मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना ने देश को झकझोरा, नेताओं और संगठनों ने जताई तीखी प्रतिक्रिया

6 अक्टूबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट में एक अभूतपूर्व घटना ने पूरे देश को हिला दिया। 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की, जिससे न्यायपालिका की गरिमा पर सवाल उठे।

⚖️ सुप्रीम कोर्ट में अभूतपूर्व घटना: क्या हुआ था उस दिन?

  • यह घटना उस समय हुई जब सुप्रीम कोर्ट में एक मंदिर की मूर्ति से जुड़ी याचिका पर सुनवाई चल रही थी।
  • CJI गवई ने याचिकाकर्ता से कहा था, “भगवान विष्णु से प्रार्थना करें”, जिसे वकील राकेश किशोर ने सनातन धर्म का अपमान माना।
  • उन्होंने कोर्ट में जूता फेंकने की कोशिश की, लेकिन वह बेंच तक नहीं पहुंचा।
  • सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत उन्हें हिरासत में ले लिया।

🧘‍♂️ CJI गवई की प्रतिक्रिया: संयम और गरिमा की मिसाल

मुख्य न्यायाधीश ने इस घटना को व्यक्तिगत रूप से नजरअंदाज करते हुए कहा, “यह मुझे प्रभावित नहीं करता। मैं आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहता।” उन्होंने इसे अपनी उदारता का प्रतीक बताया और कोर्ट की गरिमा बनाए रखी।

🚫 वकील राकेश किशोर पर कार्रवाई: लाइसेंस निलंबित, सदस्यता रद्द

  • बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने राकेश किशोर का वकालत लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
  • सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी और उन्हें परिसर में प्रवेश से प्रतिबंधित कर दिया।
  • उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और अवमानना की प्रक्रिया शुरू की गई है।

🗣️ राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: दलित विरोध, धार्मिक पूर्वाग्रह और संविधान पर हमला

🧑‍⚖️ मल्लिकार्जुन खड़गे (कांग्रेस अध्यक्ष)

  • “यह संविधान का अपमान है। ऐसी विचारधारा को सज़ा मिलनी चाहिए जो इंसान को इंसान न माने।”

🧑‍💼 मनीष तिवारी (इंडियन यूथ कांग्रेस)

  • “भाजपा और RSS की नफरत की राजनीति ने देश को इस हालत में पहुंचा दिया है।”

🧑‍🎓 निलंजन दास (TMC नेता)

  • “गोडसे ने गांधी को गोली मारी थी, अब जूता CJI पर फेंका गया। दक्षिणपंथी तंत्र तालियां बजा रहा है।”

🧑‍⚖️ असदुद्दीन ओवैसी

  • “अगर आरोपी का नाम ‘असद’ होता तो उसे कभी जमानत नहीं मिलती। यह धार्मिक भेदभाव है।”

🧑‍💼 सोनिया गांधी

  • “CJI पर हमला संस्थाओं को कमजोर करने वाला है। इसकी घोर निंदा होनी चाहिए।”

🧑‍🏫 अरविंद केजरीवाल

  • “यह पूर्वनियोजित साजिश है। कुछ लोग दलित को CJI के रूप में बर्दाश्त नहीं कर पा रहे।”

🧑‍⚖️ आतिशी (AAP नेता)

  • “यह हमला पूरे दलित समाज और न्यायपालिका को डराने की कोशिश है।”

🧑‍⚖️ जॉन ब्रिटास (CPI-M सांसद)

  • “यह भाजपा नेताओं की जातिवादी और मनुवादी बयानबाज़ी से प्रेरित है।”

📜 सामाजिक और संवैधानिक दृष्टिकोण

  • CJI गवई दलित समुदाय से आते हैं और उनका सर्वोच्च पद तक पहुंचना सामाजिक समरसता का प्रतीक है।
  • इस घटना को संविधान की आत्मा पर हमला माना जा रहा है।
  • कई संगठनों ने इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर खतरा बताया है।

📢 जनता की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर बहस

  • सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी बहस चल रही है।
  • कुछ लोग इसे धार्मिक असहिष्णुता से जोड़ रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक साजिश बता रहे हैं।
  • #JusticeForGavai और #SanatanDharma ट्रेंड कर रहे हैं।

📚 पृष्ठभूमि: CJI गवई और विवादित टिप्पणी

  • CJI गवई ने खजुराहो मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति पुनर्स्थापना की याचिका को “पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन” बताया था।
  • उन्होंने कहा था, “अगर आप भगवान विष्णु के भक्त हैं, तो प्रार्थना करें और ध्यान करें।”
  • इस टिप्पणी को कुछ लोगों ने सनातन धर्म का अपमान माना।

📌 प्रमुख बिंदु: घटना से जुड़े तथ्य

  1. घटना की तारीख: 6 अक्टूबर 2025
  2. स्थान: सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली
  3. आरोपी: राकेश किशोर, 71 वर्षीय वकील
  4. कारण: CJI की टिप्पणी से नाराजगी
  5. कार्रवाई: लाइसेंस निलंबन, सदस्यता रद्द, अनुशासनात्मक जांच
  6. CJI की प्रतिक्रिया: कोई व्यक्तिगत कार्रवाई नहीं

❓FAQs

Q1. CJI गवई पर जूता फेंकने की घटना कब हुई?

6 अक्टूबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट में यह घटना हुई।

Q2. आरोपी वकील पर क्या कार्रवाई हुई?

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने सदस्यता रद्द की।

Q3. क्या CJI ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कराया? नहीं,

CJI ने व्यक्तिगत कार्रवाई से इनकार किया।

Q4. इस घटना पर राजनीतिक दलों की क्या प्रतिक्रिया रही? कांग्रेस,

AAP, TMC, CPI-M और AIMIM ने घटना की निंदा की और इसे संविधान पर हमला बताया।

Q5. क्या यह घटना धार्मिक या जातिगत पूर्वाग्रह से जुड़ी है?

विपक्षी दलों ने इसे दलित विरोध और धार्मिक असहिष्णुता से जोड़कर देखा है।

🔚 निष्कर्ष

CJI बी.आर. गवई पर सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की घटना ने देशभर में न्यायपालिका की गरिमा, सामाजिक समरसता और संविधान की रक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर CJI ने संयम और उदारता का परिचय दिया, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने इस घटना को लोकतंत्र पर हमला बताया।

External Source: Patrika Report

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