फसल बीमा क्लेम विवाद: 11 हजार किसानों की शिकायत पर सरकार सक्रिय

खंडवा जिले में खरीफ सीजन की फसल क्षति को लेकर हजारों किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत क्लेम सर्वे की मांग की है। 11 हजार से अधिक किसानों ने केंद्र सरकार के टोल फ्री नंबर 14447 पर शिकायत दर्ज कराई है, जिसके बाद प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है।

Sources: https://www.patrika.com/

📞 टोल फ्री नंबर पर शिकायतों की बाढ़

🔍 किसानों की मुख्य मांगें

  • सोयाबीन, कपास और मक्का की फसलों का बीमा क्लेम सर्वे कराया जाए।
  • पटवारी स्तर पर जमीनी सर्वे हो, ताकि वास्तविक नुकसान का आंकलन हो सके।
  • खाद घोटाले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
  • कपास पंजीयन की अंतिम तिथि बढ़ाई जाए।

🧾 शिकायतों का विवरण

  • केंद्र सरकार के टोल फ्री नंबर 14447 पर 11,000 से अधिक किसानों ने शिकायत दर्ज कराई।
  • बीमा कंपनी को अब तक 6,500 किसानों की शिकायतें प्राप्त हुई हैं।
  • कृषि विभाग की टीम ने सर्वे रिपोर्ट ऑनलाइन अपलोड कर दी है।

🌧️ बारिश से 80 हजार हेक्टेयर फसलें प्रभावित

खंडवा जिले में खरीफ सीजन के दौरान भारी बारिश ने फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचाया है। किसानों का दावा है कि लगभग 80,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें प्रभावित हुई हैं, जबकि प्रशासनिक आंकलन में यह संख्या मात्र 16,000 हेक्टेयर बताई गई है।

📊 फसल बोवनी का क्षेत्रफल

फसलबोवनी क्षेत्र (हेक्टेयर)
सोयाबीन2.10 लाख
कपास50–55 हजार
मक्का75 हजार
कुल3.20 लाख

🧑‍🌾 किसानों का आंदोलन तेज

भारतीय किसान संघ (भाकिसं) ने खाद घोटाले, बीमा क्लेम और कपास पंजीयन की समस्याओं को लेकर कलेक्टर कार्यालय पर धरना दिया। किसानों ने दस सूत्रीय मांग पत्र सौंपते हुए चेतावनी दी कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन जारी रहेगा।

📋 दस सूत्रीय मांगें

  1. पटवारी स्तर पर फसल सर्वे कराया जाए।
  2. खाद घोटाले की उच्च स्तरीय जांच हो।
  3. दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
  4. कपास पंजीयन की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर तक बढ़ाई जाए।
  5. अंशपूंजी हेराफेरी की जांच हो।
  6. बीमा क्लेम प्रक्रिया पारदर्शी बनाई जाए।
  7. किसानों को समय पर खाद उपलब्ध कराया जाए।
  8. जलभराव से प्रभावित फसलों का विशेष सर्वे हो।
  9. बीमा कंपनी की जवाबदेही तय की जाए।
  10. किसानों को मुआवजा शीघ्र दिया जाए।

🧪 खाद घोटाले पर सवाल और गोलमोल जवाब

धरना स्थल पर पहुंचे जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के सीईओ आलोक यादव से किसानों ने खाद की अनुपलब्धता पर सवाल किए। जब सोसायटियों पर खाद नहीं मिल रही थी, तब जांच क्यों नहीं हुई—इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला।

📅 कपास पंजीयन की तिथि बढ़ाने की मांग

सेवा सहकारी समिति पिपलानी के किसानों ने 270 किसानों की अंशपूंजी में हेराफेरी का आरोप लगाया और राशि लौटाने की मांग की। साथ ही कपास पंजीयन की अंतिम तिथि 30 सितंबर से बढ़ाकर 30 अक्टूबर करने की मांग की गई।

🧾 बीमा क्लेम में मान्य और अमान्य शिकायतें

बीमा कंपनी के जिला प्रबंधक राहुल सोनी ने स्पष्ट किया कि केवल बारिश और बाढ़ से प्रभावित फसलों की शिकायतें ही मान्य होंगी। अन्य कारणों जैसे पीला मोजेक रोग, सीड्स रोग आदि के आधार पर की गई शिकायतें रिजेक्ट की जाएंगी।

✅ मान्य शिकायतें

  • बारिश से खराब हुई फसलें
  • जलभराव से प्रभावित फसलें

❌ अमान्य शिकायतें

  • पीला मोजेक रोग
  • बीज जनित रोग
  • अन्य कारण

🏛️ प्रशासनिक हलचल और भोपाल बुलावा

प्रशासन द्वारा प्रारंभिक आंकलन में केवल 16 हजार हेक्टेयर फसलें प्रभावित बताई गई हैं, जबकि किसानों का दावा 80 हजार हेक्टेयर का है। इस विरोधाभास के चलते डीडीए खंडवा को भोपाल तलब किया गया है।

🌐 प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की भूमिका

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई के लिए शुरू की गई थी। योजना के तहत किसानों को बीमा क्लेम के लिए टोल फ्री नंबर 14447 पर शिकायत दर्ज करने की सुविधा दी गई है।

❓ FAQs

Q1: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत शिकायत कैसे दर्ज करें?

A1: किसान टोल फ्री नंबर 14447 पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

Q2: कौन-कौन सी फसलें बीमा योजना के अंतर्गत आती हैं?

A2: सोयाबीन, कपास, मक्का सहित अन्य खरीफ और रबी फसलें योजना के अंतर्गत आती हैं।

Q3: बीमा क्लेम के लिए कौन-सी शिकायतें मान्य हैं?

A3: केवल बारिश और बाढ़ से प्रभावित फसलों की शिकायतें मान्य होती हैं।

Q4: कपास पंजीयन की अंतिम तिथि क्या है?

A4: किसान संघ ने तिथि को 30 अक्टूबर तक बढ़ाने की मांग की है।

🔚 निष्कर्ष

खंडवा जिले में खरीफ सीजन की फसल क्षति को लेकर किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है। 11 हजार से अधिक किसानों की शिकायतों के बाद सरकार ने सर्वे प्रक्रिया को गति दी है। हालांकि, प्रशासनिक आंकलन और किसानों के दावों में बड़ा अंतर है। खाद घोटाले और बीमा क्लेम की पारदर्शिता को लेकर आंदोलन तेज हो रहा है। आने वाले दिनों में सरकार की कार्रवाई और किसानों की संतुष्टि इस मुद्दे का समाधान तय करेगी।

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