दिल्ली सरकार ने बदला लाउडस्पीकर नियम, रामलीला-दुर्गा पूजा अब रात 12 बजे तक

दिल्ली में धार्मिक आयोजनों को मिली राहत: अब रात 12 बजे तक बज सकेंगे लाउडस्पीकर

दिल्ली सरकार ने नवरात्रि और दशहरा के अवसर पर धार्मिक आयोजनों के लिए लाउडस्पीकर नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब राजधानी में रामलीला, दुर्गा पूजा और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रात 12 बजे तक लाउडस्पीकर बजाने की अनुमति दी गई है। यह निर्णय 22 सितंबर से 3 अक्टूबर तक लागू रहेगा।

🕉️ हिंदू त्योहारों के लिए विशेष छूट: क्या है नया नियम?

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा करते हुए कहा कि हिंदू धार्मिक आयोजनों को समय की सीमाओं में बांधना उचित नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि रामलीला और दुर्गा पूजा जैसे आयोजन रात 10 बजे समाप्त नहीं हो सकते।

🔹 नया नियम:

  • लाउडस्पीकर की समय सीमा रात 10 बजे से बढ़ाकर 12 बजे तक की गई।
  • यह छूट केवल 22 सितंबर से 3 अक्टूबर तक लागू रहेगी।
  • आयोजकों को ध्वनि प्रदूषण मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा।

📢 मुख्यमंत्री का बयान: “दिल्लीवालों का क्या कसूर?”

रेखा गुप्ता ने कहा, “जब गुजरात में डांडिया पूरी रात चल सकता है, जब अन्य राज्यों में धार्मिक कार्यक्रम रातभर चलते हैं, तो दिल्ली में क्यों नहीं?” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह निर्णय धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं के सम्मान में लिया गया है।

🛑 पहले क्या था नियम?

दिल्ली में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकर के उपयोग पर प्रतिबंध था। इसके लिए पुलिस से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य था।

🔸 पुराने नियम:

  1. रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर पर पूर्ण प्रतिबंध।
  2. अनुमति के बिना पब्लिक एड्रेस सिस्टम का उपयोग वर्जित।
  3. ध्वनि स्तर 45 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए।

🧾 पहले भी मिली थी छूट: केजरीवाल सरकार का संदर्भ

2023 में आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी रामलीला और दुर्गा पूजा के आयोजनों में लाउडस्पीकर के उपयोग के लिए विशेष छूट दी थी। उस समय भी धार्मिक आयोजनों को समय सीमा से बाहर रखने की मांग उठी थी।

🛠️ आयोजन समितियों को मिली सहूलियत: सिंगल विंडो सिस्टम

इस बार दिल्ली सरकार ने आयोजकों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया है, जिससे उन्हें बिजली, अनुमति पत्र और अन्य सुविधाएं एक ही जगह से मिल सकेंगी।

✅ लाभ:

  • अलग-अलग विभागों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
  • आयोजन की तैयारी में तेजी आएगी।
  • प्रशासनिक प्रक्रिया सरल होगी।

🌃 राजधानी में उत्सव का माहौल: नवरात्रि से दशहरा तक

दिल्ली की गलियां इन दिनों भक्ति और उल्लास से सराबोर हैं। दुर्गा पूजा पंडालों में पारंपरिक सजावट, रंगीन लाइट्स और भजन-कीर्तन की गूंज सुनाई दे रही है। रामलीला मंचन भी पूरे जोश के साथ चल रहा है।

🎉 प्रमुख आयोजन:

  • चितरंजन पार्क दुर्गा पूजा समिति
  • लाल किला रामलीला मैदान
  • करोल बाग डांडिया नाइट्स

🌿 पर्यावरण मंत्री का बयान: “आस्था का सम्मान, नियमों का पालन”

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह छूट धार्मिक आस्था का सम्मान करती है, लेकिन आयोजकों को ध्वनि प्रदूषण के नियमों का पालन करना होगा।

🔸 शर्तें:

  • आवासीय क्षेत्रों में ध्वनि स्तर 45 dB(A) से अधिक नहीं होना चाहिए।
  • स्थानीय लोगों को असुविधा नहीं होनी चाहिए।
  • समय सीमा का पालन अनिवार्य है।

🌐 External Source: Patrika Report

📊 धार्मिक आयोजनों पर समय सीमा का प्रभाव: विश्लेषण

धार्मिक आयोजनों में समय सीमा बढ़ाने से आयोजकों को कार्यक्रमों की गुणवत्ता सुधारने का अवसर मिलेगा। साथ ही, श्रद्धालुओं को भी भक्ति में डूबने का अधिक समय मिलेगा।

📌 संभावित प्रभाव:

  • सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति बेहतर होगी।
  • स्थानीय व्यापारियों को लाभ मिलेगा।
  • धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

📋 आयोजन समितियों के लिए दिशानिर्देश

दिल्ली सरकार ने सभी आयोजन समितियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं:

  1. ध्वनि स्तर नियंत्रित रखें।
  2. अनुमति पत्र साथ रखें।
  3. कार्यक्रम निर्धारित समय पर समाप्त करें।
  4. स्थानीय प्रशासन से समन्वय बनाए रखें।

❓ FAQs

Q1. दिल्ली में लाउडस्पीकर की नई समय सीमा क्या है? A1. अब धार्मिक आयोजनों में रात 12 बजे तक लाउडस्पीकर बजाने की अनुमति है।

Q2. यह छूट कब तक लागू रहेगी? A2. यह छूट 22 सितंबर से 3 अक्टूबर तक लागू रहेगी।

Q3. क्या आयोजकों को अनुमति लेनी होगी? A3. हां, आयोजकों को दिल्ली पुलिस से पूर्व अनुमति लेनी अनिवार्य है।

Q4. क्या ध्वनि प्रदूषण नियमों का पालन जरूरी है? A4. बिल्कुल, आवासीय क्षेत्रों में ध्वनि स्तर 45 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए।

🧾 निष्कर्ष: धार्मिक आस्था और प्रशासनिक संतुलन की पहल

दिल्ली सरकार का यह निर्णय धार्मिक आयोजनों को अधिक समय देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इससे न केवल आयोजकों को राहत मिलेगी, बल्कि श्रद्धालुओं को भी भक्ति और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेने का अवसर मिलेगा। हालांकि, नियमों का पालन सुनिश्चित करना सभी की जिम्मेदारी है।

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