प्रस्तावना: ऑपरेशन सर्चलाइट की भयावहता फिर चर्चा में
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में महिलाओं की सुरक्षा पर हुई बहस के दौरान भारत ने पाकिस्तान को उसके ही अतीत की याद दिलाई। भारत ने 1971 में पाकिस्तान द्वारा पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में चलाए गए ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ का ज़िक्र करते हुए 4 लाख महिलाओं के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और नरसंहार की ओर ध्यान दिलाया।
🧨 ऑपरेशन सर्चलाइट: एक सुनियोजित सैन्य अभियान
1971 में पाकिस्तान सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने के लिए एक सैन्य अभियान चलाया जिसे ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ नाम दिया गया। इस अभियान का उद्देश्य था:
- अवामी लीग के नेताओं को गिरफ्तार करना या मारना
- छात्र नेताओं और बुद्धिजीवियों को निशाना बनाना
- स्वतंत्रता की मांग कर रहे आम नागरिकों को डराना
- महिलाओं को यौन हिंसा का शिकार बनाना
इस अभियान की शुरुआत 25 मार्च 1971 की रात को ढाका में हुई थी, जब पाकिस्तानी सेना ने अचानक हमला बोल दिया।
🧠 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: क्यों हुआ ऑपरेशन सर्चलाइट?
🗓️ 1970 के चुनाव और बंगाली असंतोष
1970 में हुए आम चुनावों में अवामी लीग को भारी बहुमत मिला, लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान की सरकार ने सत्ता हस्तांतरण से इनकार कर दिया। इससे पूर्वी पाकिस्तान में असंतोष बढ़ा और स्वतंत्रता की मांग तेज हो गई।
🤝 शेख मुजीब और याह्या खान की विफल बैठक
25 मार्च 1971 को शेख मुजीबुर रहमान और राष्ट्रपति याह्या खान के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही। उसी रात पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन शुरू कर दिया।
🔥 जनरल टिक्का खान: ‘बंगाल का कसाई’
इस अभियान की अगुवाई जनरल टिक्का खान ने की, जिन्हें बाद में ‘बंगाल का कसाई’ कहा गया। उनके नेतृत्व में सेना ने:
- ढाका विश्वविद्यालय पर हमला किया
- हजारों छात्रों और शिक्षकों को मार डाला
- महिलाओं को कैद कर उनके साथ बार-बार बलात्कार किया
- गांवों को जलाया और लाखों लोगों को मार डाला
📊 ऑपरेशन सर्चलाइट के भयावह आंकड़े
- अनुमानित 30 लाख लोग मारे गए
- 4 लाख से अधिक महिलाओं के साथ बलात्कार
- 1 करोड़ से अधिक लोग भारत में शरणार्थी बने
- हजारों गांवों को नष्ट किया गया
🧭 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत की भूमिका
🇮🇳 भारत का हस्तक्षेप
भारत ने शरणार्थियों को आश्रय दिया और अंततः दिसंबर 1971 में सैन्य हस्तक्षेप कर बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई। भारतीय सेना ने ढाका में पाकिस्तान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया।
🌐 संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र ने इस नरसंहार को ‘Genocide’ की श्रेणी में रखा। Resolution 1430 (1971) के तहत इसे मानवाधिकार उल्लंघन माना गया।
🗣️ संयुक्त राष्ट्र में भारत का जवाब
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा:
“एक देश जो अपने ही नागरिकों पर बमबारी करता है, महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार करता है, वह केवल दुनिया को गुमराह करने की कोशिश कर सकता है।”
उन्होंने पाकिस्तान द्वारा कश्मीरी महिलाओं की दुर्दशा पर उठाए गए सवालों को ‘भ्रमपूर्ण हमला’ बताया।
📍 ऑपरेशन सर्चलाइट की प्रमुख घटनाएं
- 25 मार्च 1971 – ढाका में अचानक हमला
- 26 मार्च 1971 – शेख मुजीब ने स्वतंत्रता की घोषणा
- अप्रैल–मई 1971 – पूरे पूर्वी पाकिस्तान में हिंसा फैली
- 16 दिसंबर 1971 – पाकिस्तान ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया
📚 मीडिया रिपोर्ट्स और दस्तावेज़
ब्रिटिश पत्रकार एंथनी मास्करेनहास ने 13 जून 1971 को ‘Sunday Times’ में ऑपरेशन सर्चलाइट की पहली विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी। उन्होंने लिखा:
“यह एक सुनियोजित नरसंहार था, जिसमें महिलाओं को युद्ध के हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया।”
❓ FAQs
Q1. ऑपरेशन सर्चलाइट कब शुरू हुआ था?
25 मार्च 1971 की रात को पाकिस्तानी सेना ने ढाका में हमला शुरू किया।
Q2. कितनी महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ था?
लगभग 4 लाख महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार की घटनाएं दर्ज की गईं।
Q3. भारत ने क्या भूमिका निभाई थी?
भारत ने शरणार्थियों को आश्रय दिया और दिसंबर 1971 में सैन्य हस्तक्षेप कर बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई।
Q4. ऑपरेशन सर्चलाइट का उद्देश्य क्या था?
बंगाली स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलना और अवामी लीग के नेताओं को खत्म करना।
🔚 निष्कर्ष: इतिहास की सबसे भयावह घटनाओं में से एक
ऑपरेशन सर्चलाइट केवल एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि यह मानवता के खिलाफ एक संगठित अपराध था। महिलाओं के साथ जो हुआ, वह युद्ध की क्रूरता की पराकाष्ठा थी। आज जब पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं की सुरक्षा की बात करता है, तो उसे अपने अतीत की ओर भी देखना चाहिए।
External Source: Patrika Report
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