बचपन में हाई ब्लड प्रेशर को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन एक नई अंतरराष्ट्रीय रिसर्च ने इस धारणा को चुनौती दी है। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया है कि सात साल की उम्र में बढ़ा हुआ बीपी व्यक्ति को 50 की उम्र से पहले दिल की बीमारी से मौत के खतरे में डाल सकता है।
🔬 रिसर्च का खुलासा: क्या कहती है नई स्टडी?
🧪 अध्ययन का आधार
- यह अध्ययन अमेरिका के Collaborative Perinatal Project (CPP) के तहत 1959 से 1966 के बीच जन्मे 38,000 बच्चों पर किया गया।
- इन बच्चों की ब्लड प्रेशर रीडिंग 7 साल की उम्र में ली गई और फिर उन्हें 50 से 60 साल की उम्र तक ट्रैक किया गया।
- 2016 तक इनमें से 2,837 लोगों की मृत्यु हो चुकी थी, जिनमें से 504 की मौत का कारण हृदय रोग था।
📊 मुख्य निष्कर्ष
- जिन बच्चों का बीपी 90वें परसेंटाइल से ऊपर था, उनमें दिल की बीमारी से मौत का खतरा 40% से 50% तक अधिक पाया गया।
- यहां तक कि जिन बच्चों का बीपी सामान्य सीमा में था लेकिन थोड़ा ऊंचा था, उनमें भी जोखिम 13% से 18% तक बढ़ा हुआ पाया गया।
🧬 बचपन का बीपी क्यों है इतना महत्वपूर्ण?
🩺 विशेषज्ञों की राय
- शोध की प्रमुख लेखिका डॉ. अलेक्सा फ्रीडमैन ने कहा, “बचपन में हाई बीपी का मतलब है कि व्यक्ति के जीवन के अगले पांच दशकों में दिल की बीमारी से मौत का खतरा बढ़ सकता है”।
- अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की विशेषज्ञ डॉ. बोनिता फाल्कनर के अनुसार, यह अध्ययन बच्चों में हाई बीपी की परिभाषा को और सटीक बनाने में मदद करेगा।
🧠 पारिवारिक पृष्ठभूमि का असर
- अध्ययन में 150 भाई-बहनों के समूहों का विश्लेषण किया गया। पाया गया कि जिन बच्चों का बीपी ज्यादा था, उनमें दिल की बीमारी से मौत का खतरा अधिक था, भले ही वे एक ही वातावरण में पले-बढ़े हों।
🍟 बदलती जीवनशैली और बच्चों का स्वास्थ्य
📱 आधुनिक जीवनशैली के खतरे
आज के बच्चों की दिनचर्या में स्क्रीन टाइम, जंक फूड और शारीरिक गतिविधियों की कमी आम हो गई है। इसके कारण मोटापा और हाई बीपी जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
📈 भारत में स्थिति
- एक 2021 सर्वे के अनुसार, भारत में 7% बच्चों और किशोरों में हाई बीपी पाया गया।
- शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा और भी अधिक है, खासकर मोटे बच्चों में यह दर 29% तक पहुंच जाती है।
🛡️ बचाव के उपाय: दिल को बचपन से ही रखें सुरक्षित
✅ बच्चों के लिए हार्ट-हेल्दी आदतें
- नियमित बीपी जांच: साल में कम से कम एक बार बच्चों का ब्लड प्रेशर चेक कराएं।
- संतुलित आहार: कम नमक, कम ट्रांस फैट और अधिक फाइबर युक्त भोजन दें।
- शारीरिक गतिविधि: बच्चों को रोजाना कम से कम 60 मिनट खेलने या व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें।
- स्क्रीन टाइम सीमित करें: मोबाइल और टीवी का समय नियंत्रित करें।
📉 रिसर्च की सीमाएं और आगे की दिशा
⚠️ सीमाएं
- अध्ययन में केवल एक बार बीपी मापा गया, जिससे समय के साथ बदलावों को नहीं देखा जा सका।
- प्रतिभागियों की नस्लीय विविधता सीमित थी, जिससे आज के बच्चों पर इसका असर पूरी तरह नहीं आंका जा सकता।
🔍 आगे की जरूरत
- बच्चों में बीपी की स्पष्ट परिभाषा तय करना।
- भारत जैसे देशों में नियमित स्क्रीनिंग को बढ़ावा देना।
- डॉक्टरों को बच्चों के लिए उपयुक्त बीपी उपकरण और प्रशिक्षण देना।
❓ FAQs
❓ क्या बच्चों में हाई बीपी सामान्य है?
नहीं, लेकिन बदलती जीवनशैली के कारण यह तेजी से बढ़ रहा है।
❓ कितनी उम्र से बच्चों का बीपी चेक करना चाहिए?
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, 3 साल की उम्र से बीपी जांच शुरू होनी चाहिए।
❓ क्या बचपन का हाई बीपी भविष्य में दिल की बीमारी का कारण बन सकता है?
हां, नई रिसर्च के अनुसार यह 50% तक मौत का खतरा बढ़ा सकता है।
❓ बच्चों में बीपी कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?
संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और स्क्रीन टाइम की निगरानी से बीपी नियंत्रित किया जा सकता है।
🔚 निष्कर्ष: बचपन से ही रखें दिल का ख्याल
यह अध्ययन स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि दिल की बीमारी की जड़ें बचपन में ही पड़ सकती हैं। बच्चों में हाई बीपी को नजरअंदाज करना भविष्य में गंभीर परिणाम ला सकता है। समय रहते जांच और सही जीवनशैली अपनाकर हम बच्चों को एक लंबी और स्वस्थ जिंदगी दे सकते हैं।
External Source: Patrika Report
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