भारत की पहली अंडरवाटर सड़क सुरंग: ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बनेगी 33.7 KM लंबी सुरंग, रणनीतिक सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगी

भारत में अधोसंरचना का नया अध्याय

भारत जल्द ही अपनी पहली अंडरवाटर सड़क सुरंग के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाने जा रहा है। यह सुरंग असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बनाई जाएगी, जिसकी कुल लंबाई 33.7 किलोमीटर होगी। इस परियोजना को रणनीतिक और सुरक्षा दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

📍 परियोजना का स्वरूप और तकनीकी विवरण

📐 सुरंग की लंबाई और संरचना

  • कुल लंबाई: 33.7 किलोमीटर
  • सुरंग की लंबाई: 15.6 किलोमीटर
  • सड़क मार्ग: 18 किलोमीटर
  • अनुमानित लागत: ₹6,000 करोड़
  • निर्माण अवधि: लगभग 5 वर्ष
  • गहराई: ब्रह्मपुत्र नदी के तल से 32 मीटर नीचे

यह सुरंग नुमालीगढ़ और गोहपुर को जोड़ेगी, जिससे पूर्वोत्तर भारत की कनेक्टिविटी में बड़ा सुधार होगा।

🛠️ निर्माण तकनीक और सुरक्षा उपाय

  • ट्विन-ट्यूब तकनीक पर आधारित
  • आपातकालीन निकासी मार्ग
  • जल प्रवाह और मिट्टी की स्थिरता का वैज्ञानिक आकलन
  • भूकंपीय गतिविधियों के लिए विशेष संरचना

इस परियोजना को नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) द्वारा लागू किया जा रहा है।

🛡️ रणनीतिक महत्व: चीन की सीमा से सटे क्षेत्र में सुरक्षा की नई परत

🌍 क्यों है यह सुरंग रणनीतिक रूप से अहम?

  • अरुणाचल प्रदेश के करीब, जो चीन की सीमा से सटा है
  • सेना और भारी वाहनों की तेज आवाजाही संभव
  • आपातकालीन परिस्थितियों में वैकल्पिक मार्ग
  • पूर्वोत्तर राज्यों की रक्षा क्षमता में वृद्धि

इस सुरंग से भारत की सीमावर्ती रणनीति को मजबूती मिलेगी, खासकर चीन के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर।

🌊 चीन की ब्रह्मपुत्र पर बांध परियोजना: भारत की चिंताएं

🏗️ चीन का मेगा डैम प्रोजेक्ट

  • स्थान: तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी
  • लागत: $137 अरब
  • उत्पादन क्षमता: 300 अरब किलोवाट-घंटे प्रति वर्ष
  • तुलना: थ्री गॉर्जेस डैम से तीन गुना अधिक

यह वही नदी है जो भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है।

⚠️ भारत की चिंताएं

  • निचले राज्यों में जल उपलब्धता पर असर
  • संभावित बाढ़ और सूखे की स्थिति
  • पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव
  • भारत ने चीन से पारदर्शिता की मांग की है

🚀 पूर्वोत्तर भारत में अधोसंरचना का विस्तार

🛣️ भारतमाला और सागरमाला जैसी योजनाओं से जुड़ाव

  • भारतमाला परियोजना के तहत 34,800 किमी राजमार्ग निर्माण
  • सागरमाला से बंदरगाहों का आधुनिकीकरण
  • उड़ान योजना से हवाई संपर्क में सुधार
  • रेलवे विद्युतीकरण और वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत

यह सुरंग इन योजनाओं को पूरक बनाकर पूर्वोत्तर भारत को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद करेगी।

📊 परियोजना के संभावित लाभ

✅ यातायात और कनेक्टिविटी

  • यात्रा का समय 6.5 घंटे से घटकर 30 मिनट
  • व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा
  • आपातकालीन सेवाओं की पहुंच में सुधार

✅ रक्षा और रणनीति

  • सीमावर्ती क्षेत्रों में तेज सैन्य तैनाती
  • वैकल्पिक मार्ग से रणनीतिक लचीलापन
  • चीन की गतिविधियों पर निगरानी में सहूलियत

🧪 पर्यावरणीय मूल्यांकन और वन्यजीव बोर्ड की मंजूरी

  • राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की स्थायी समिति से मंजूरी
  • भूजल प्रवाह, तलछट संरचना और भूकंपीय प्रभावों का वैज्ञानिक अध्ययन अनिवार्य
  • पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए विशेष उपाय

❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1: ब्रह्मपुत्र सुरंग परियोजना की कुल लंबाई कितनी है?

A: यह परियोजना 33.7 किलोमीटर लंबी होगी, जिसमें 15.6 किमी सुरंग और 18 किमी सड़क मार्ग शामिल है।

Q2: यह सुरंग किस तकनीक पर आधारित होगी?

A: यह ट्विन-ट्यूब तकनीक पर आधारित होगी, जो आपातकालीन स्थितियों में भी सुरक्षित है।

Q3: इस परियोजना की अनुमानित लागत कितनी है?

A: लगभग ₹6,000 करोड़।

Q4: यह सुरंग किस क्षेत्र को जोड़ेगी?

A: असम के नुमालीगढ़ और गोहपुर को।

Q5: क्या यह परियोजना पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित है?

A: परियोजना को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की मंजूरी मिल चुकी है, और वैज्ञानिक आकलन अनिवार्य किया गया है।

🔚 निष्कर्ष: भारत की सुरक्षा और विकास की नई दिशा

ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बनने वाली यह सुरंग भारत की अधोसंरचना और रणनीतिक क्षमता को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी। पूर्वोत्तर भारत की कनेक्टिविटी, सुरक्षा और आर्थिक विकास में यह परियोजना मील का पत्थर साबित हो सकती है।

External Source: Patrika Report

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