भावनात्मक घटनाएं कैसे तय करती हैं हमारी यादें: Boston University की रिसर्च

दिमाग की रहस्यमयी ताकत: क्या याद रखना है और क्या भूलना है?

Boston University के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण शोध में यह खुलासा किया है कि हमारा दिमाग केवल एक रिकॉर्डिंग मशीन नहीं है, बल्कि यह सक्रिय रूप से तय करता है कि कौन-सी यादें सहेजनी हैं और कौन-सी भुला देनी हैं। यह शोध 650 प्रतिभागियों पर किए गए 10 अलग-अलग प्रयोगों पर आधारित है, जिसमें यह पाया गया कि भावनात्मक घटनाएं साधारण यादों को भी स्थायी बना सकती हैं।

🔍 शोध की पृष्ठभूमि और उद्देश्य

Boston University के शोधकर्ताओं का उद्देश्य यह समझना था कि क्यों कुछ यादें जीवनभर हमारे साथ रहती हैं जबकि अन्य क्षण भर में गायब हो जाती हैं। इस शोध का नेतृत्व प्रोफेसर रॉबर्ट एम.जी. राइनहार्ट ने किया, जो मनोविज्ञान और ब्रेन साइंसेज के विशेषज्ञ हैं।

  • शोध का उद्देश्य:
    • यादों के चयन की प्रक्रिया को समझना
    • भावनात्मक घटनाओं का प्रभाव जानना
    • कमजोर यादों को मजबूत करने की रणनीति विकसित करना

🧪 प्रयोगों की प्रक्रिया और निष्कर्ष

👥 प्रतिभागियों की संख्या और प्रयोगों की विविधता

इस अध्ययन में कुल 650 लोगों को शामिल किया गया और उनके साथ 10 अलग-अलग प्रकार के प्रयोग किए गए। इन प्रयोगों में प्रतिभागियों को साधारण और भावनात्मक घटनाओं से जोड़कर उनकी याददाश्त का परीक्षण किया गया।

📊 स्लाइडिंग स्केल मॉडल

शोधकर्ताओं ने पाया कि दिमाग एक “स्लाइडिंग स्केल” मॉडल का उपयोग करता है, जिसमें यादों की मजबूती उस घटना की भावनात्मक तीव्रता पर निर्भर करती है।

  • अगर कोई घटना अत्यधिक भावनात्मक है, तो उसके आसपास की साधारण बातें भी याद रह जाती हैं।
  • अगर कोई साधारण घटना भावनात्मक पल से जुड़ी हो, तो वह भी स्थायी याद बन सकती है।

🎭 भावनात्मक घटनाओं का प्रभाव

🔄 रेट्रोएक्टिव और प्रोएक्टिव मेमोरी बूस्ट

शोध में यह भी पाया गया कि भावनात्मक घटनाएं न केवल उस समय की यादों को मजबूत करती हैं, बल्कि उससे पहले और बाद की घटनाओं को भी याद रखने में मदद करती हैं।

  • रेट्रोएक्टिव प्रभाव: भावनात्मक घटना से पहले की यादें मजबूत होती हैं अगर उनका उससे कोई संबंध हो।
  • प्रोएक्टिव प्रभाव: भावनात्मक घटना के बाद की यादें भी अधिक स्पष्ट रहती हैं।

उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति Yellowstone National Park में बाइसन का झुंड देखता है, तो उस पल की याद के साथ-साथ उस रास्ते पर देखे गए पत्थर या जानवर की भी याद लंबे समय तक बनी रहती है।

🧬 दिमाग की चयन प्रक्रिया: कैसे तय करता है यादें?

🧠 दिमाग की भूमिका

शोधकर्ताओं के अनुसार, दिमाग यादों को केवल रिकॉर्ड नहीं करता, बल्कि वह तय करता है कि कौन-सी जानकारी उसके लिए महत्वपूर्ण है।

  • दिमाग उन यादों को प्राथमिकता देता है जो भावनात्मक रूप से जुड़ी होती हैं।
  • यह प्रक्रिया स्वचालित होती है और व्यक्ति को इसका एहसास नहीं होता।

📌 यादों की मजबूती के कारक

  1. भावनात्मक तीव्रता
  2. घटना की अप्रत्याशितता
  3. व्यक्तिगत महत्व
  4. समय और संदर्भ

🎓 शिक्षा और स्वास्थ्य में संभावित उपयोग

📘 शिक्षा में उपयोग

इस शोध के निष्कर्षों का उपयोग शिक्षा क्षेत्र में किया जा सकता है। अगर छात्रों को किसी कठिन विषय को भावनात्मक रूप से जोड़कर पढ़ाया जाए, तो उनकी याददाश्त बेहतर हो सकती है।

  • उदाहरण: इतिहास की घटनाओं को नाटकीय रूप में प्रस्तुत करना
  • विज्ञान के सिद्धांतों को जीवन की कहानियों से जोड़ना

🏥 स्वास्थ्य क्षेत्र में उपयोग

  • उम्र बढ़ने के साथ कमजोर होती याददाश्त को सुधारने के लिए भावनात्मक तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।
  • PTSD और अन्य मानसिक विकारों में यादों के चयन को नियंत्रित करने की रणनीति विकसित की जा सकती है।

📚 शोध के प्रमुख निष्कर्ष

  • दिमाग यादों को भावनात्मक महत्व के आधार पर चुनता है।
  • साधारण घटनाएं भी स्थायी याद बन सकती हैं अगर वे भावनात्मक घटनाओं से जुड़ी हों।
  • यह प्रक्रिया शिक्षा और चिकित्सा में उपयोगी हो सकती है।

❓ FAQs

❓ क्या दिमाग हर याद को समान रूप से सहेजता है?

नहीं, दिमाग भावनात्मक महत्व के आधार पर यादों को प्राथमिकता देता है।

❓ क्या भावनात्मक घटनाएं पुरानी यादों को भी मजबूत कर सकती हैं?

हाँ, अगर पुरानी यादें भावनात्मक घटना से जुड़ी हों तो वे भी स्थायी बन सकती हैं।

❓ क्या इस शोध का उपयोग शिक्षा में किया जा सकता है?

जी हाँ, भावनात्मक रूप से जुड़ी शिक्षा सामग्री छात्रों की याददाश्त को बेहतर बना सकती है।

❓ क्या यह तकनीक मानसिक रोगों के इलाज में मदद कर सकती है?

संभावना है कि PTSD और अन्य विकारों में यादों के चयन को नियंत्रित करने में यह तकनीक सहायक हो सकती है।

🧾 निष्कर्ष

Boston University की यह शोध बताती है कि हमारा दिमाग यादों को भावनात्मक महत्व के आधार पर चुनता है। यह खोज न केवल याददाश्त को समझने में मदद करती है, बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में नई संभावनाएं भी खोलती है। भावनात्मक घटनाएं साधारण यादों को स्थायी बना सकती हैं, जिससे जीवन के कई पहलुओं को बेहतर तरीके से समझा और सहेजा जा सकता है

External Source: Patrika Report

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