दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, ग्रीन पटाखों को मिली सीमित मंजूरी

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। दिवाली से पहले कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध बरकरार रखते हुए केवल प्रमाणित निर्माताओं को ग्रीन पटाखों के निर्माण की सीमित अनुमति दी है।

⚖️ सुप्रीम कोर्ट का आदेश: ग्रीन पटाखों का निर्माण मंजूर, बिक्री पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में केवल उन्हीं निर्माताओं को ग्रीन पटाखों के निर्माण की अनुमति दी जाएगी, जिनके पास NEERI (नेशनल एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) और PESO (पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन) का वैध प्रमाणपत्र है।

🔒 कोर्ट की शर्तें:

  • निर्माण की अनुमति केवल प्रमाणित निर्माताओं को।
  • दिल्ली-एनसीआर में बिक्री और भंडारण पर पूर्ण प्रतिबंध।
  • निर्माताओं को कोर्ट को यह आश्वासन देना होगा कि वे प्रतिबंधित क्षेत्रों में कोई बिक्री नहीं करेंगे।

📅 अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी। तब तक कोई भी निर्माता दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री नहीं कर सकता।

🌫️ वायु प्रदूषण और पटाखों पर प्रतिबंध का इतिहास

दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता लंबे समय से चिंता का विषय रही है। दिवाली के दौरान पटाखों के कारण प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है।

📌 प्रमुख घटनाएं:

  1. 2017: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पटाखों पर मौसमी प्रतिबंध लगाया।
  2. 2018: सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को समर्थन दिया।
  3. दिसंबर 2024: दिल्ली और एनसीआर जिलों में पटाखों की बिक्री, निर्माण और भंडारण पर पूर्ण प्रतिबंध।
  4. अप्रैल 2025: सुप्रीम कोर्ट ने पूरे वर्ष के लिए प्रतिबंध को बरकरार रखा।

🌍 क्या पूरे देश में लागू होगा प्रतिबंध?

12 सितंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि अगर दिल्ली के नागरिकों को स्वच्छ हवा का अधिकार है, तो यह अधिकार पूरे देश के नागरिकों को क्यों नहीं मिलना चाहिए? मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “मैं पिछले साल अमृतसर गया था, वहां का प्रदूषण दिल्ली से भी ज्यादा था। अगर पटाखों पर प्रतिबंध लगाना है, तो पूरे देश में लगना चाहिए”।

⚠️ प्रतिबंध के बावजूद अवैध बिक्री जारी

हालांकि प्रतिबंध लागू है, लेकिन हर साल दिवाली के दौरान दिल्ली में अवैध रूप से पटाखों की बिक्री और उपयोग देखा जाता है। इससे न केवल कानून का उल्लंघन होता है, बल्कि वायु गुणवत्ता भी गंभीर रूप से प्रभावित होती है।

🏭 पटाखा उद्योग की चिंता और कोर्ट की संतुलित दृष्टिकोण

पटाखा निर्माताओं ने कोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें निर्माण की अनुमति दी जाए, ताकि उनके उद्योग और कर्मचारियों की आजीविका प्रभावित न हो। कोर्ट ने इस पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए निर्माण की अनुमति दी, लेकिन बिक्री पर रोक बरकरार रखी।

🧾 कोर्ट की टिप्पणी:

  • पूर्ण प्रतिबंध से अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है (जैसे बिहार में खनन प्रतिबंध के बाद माफिया सक्रिय हुए)।
  • आर्थिक हितों और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन जरूरी है।

🏛️ केंद्र सरकार को दिए गए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह दिल्ली सरकार, निर्माताओं, विक्रेताओं और अन्य हितधारकों से परामर्श करके पटाखों पर प्रतिबंध की नीति पर पुनर्विचार करे। कोर्ट ने कहा कि एक समग्र और संतुलित नीति तैयार की जाए, जिसे अगली सुनवाई में प्रस्तुत किया जा सके।

📊 पटाखों पर प्रतिबंध से जुड़े प्रमुख बिंदु

✅ क्या अनुमति है:

  • केवल ग्रीन पटाखों का निर्माण।
  • निर्माण की अनुमति केवल NEERI और PESO प्रमाणित निर्माताओं को।

❌ क्या प्रतिबंधित है:

  • दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री।
  • भंडारण और वितरण।

❓ FAQs

Q1: क्या दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित है?

हाँ, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और भंडारण पर पूर्ण प्रतिबंध बरकरार रखा है।

Q2: क्या ग्रीन पटाखों का निर्माण किया जा सकता है?

हाँ, लेकिन केवल उन्हीं निर्माताओं को अनुमति है जिनके पास NEERI और PESO का प्रमाणपत्र है।

Q3: क्या यह प्रतिबंध पूरे भारत में लागू होगा?

फिलहाल यह प्रतिबंध केवल दिल्ली-एनसीआर में लागू है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में समान नीति की आवश्यकता पर जोर दिया है।

Q4: अगली सुनवाई कब होगी?

अगली सुनवाई 8 अक्टूबर 2025 को निर्धारित की गई है।

Q5: क्या पटाखा उद्योग को राहत मिल सकती है?

कोर्ट ने निर्माण की अनुमति देकर उद्योग को आंशिक राहत दी है, लेकिन बिक्री पर रोक अभी भी लागू है।

🧾 निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ग्रीन पटाखों के निर्माण की सीमित अनुमति से जहां उद्योग को राहत मिली है, वहीं बिक्री पर प्रतिबंध से पर्यावरण सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। अब केंद्र सरकार पर है कि वह सभी हितधारकों से परामर्श कर एक संतुलित नीति प्रस्तुत करे।

External Source: Patrika Report

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