देश में निजी प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से रोजगार दिलाने के नाम पर हो रही धोखाधड़ी और कर्मचारियों के शोषण को रोकने के लिए मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार अब एक नया कानून लाने जा रही है, जिससे इन एजेंसियों की गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखी जा सकेगी।
🏛️ मोदी सरकार का एक्शन प्लान: रोजगार धोखाधड़ी पर कड़ा प्रहार
केंद्र सरकार ने निजी प्लेसमेंट एजेंसियों को रेगुलेट करने के लिए “प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसी रेगुलेशन बिल” का मसौदा तैयार कर लिया है। इस विधेयक का उद्देश्य रोजगार दिलाने के नाम पर हो रही धोखाधड़ी, अवैध वसूली और कर्मचारियों के शोषण को रोकना है।
🔍 विधेयक की प्रमुख बातें:
- हितधारकों से सुझाव और टिप्पणियां लेने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
- श्रम मंत्रालय जल्द ही इसे संसद में पेश करेगा।
- बिल में पारदर्शिता, जवाबदेही और शिकायत निवारण के लिए ठोस प्रावधान होंगे।
📉 शोषण की मौजूदा स्थिति: एक चिंताजनक तस्वीर
देशभर में करोड़ों लोग निजी प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से रोजगार प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन इनके लिए कोई ठोस नियामक व्यवस्था नहीं है। इससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
⚠️ आम शोषण के तरीके:
- ₹10,000–₹15,000 वेतन में से कमीशन की कटौती।
- न्यूनतम वेतन से कम भुगतान।
- बीमा, पीएफ और अन्य लाभों से वंचित।
- काम के घंटे अधिक, लेकिन वेतन स्थिर।
- विदेशों में रोजगार दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी।
- संविदा कर्मचारियों के लिए कोई शिकायत तंत्र नहीं।
📜 विधेयक में प्रस्तावित प्रावधान: पारदर्शिता और सुरक्षा की गारंटी
नए कानून में कई सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं, जो एजेंसियों की जवाबदेही तय करेंगे।
📌 प्रमुख प्रावधान:
- राज्य और केंद्र स्तर पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य।
- आवेदक और नियोक्ता की जानकारी इंटीग्रेटेड करियर सर्विस पोर्टल पर अपलोड करना होगा।
- भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और उचित शुल्क की जांच।
- विदेशों में प्लेसमेंट के लिए इमिग्रेशन मंजूरी अनिवार्य।
- केंद्रीय प्लेसमेंट सपोर्ट प्राधिकरण की स्थापना।
- नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना और जेल की सजा।
🏞️ राज्यों में स्थिति: एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में गंभीर हालात
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में निजी प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या एक करोड़ से अधिक है।
📊 राज्यवार आंकड़े:
- मध्यप्रदेश: 4 लाख कर्मचारी सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग पर कार्यरत।
- छत्तीसगढ़: लगभग 1 लाख कर्मचारी।
- राजस्थान: करीब 2 लाख कर्मचारी, जिनमें से कई खाड़ी देशों में भेजे गए हैं।
राजस्थान में खाड़ी देशों में रोजगार दिलाने के नाम पर युवाओं को ठगने और विदेश में फंसा देने की घटनाएं आम हो गई हैं।
✊ कर्मचारी संगठन का संघर्ष: न्याय की मांग
शोषण झेल रहे कर्मचारियों ने अब संगठित होकर अपनी आवाज उठानी शुरू कर दी है।
🗣️ संगठन और उनके प्रतिनिधि:
- छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय प्लेसमेंट कर्मचारी संघ के कार्यकारी अध्यक्ष संजय एड़े ने बताया कि कर्मचारी कम वेतन, शोषण और नौकरी की अनिश्चितता से जूझ रहे हैं।
- मध्यप्रदेश के ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स संयुक्त संघर्ष मोर्चा के संयोजक मनोज भार्गव ने कहा कि आउटसोर्स एजेंसियां सेवा नियमों का उल्लंघन कर रही हैं और सरकार की ओर से कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई है।
🌐 अंतरराष्ट्रीय रोजगार में धोखाधड़ी: विदेश में फंसते युवा
विदेशों में नौकरी दिलाने के नाम पर कई एजेंसियां युवाओं से मोटी रकम वसूलती हैं, लेकिन बाद में उन्हें फर्जी दस्तावेजों के साथ भेज दिया जाता है। इससे वे विदेश में कानूनी पचड़ों में फंस जाते हैं।
🌍 प्रमुख समस्याएं:
- इमिग्रेशन मंजूरी के बिना विदेश भेजना।
- फर्जी वीजा और दस्तावेज।
- विदेश में काम की शर्तों का उल्लंघन।
- कानूनी सहायता का अभाव।
External Source: https://www.patrika.com
🧭 सरकार का लक्ष्य: पारदर्शी और सुरक्षित रोजगार प्रणाली
सरकार का उद्देश्य है कि हर नागरिक को सुरक्षित, पारदर्शी और न्यायसंगत रोजगार मिले। इसके लिए नियामक संस्था की स्थापना की जा रही है जो शिकायतों का समाधान करेगी और नियमों की निगरानी रखेगी।
🎯 अपेक्षित लाभ:
- रोजगार प्रक्रिया में पारदर्शिता।
- कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा।
- एजेंसियों की जवाबदेही तय होगी।
- धोखाधड़ी पर सख्त कार्रवाई संभव होगी।
❓ FAQs
❓ नया कानून कब लागू होगा?
सरकार ने विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया है और जल्द ही इसे संसद में पेश किया जाएगा।
❓ क्या सभी प्लेसमेंट एजेंसियों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा?
हां, राज्य और केंद्र स्तर पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
❓ क्या विदेश में नौकरी दिलाने वाली एजेंसियों पर भी यह कानून लागू होगा?
जी हां, विदेश में प्लेसमेंट के लिए इमिग्रेशन मंजूरी अनिवार्य होगी।
❓ क्या कर्मचारियों को शिकायत करने का अधिकार मिलेगा?
केंद्रीय प्लेसमेंट सपोर्ट प्राधिकरण शिकायतों का समाधान करेगा।
🔚 निष्कर्ष: रोजगार प्रणाली में सुधार की दिशा में बड़ा कदम
मोदी सरकार का यह प्रस्तावित कानून देश की रोजगार प्रणाली को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल धोखाधड़ी पर रोक लगेगी, बल्कि कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित होगी
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