मुंबई के परेल इलाके में एक चौंकाने वाला साइबर अपराध सामने आया है, जिसमें आदित्य बिड़ला ग्रुप के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर 70 लाख रुपये की ठगी की गई। यह मामला देश में बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड की गंभीरता को उजागर करता है।
🕵️♂️ ठगी की शुरुआत: पहलगाम आतंकी हमले का झांसा
📞 फर्जी कॉल से शुरू हुआ जाल
- पीड़ित को सबसे पहले एक महिला ने कॉल किया, जिसने खुद को दिल्ली एटीएस की अधिकारी विनीता शर्मा बताया।
- महिला ने दावा किया कि पहलगाम आतंकी हमले में पीड़ित के आधार कार्ड और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल हुआ है।
- इसके बाद एक वीडियो कॉल पर एक व्यक्ति पुलिस वर्दी में दिखाई दिया और खुद को IG प्रेमकुमार गौतम बताया।
⚠️ धमकी और दबाव की रणनीति
- आरोपी ने कहा कि पीड़ित पर गंभीर केस दर्ज हो सकता है।
- पासपोर्ट ब्लॉक और बैंक खाते सीज करने की धमकी दी गई।
- मानसिक दबाव में आकर पीड़ित ने अपनी निजी और वित्तीय जानकारी साझा कर दी।
💸 70 लाख की ठगी: कैसे हुआ ट्रांजेक्शन?
📊 वित्तीय जानकारी की चोरी
- ठगों ने पीड़ित से बैंक खातों, फिक्स्ड डिपॉजिट, स्टॉक्स और पत्नी की जानकारी हासिल की।
- RBI के फर्जी नियमों का हवाला देकर कहा गया कि उन्हें अपने पैसे को व्हाइट मनी साबित करना होगा।
💰 तीन खातों में ट्रांसफर
- इसी बहाने तीन अलग-अलग बैंक खातों में कुल 70 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए।
- व्हाट्सऐप पर नकली RBI पावती भेजी गई ताकि पीड़ित को भरोसा हो जाए।
🖥️ डिजिटल निगरानी और डर का माहौल
📵 मोबाइल और कंप्यूटर पर नियंत्रण
- ठगों ने पीड़ित और उनकी पत्नी के मोबाइल फोन और घर के कंप्यूटर को निगरानी के नाम पर बंद करवा दिया।
- किसी से बात न करने का निर्देश दिया गया।
🧠 मानसिक तनाव और संदेह
- 28 सितंबर को जब ठगों ने 1 करोड़ रुपये की FD ट्रांसफर करने का दबाव बनाया, तब जाकर पीड़ित को शक हुआ।
- उन्होंने हिम्मत जुटाकर आरएके मार्ग पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
👮♀️ पुलिस कार्रवाई: जांच और सबूत
📂 केस दर्ज और साइबर सेल की जांच
- तीन अज्ञात आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) और IT एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया गया।
- साइबर सेल ने व्हाट्सऐप चैट, ऑडियो रिकॉर्डिंग और बैंक डिटेल्स जब्त कर लिए हैं।
🔍 आरोपियों की पहचान की कोशिश
- पुलिस की कई टीमें आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी में जुटी हैं।
- डिजिटल ट्रेल्स और बैंक खातों की जांच की जा रही है।
📈 डिजिटल ठगी के बढ़ते मामले
🌐 तकनीक का दुरुपयोग
- डिजिटल युग में अपराधी नई-नई तरकीबों से लोगों को फंसा रहे हैं।
- फर्जी दस्तावेज, वीडियो कॉल और सरकारी अधिकारी बनकर डर फैलाना आम हो गया है।
🧓 वरिष्ठ नागरिक सबसे ज्यादा निशाने पर
- बुजुर्गों को तकनीकी जानकारी की कमी के कारण आसानी से निशाना बनाया जाता है।
- इस मामले में भी 73 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक को मानसिक दबाव में लाकर ठगा गया।
📢 पुलिस की अपील: सतर्क रहें
🚨 क्या करें अगर ऐसा कॉल आए?
- किसी भी संदिग्ध कॉल या वीडियो कॉल पर भरोसा न करें।
- तुरंत नजदीकी थाने या साइबर हेल्पलाइन को सूचित करें।
- अपनी निजी और वित्तीय जानकारी किसी अनजान व्यक्ति से साझा न करें।
📞 साइबर हेल्पलाइन नंबर
- राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: www.cybercrime.gov.in
- हेल्पलाइन नंबर: 1930
❓ FAQs
❓ डिजिटल अरेस्ट क्या होता है?
डिजिटल अरेस्ट एक साइबर फ्रॉड तकनीक है जिसमें व्यक्ति को ऑनलाइन माध्यम से गिरफ्तार होने का डर दिखाकर ठगा जाता है।
❓ क्या पुलिस कभी वीडियो कॉल पर पूछताछ करती है?
नहीं, पुलिस किसी भी आधिकारिक जांच के लिए वीडियो कॉल का इस्तेमाल नहीं करती। यह साइबर अपराधियों की एक चाल होती है।
❓ अगर मुझे ऐसा कॉल आए तो क्या करना चाहिए?
तुरंत कॉल को काटें, कोई जानकारी न दें और साइबर हेल्पलाइन या पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करें।
🔚 निष्कर्ष: सतर्कता ही सुरक्षा है
मुंबई में आदित्य बिड़ला ग्रुप के पूर्व MD से 70 लाख की ठगी का यह मामला साइबर अपराध की गंभीरता को दर्शाता है। डिजिटल माध्यमों का दुरुपयोग कर अपराधी लोगों को मानसिक दबाव में लाकर उनकी जीवनभर की कमाई हड़प रहे हैं। ऐसे में नागरिकों को सतर्क रहना और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत देना आवश्यक है।
External Source: Patrika Report
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