तमिलनाडु के पोरुर क्षेत्र में गुरुवार को पुलिस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 39 स्वयंसेवकों को हिरासत में लिया। आरोप है कि उन्होंने एक सरकारी स्कूल परिसर में बिना अनुमति पूजा और शाखा प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया। इस कार्रवाई की भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कड़ी आलोचना की है।
🏫 गिरफ्तारी का घटनाक्रम: क्या हुआ पोरुर में?
पुलिस के अनुसार, RSS के कार्यकर्ताओं ने अय्यप्पनथंगल सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में गुरु पूजा और विशेष शाखा प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया था। यह आयोजन RSS के शताब्दी वर्ष और विजयदशमी के अवसर पर किया गया था।
- कार्यक्रम में लगभग 50–60 स्वयंसेवक शामिल थे।
- स्कूल प्रशासन से कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी।
- पुलिस ने मौके पर पहुंचकर 39 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया।
📋 पुलिस का पक्ष: नियमों का उल्लंघन
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सरकारी स्कूल परिसर में किसी भी प्रकार का धार्मिक या संगठनात्मक कार्यक्रम आयोजित करने से पहले प्रशासनिक अनुमति लेना अनिवार्य है। इस मामले में आयोजकों ने कोई अनुमति नहीं ली थी, जिससे यह कार्रवाई की गई।
🚨 दर्ज धाराएं:
- भारतीय न्याय संहिता की धारा 189 (अवैध जमावड़ा)
- सरकारी संपत्ति पर अनधिकृत प्रवेश
🎯 RSS का शताब्दी वर्ष: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
RSS की स्थापना 1925 में नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी। यह संगठन भारत में सबसे बड़ा स्वयंसेवक संगठन माना जाता है।
📌 100वें वर्ष की विशेषताएं:
- देशभर में शाखाओं द्वारा विशेष कार्यक्रम
- विजयदशमी पर पारंपरिक पूजा और व्यायाम प्रदर्शन
- नागपुर में मुख्य समारोह, जिसमें RSS प्रमुख मोहन भागवत ने संबोधित किया
🗣️ BJP की प्रतिक्रिया: गिरफ्तारी पर तीखी आलोचना
तमिलनाडु BJP नेता तमिलिसाई सुंदरराजन ने इस गिरफ्तारी को “अलोकतांत्रिक” और “शुभ दिन पर दुर्भाग्यपूर्ण” बताया। उन्होंने कहा कि विजयदशमी के दिन RSS कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करना धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
🧾 उनके बयान के मुख्य बिंदु:
- “कार्यकर्ता शांतिपूर्वक पूजा कर रहे थे, कोई हिंसा नहीं थी।”
- “माफिया खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन पुलिस RSS पर कार्रवाई कर रही है।”
- “DMK सरकार असामाजिक तत्वों को बढ़ावा दे रही है।”
🏛️ DMK सरकार पर आरोप: राजनीतिक ध्रुवीकरण?
BJP नेताओं ने आरोप लगाया कि DMK सरकार धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों पर सख्ती दिखा रही है, जबकि असामाजिक गतिविधियों पर नरमी बरती जा रही है।
🔍 विश्लेषण:
- DMK की “द्रविड़ मॉडल” नीति अक्सर RSS जैसे संगठनों से टकराव में रही है।
- राज्य में धार्मिक आयोजनों पर अनुमति की प्रक्रिया को लेकर विवाद बढ़ते रहे हैं।
📊 सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
इस घटना ने राज्य में धार्मिक स्वतंत्रता, प्रशासनिक पारदर्शिता और राजनीतिक ध्रुवीकरण पर बहस को जन्म दिया है।
🔎 प्रमुख मुद्दे:
- क्या धार्मिक संगठनों को सार्वजनिक स्थलों पर आयोजन की स्वतंत्रता होनी चाहिए?
- क्या प्रशासनिक अनुमति की प्रक्रिया पारदर्शी है?
- क्या राजनीतिक दलों द्वारा इस मुद्दे का उपयोग ध्रुवीकरण के लिए किया जा रहा है?
📌 निष्कर्ष: विवाद के केंद्र में धार्मिक आयोजन
तमिलनाडु में RSS कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी ने एक बार फिर धार्मिक आयोजनों और प्रशासनिक अनुमति के बीच संतुलन की आवश्यकता को उजागर किया है। BJP और DMK के बीच राजनीतिक बयानबाज़ी ने इस मुद्दे को और अधिक संवेदनशील बना दिया है।
❓FAQs
❓ RSS के कार्यकर्ताओं को क्यों गिरफ्तार किया गया?
सरकारी स्कूल परिसर में बिना अनुमति पूजा और शाखा सत्र आयोजित करने के आरोप में उन्हें हिरासत में लिया गया।
❓ क्या यह आयोजन RSS के शताब्दी वर्ष से जुड़ा था?
हाँ, यह आयोजन RSS के 100वें स्थापना वर्ष और विजयदशमी के अवसर पर किया गया था।
❓ BJP की क्या प्रतिक्रिया रही?
BJP ने इस कार्रवाई को “अलोकतांत्रिक” बताया और कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की मांग की।
❓ DMK सरकार पर क्या आरोप लगे?
BJP ने आरोप लगाया कि DMK सरकार असामाजिक तत्वों को बढ़ावा दे रही है और धार्मिक आयोजनों पर सख्ती कर रही है।
External Source: Patrika Report
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