मध्यप्रदेश में 27% OBC आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई टली, सियासी घमासान तेज

मध्यप्रदेश में 27% OBC आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई स्थगित होने के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है, जिससे राज्य की राजनीति में नया मोड़ आ गया है।

⚖️ सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई टली, तल्ख टिप्पणी से बढ़ा तनाव

📅 सुनवाई की पृष्ठभूमि

मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में OBC वर्ग को 27% आरक्षण देने का प्रस्ताव पारित किया था। लेकिन इस पर अमल नहीं हो पाया और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। कोर्ट में इस मुद्दे पर 25 सितंबर से रोजाना सुनवाई होनी थी, लेकिन यह अब 8 अक्टूबर तक स्थगित कर दी गई है।

🧑‍⚖️ कोर्ट की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा—

“हम बहस के लिए तैयार हैं, लेकिन आप नहीं।”

यह टिप्पणी तब आई जब अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और राज्य सरकार के वकीलों ने अंतरिम स्टे हटाने की मांग की। वहीं सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की ओर से वकीलों ने कहा कि उन्हें 23 सितंबर को ही 15,000 पेज का दस्तावेज सौंपा गया है, जिसके अध्ययन के लिए समय चाहिए।

🗳️ कांग्रेस का हमला: “मोहन सरकार बहस से भाग रही है”

📢 जीतू पटवारी का बयान

मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा—

“वकीलों की तैयारी की कमी के कारण सुनवाई स्थगित हुई। लगता है सरकार बहस ही नहीं करना चाहती।”

उन्होंने आरोप लगाया कि मोहन सरकार बार-बार बहाने बनाकर OBC वर्ग को भ्रमित कर रही है।

🤝 कांग्रेस का संकल्प

पटवारी ने आगे कहा—

“मैं OBC वर्ग के भाइयों-बहनों को विश्वास दिलाता हूं कि हम 27% आरक्षण लेकर रहेंगे।”

यह बयान कांग्रेस की रणनीति को दर्शाता है कि वह इस मुद्दे को चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है।

🛡️ भाजपा का पलटवार: “कांग्रेस फैला रही है भ्रम”

🗣️ भाजपा नेताओं की प्रतिक्रिया

भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह जनता को गुमराह कर रही है। उनका कहना है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में गंभीरता से पक्ष रखा है और 15,000 पेज का दस्तावेज प्रस्तुत किया है।

📌 भाजपा का दावा

  • सरकार OBC को 27% आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • सुप्रीम कोर्ट में सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किए गए हैं।
  • कांग्रेस इस मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए भुना रही है।

🧠 पृष्ठभूमि: OBC आरक्षण का कानूनी सफर

📜 2019 का एक्ट

कमलनाथ सरकार ने 2019 में OBC को 27% आरक्षण देने के लिए एक्ट पास किया था। लेकिन इसे लागू करने में कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ा।

⚖️ याचिकाएं और स्टे

इस एक्ट के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल की गईं, जिसके चलते हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा। फिलहाल इस पर अंतरिम स्टे लगा हुआ है।

🧮 आंकड़ों में OBC आरक्षण

  • मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या में OBC वर्ग की हिस्सेदारी लगभग 50% है।
  • सरकारी नौकरियों में OBC को पहले 14% आरक्षण मिलता था।
  • 27% आरक्षण लागू होने पर यह संख्या लगभग दोगुनी हो जाएगी।

🔍 विश्लेषण: सियासी रणनीति और चुनावी समीकरण

🗳️ चुनावी दृष्टिकोण

मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में OBC आरक्षण का मुद्दा राजनीतिक दलों के लिए अहम बन गया है।

🧩 कांग्रेस की रणनीति

  • OBC वर्ग को अपने पक्ष में लाने की कोशिश।
  • सरकार पर बहस से भागने का आरोप।
  • सोशल मीडिया पर सक्रिय प्रचार।

🧩 भाजपा की रणनीति

  • कानूनी प्रक्रिया पर जोर।
  • दस्तावेजों की प्रस्तुति को प्रमुखता देना।
  • कांग्रेस को भ्रम फैलाने वाला बताना।

📚 FAQs

❓ सुप्रीम कोर्ट में OBC आरक्षण की सुनवाई कब होगी?

➡️ अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।

❓ मध्यप्रदेश में OBC को कितना आरक्षण देने का प्रस्ताव है?

➡️ राज्य सरकार ने 27% आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा है।

❓ कांग्रेस और भाजपा का इस मुद्दे पर क्या रुख है?

➡️ कांग्रेस सरकार पर बहस से भागने का आरोप लगा रही है, जबकि भाजपा कानूनी प्रक्रिया पर जोर दे रही है।

❓ क्या सुप्रीम कोर्ट ने कोई अंतिम फैसला सुनाया है?

➡️ नहीं, अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं आया है। सुनवाई स्थगित की गई है।

🧾 निष्कर्ष: आरक्षण पर सियासत जारी, फैसला अभी बाकी

मध्यप्रदेश में 27% OBC आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई टलने के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इस मुद्दे को लेकर आमने-सामने हैं। अब सभी की निगाहें 8 अक्टूबर की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय सामने आ सकता है।

External Source: Patrika Report

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