुआ मजदूर का बेटा बना डॉक्टर
💬 एम. विश्वनाथन की कहानी
- स्कूल के पूर्व छात्र और पूर्व बंधुआ मजदूर के बेटे एम. विश्वनाथन अब डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे हैं।
- उन्होंने बताया कि कैसे तीन शिक्षकों की पहल ने उनकी जिंदगी बदल दी।
📊 शिक्षा परिवर्तन के प्रभाव
✅ सकारात्मक बदलाव:
- स्कूल छोड़ने वालों की संख्या घटी।
- बाल विवाह की घटनाएं कम हुईं।
- बच्चों में आत्मविश्वास और कॅरियर के प्रति जागरूकता बढ़ी।
📌 आंकड़ों में बदलाव:
- पिछले 10 वर्षों में स्कूल में नामांकन दर में 300% की वृद्धि।
- उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या में 200% की बढ़ोतरी।
❓ FAQs Section
❓ अंचेट्टी गांव कहां स्थित है?
यह गांव तमिलनाडु के कृष्णगिरि जिले की पहाड़ियों में स्थित है।
❓ इस बदलाव की शुरुआत कब हुई?
2012 में तीन शिक्षकों के स्कूल में शामिल होने के बाद यह परिवर्तन शुरू हुआ।
❓ क्या अब गांव के सभी बच्चे स्कूल जाते हैं?
हां, अब अधिकांश बच्चे नियमित रूप से स्कूल जाते हैं और उच्च शिक्षा की ओर बढ़ रहे हैं।
❓ क्या सरकार ने इस पहल में सहयोग किया?
शुरुआत में शिक्षकों ने स्वयं प्रयास किए, बाद में NGOs और कुछ सरकारी योजनाओं से मदद मिली।
🧾 निष्कर्ष: शिक्षा से बदली गांव की तस्वीर
तमिलनाडु के अंचेट्टी गांव की यह कहानी दर्शाती है कि समर्पण और प्रयास से किसी भी समाज में बदलाव संभव है। तीन शिक्षकों की पहल ने न केवल बच्चों की जिंदगी बदली, बल्कि पूरे गांव को शिक्षा की रोशनी से रोशन कर दिया।
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