दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत कौन? DSS सिस्टम से खुलासा

🔍 परिचय: दिल्ली में सर्दियों के आगमन से पहले वायु प्रदूषण पर नियंत्रण की कवायद तेज हो गई है। इसी क्रम में राजधानी में एक बार फिर Decision Support System (DSS) को सक्रिय किया गया है, जो प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करता है।

🌫️ DSS क्या है और कैसे करता है काम?

भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे द्वारा विकसित DSS एक संख्यात्मक मॉडल पर आधारित प्रणाली है। इसका उद्देश्य वायु में मौजूद सूक्ष्म कण पदार्थ—PM2.5 और PM10—के स्रोतों की पहचान करना और उनके दैनिक योगदान का अनुमान लगाना है।

⚙️ DSS की कार्यप्रणाली:

  • 10 किलोमीटर के ग्रिड अंतराल पर आधारित मॉडल
  • अगले 5 दिनों (120 घंटे) तक का प्रदूषण पूर्वानुमान
  • दिल्ली और आसपास के 19 जिलों से उत्सर्जन का विश्लेषण
  • 8 प्रमुख स्थानीय स्रोतों की पहचान
  • पराली जलाने जैसी बाहरी गतिविधियों का प्रभाव मूल्यांकन

📊 ताज़ा आंकड़ों से क्या पता चला?

5 अक्टूबर 2025 को जारी DSS डेटा के अनुसार:

  1. परिवहन क्षेत्र: 16.96% PM2.5 प्रदूषण का योगदान
  2. आवासीय उत्सर्जन: 4.28%
  3. औद्योगिक स्रोत: 3.11%
  4. पराली जलाना: केवल 0.22% (VIIRS सैटेलाइट से प्राप्त आंकड़े)

📉 DSS डेटा की सटीकता पर सवाल

हालांकि DSS फिलहाल दिल्ली में प्रदूषण स्रोतों की पहचान करने वाला एकमात्र कार्यशील ढांचा है, लेकिन इसकी सटीकता पर सवाल उठे हैं। IITM के अनुसार:

  • DSS अभी भी 2021 के उत्सर्जन डेटा पर आधारित है
  • पिछले चार वर्षों में हुए बदलाव जैसे वाहन संख्या, ईंधन पैटर्न, औद्योगिक गतिविधियाँ इसमें शामिल नहीं हैं
  • वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने 2024 में DSS को अस्थायी रूप से निलंबित किया था

🛠️ सुधार की दिशा में प्रयास:

  • नई उत्सर्जन सूची तैयार की जा रही है
  • DSS में जल्द ही अपडेट किया जाएगा
  • दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने रियल-टाइम स्रोत विभाजन अध्ययन की घोषणा की थी, लेकिन वह अभी तक शुरू नहीं हुआ है

🔮 DSS से मिलने वाले संकेत

DSS के जरिए दिल्ली के प्रदूषण स्रोतों का विश्लेषण किया जाता है:

  • दिल्ली के भीतर 8 प्रमुख क्षेत्रों से प्रदूषण का स्तर
  • पड़ोसी राज्यों से आने वाले प्रदूषण का आकलन
  • पराली जलाने, पटाखों और मौसमी कारकों का तुलनात्मक विश्लेषण

📈 पूर्वानुमान प्रणाली की प्रभावशीलता

ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (CEEW) के अनुसार:

  • 2023-24 की सर्दियों में 92 में से 83 बार सही पूर्वानुमान
  • 2024-25 में 58 में से 54 बार सटीक भविष्यवाणी
  • गंभीर AQI (>400) वाले दिनों की पहचान में भी सुधार

🧠 DSS को सालभर क्यों चलाना चाहिए?

विशेषज्ञों का मानना है कि DSS को केवल सर्दियों तक सीमित न रखकर पूरे वर्ष सक्रिय रखना चाहिए। इसके फायदे:

  • प्रदूषण स्रोतों की निरंतर निगरानी
  • नीति निर्माण में वैज्ञानिक आधार
  • समय रहते नियंत्रण उपायों की योजना

🧪 DSS की तकनीकी विशेषताएं

  • मौसम, आग की घटनाएं और ईंधन उपयोग के आंकड़ों का समन्वय
  • सैटेलाइट आधारित निगरानी (VIIRS)
  • ग्रिड आधारित मॉडलिंग
  • रीयल-टाइम डेटा विश्लेषण

❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

DSS क्या है?

DSS यानी Decision Support System एक मॉडल है जो दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करता है।

DSS कितने सटीक पूर्वानुमान देता है?

CEEW के अनुसार, DSS ने पिछले दो वर्षों में 80% से अधिक सटीकता से प्रदूषण की भविष्यवाणी की है।

DSS पूरे साल क्यों नहीं चलता?

फिलहाल DSS केवल सर्दियों में सक्रिय रहता है, लेकिन विशेषज्ञ इसे सालभर चलाने की सिफारिश करते हैं।

पराली जलाने का कितना योगदान है?

अभी के आंकड़ों के अनुसार, पराली जलाने का योगदान केवल 0.22% है।

🧾 निष्कर्ष

दिल्ली में सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन जाती है। DSS प्रणाली इस चुनौती से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी उपकरण है, जो वैज्ञानिक डेटा के आधार पर प्रदूषण स्रोतों की पहचान करता है। हालांकि इसकी सटीकता को लेकर सवाल हैं, लेकिन यह फिलहाल राजधानी में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सबसे प्रभावी प्रणाली बनी हुई है।

External Source: Patrika Report

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