मां ब्रह्मचारिणी मंत्र और आरती: शारदीय नवरात्रि 2025 Day 2 पूजा विधि

नवरात्रि Day 2: मां ब्रह्मचारिणी 🙏

शारदीय नवरात्रि 2025 का दूसरा दिन विशेष रूप से मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। यह देवी तप, त्याग और साधना की प्रतीक हैं। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से मां ब्रह्मचारिणी का आवाहन करते हैं, उनके जीवन की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

इस पावन दिन पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, मंत्र जाप और आरती करने से साधक को आध्यात्मिक शक्ति, ज्ञान और सफलता का आशीर्वाद मिलता है।


🕉️ मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ✨

दुर्गा सप्तशती के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी का रूप अत्यंत शांत, तपस्विनी और साधना-प्रधान है। उनके प्रमुख स्वरूप विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • वस्त्र: श्वेत वस्त्र, जो पवित्रता और सात्विकता का प्रतीक है।
  • हाथ: दाएं हाथ में अष्टदल माला और बाएं हाथ में कमंडल।
  • भाव: शांति, संयम और आत्मबल का प्रतीक।
  • उद्देश्य: भक्तों को साधना, तप और धैर्य की प्रेरणा देना।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप हमें बताता है कि जीवन में धैर्य और आत्मसंयम ही सफलता की कुंजी है।


🔱 मां ब्रह्मचारिणी मंत्र और जाप 📿

मंत्र जाप करने से मनोबल और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है। यहां प्रमुख मंत्र दिए जा रहे हैं:

मुख्य मंत्र:
1.

या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।  
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।  
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।  
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।  
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते..
ओम देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥

स्रोत पाठ:

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।  
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥  
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।  
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥

मंत्र जाप सत्य भाव और श्रद्धा से करने पर सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।


🕯️ मां ब्रह्मचारिणी की आरती 🎶

आरती का महत्व:
मां ब्रह्मचारिणी की आरती करने से मन में शांति, आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

आरती:

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।  
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।  
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।  
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।  
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।  
जिसको जपे सकल संसारा।  
जय गायत्री वेद की माता।  
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।  
कमी कोई रहने न पाए।  
कोई भी दुख सहने न पाए।  
उसकी विरति रहे ठिकाने।  
जो तेरी महिमा को जाने।  
रुद्राक्ष की माला ले कर।  
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।  
आलस छोड़ करे गुणगाना।  
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।  
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।  
पूर्ण करो सब मेरे काम।  
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।  
रखना लाज मेरी महतारी।

आरती के माध्यम से भक्त देवी के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति पाते हैं।


🍬 मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय भोग 🫖

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को चीनी का भोग अर्पित किया जाता है।

भोग अर्पित करने के लाभ:

  • सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्ति।
  • दीर्घायु और स्वास्थ्य में सुधार।
  • मनोवांछित फल और समृद्धि।

भक्त विश्वास रखते हैं कि भोग लगाने से देवी प्रसन्न होती हैं और साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।


🌼 मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि 🪔

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री:

  • श्वेत वस्त्र, फूल और दीपक।
  • कमंडल और अष्टदल माला।
  • चीनी का भोग।
  • दीपक, अगरबत्ती और नैवेद्य।

पूजा विधि:

  1. पूजा स्थान को साफ-सुथरा और पवित्र करें।
  2. मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  3. दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  4. मंत्र जाप और आरती का पाठ करें।
  5. भोग अर्पित कर देवी से आशीर्वाद लें।

पूजा करते समय ध्यान रखें कि मन में सच्ची श्रद्धा और भक्ति हो।


🌸 मां ब्रह्मचारिणी की महिमा और लाभ 🕉️

मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति से प्राप्त लाभ:

  • आत्मबल और संयम में वृद्धि।
  • जीवन में सफलता और समृद्धि।
  • ज्ञान और मनोबल में वृद्धि।
  • मानसिक शांति और दुखों से मुक्ति।

मां ब्रह्मचारिणी साधक को जीवन में संयम, तप और धैर्य की शिक्षा देती हैं।


🔮 आध्यात्मिक और मानसिक लाभ 🧘

मंत्र जाप और आरती के साथ-साथ साधक को आध्यात्मिक ऊर्जा और आत्मिक शक्ति का अनुभव होता है।

  • मानसिक शांति: नकारात्मक विचारों से मुक्ति।
  • सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में उत्साह और प्रेरणा।
  • धैर्य और संयम: कठिन परिस्थितियों में स्थिर मन।

📝 FAQs (सामान्य प्रश्न) ❓

1. मां ब्रह्मचारिणी का मुख्य मंत्र कौन सा है?
मुख्य मंत्र है: ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।

2. नवरात्रि Day 2 पर किस भोग का महत्व है?
इस दिन मां ब्रह्मचारिणी को चीनी का भोग अर्पित किया जाता है।

3. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का समय कब है?
सुबह या संध्या समय में पूजा करना शुभ माना जाता है।

4. मंत्र जाप कितनी बार करें?
कम से कम 108 बार जाप करने से अधिक लाभ होता है।

5. मां ब्रह्मचारिणी की आरती कब करें?
पूजा के बाद या किसी भी समय जब मन स्थिर हो, आरती कर सकते हैं।


✅ निष्कर्ष

शारदीय नवरात्रि 2025 का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है।
भक्तों के लिए यह दिन आत्मबल, संयम, साधना और सफलता का प्रतीक है। मंत्र जाप, आरती और भोग के माध्यम से साधक अपनी इच्छाओं को पूर्ण कर सकता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त कर सकता है।

मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति केवल आध्यात्मिक लाभ ही नहीं, बल्कि मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और जीवन में दृढ़ता भी प्रदान करती है।

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