पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 29 सितंबर से शुरू हुई अवामी एक्शन कमेटी (AAC) की हड़ताल ने पूरे क्षेत्र को उबाल पर ला दिया है। राजनीतिक अधिकारों और आर्थिक सुविधाओं की मांग को लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इंटरनेट बंद, सेना की गोलीबारी और असफल वार्ताओं ने इस आंदोलन को और भड़का दिया है।
🔥 विरोध की चिंगारी: दशकों की उपेक्षा का नतीजा
पाक अधिकृत कश्मीर में यह आंदोलन अचानक नहीं फूटा, बल्कि यह वर्षों की राजनीतिक और आर्थिक उपेक्षा का परिणाम है। AAC—a नागरिक संगठन—ने इस विरोध की अगुवाई की है, जिसमें लाखों स्थानीय नागरिक शामिल हो चुके हैं।
✊ प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें
AAC ने 38 बिंदुओं की मांग सूची जारी की है, जिसमें प्रमुख मुद्दे शामिल हैं:
- पाकिस्तानी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों को हटाना
- मंगला जलविद्युत परियोजना से सस्ती बिजली की मांग
- सस्ता आटा और अन्य आवश्यक वस्तुओं पर सब्सिडी
- लंबे समय से रुके सुधारों को लागू करना
- स्थानीय प्रतिनिधित्व को मजबूत करना
AAC के नेता शौकत नवाज मीर ने कहा,
“यह किसी संस्था के खिलाफ नहीं, बल्कि 70 सालों की वंचना के खिलाफ है। या तो हक दो, वरना गुस्से का सामना करो।”
📍 विरोध की व्यापकता: मुजफ्फराबाद से रावलाकोट तक
हड़ताल का असर पूरे PoK में देखा गया। मुजफ्फराबाद, कोटली, रावलाकोट, मीरपुर और नेलम घाटी जैसे क्षेत्रों में:
- दुकानें बंद रहीं
- यातायात ठप रहा
- सड़कों पर नारेबाजी और तख्तियों के साथ प्रदर्शन
- सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में सेना के खिलाफ नारे
🚫 इंटरनेट बंद और सेना की तैनाती
सरकार की प्रतिक्रिया बेहद सख्त रही। रविवार आधी रात से इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं ताकि खबरें बाहर न फैलें। इसके साथ ही:
- हजारों सैनिकों की तैनाती की गई
- शहरों के प्रवेश और निकास बिंदु सील किए गए
- सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया गया
इस कदम को AAC ने “सूचना पर हमला” बताया।
🔫 सेना की गोलीबारी से तनाव चरम पर
सोमवार को प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तानी सेना ने भीड़ पर गोलीबारी की, जिससे कई नागरिक घायल हो गए। रिपोर्ट्स के अनुसार:
- चार निर्दोष लोग गोली लगने से घायल हुए
- प्रदर्शनकारियों ने दो सैन्य अधिकारियों को पकड़ लिया
- कोटली में आंसू गैस का प्रयोग किया गया
यह दमन आंदोलन को और भड़काने वाला साबित हुआ।
🗣️ वार्ता विफल: तीन घंटे की बैठक बेनतीजा
AAC, PoK प्रशासन और संघीय मंत्रियों के बीच तीन घंटे की बैठक हुई, लेकिन कोई सहमति नहीं बनी। AAC ने कहा:
- कुलीन वर्ग के विशेषाधिकार और शरणार्थी सीटों पर कोई समझौता नहीं होगा
- हड़ताल जारी रहेगी
- बातचीत अधर में लटक गई
🌍 अंतरराष्ट्रीय नजरें और इस्लामाबाद की रणनीति
इस आंदोलन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप में PoK प्रवासी समुदाय भी प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। वहीं इस्लामाबाद का फोकस आंदोलन को दबाने पर है।
🌐 संभावित अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
- मानवाधिकार संगठनों की नजरें इस आंदोलन पर
- पाकिस्तान की छवि पर असर
- संयुक्त राष्ट्र में मुद्दा उठने की संभावना
📊 आंदोलन की गहराई: सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि
PoK के लोग लंबे समय से महंगाई, बेरोजगारी और राजनीतिक उपेक्षा से जूझ रहे हैं। AAC की मांगें आम आदमी की जिंदगी से जुड़ी हैं।
📌 प्रमुख सामाजिक समस्याएं
- बेरोजगारी दर में वृद्धि
- बिजली और आटा जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ी
- शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी
- स्थानीय संसाधनों का बाहरी शोषण
🧠 विश्लेषण: क्या यह आंदोलन आज़ादी की ओर संकेत है?
AAC ने स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन किसी संस्था के खिलाफ नहीं, बल्कि अधिकारों की मांग है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि:
- यह आंदोलन भविष्य में आज़ादी की मांग में बदल सकता है
- राजनीतिक ढांचे पर सीधा सवाल उठाया गया है
- शरणार्थी सीटों का मुद्दा इस्लामाबाद के नियंत्रण को चुनौती देता है
📌 आंदोलन का असर: व्यापार, शिक्षा और जनजीवन प्रभावित
हड़ताल के कारण:
- स्कूल और कॉलेज बंद
- व्यापारिक गतिविधियां ठप
- परिवहन सेवाएं बाधित
- नागरिकों में भय और असमंजस
❓FAQs
❓ PoK में हड़ताल कब शुरू हुई?
हड़ताल 29 सितंबर 2025 को अवामी एक्शन कमेटी द्वारा शुरू की गई।
❓ AAC की प्रमुख मांगें क्या हैं?
38 बिंदुओं की सूची में विधानसभा सीटों का पुनर्गठन, सस्ती बिजली, आटा सब्सिडी और सुधारों की मांग शामिल है।
❓ क्या इंटरनेट सेवाएं बंद हैं?
जी हां, रविवार आधी रात से इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं।
❓ क्या प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं?
कुछ क्षेत्रों में सेना की गोलीबारी और आंसू गैस के प्रयोग से हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं।
🧾 निष्कर्ष: PoK में उबाल, सुधारों की मांग तेज
पाक अधिकृत कश्मीर में AAC की अगुवाई में शुरू हुआ आंदोलन अब एक बड़े जन आंदोलन का रूप ले चुका है। राजनीतिक अधिकारों, आर्थिक सुविधाओं और स्थानीय प्रतिनिधित्व की मांग ने इस्लामाबाद को चुनौती दी है। अगर सरकार ने समय रहते सुधार नहीं किए, तो यह आंदोलन और व्यापक हो सकता है।
External Source: Patrika Report
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