रतन टाटा के बाद टाटा ट्रस्ट में फूट, टाटा संस लिस्टिंग पर सरकार की बैठक

परिचय

रतन टाटा के निधन को एक वर्ष भी नहीं बीता है और टाटा ट्रस्ट में आंतरिक कलह ने गंभीर रूप ले लिया है। ट्रस्टियों के बीच बढ़ते मतभेदों ने टाटा ग्रुप की स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है।

टाटा ट्रस्ट विवाद: क्या है मामला?

टाटा ट्रस्ट, जो टाटा संस की सबसे बड़ी हिस्सेदार है, इन दिनों आंतरिक मतभेदों से जूझ रहा है। यह विवाद रतन टाटा के निधन के बाद और अधिक गहरा हो गया है। 9 अक्टूबर 2024 को रतन टाटा के निधन के बाद नोएल टाटा को ट्रस्ट का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। लेकिन उनके नेतृत्व में ट्रस्टियों के बीच मतभेद बढ़ते गए।

🔍 प्रमुख मुद्दे:

  1. नॉमिनी डायरेक्टर्स की नियुक्ति पर विवाद
  2. टाटा संस की पब्लिक लिस्टिंग की अनिवार्यता
  3. सूचना की पारदर्शिता और बोर्ड एजेंडा तक पहुंच की मांग
  4. ट्रस्टी कार्यकाल के नवीनीकरण से पहले शक्ति संघर्ष

🧑‍⚖️ सरकार का हस्तक्षेप: दिल्ली में होगी उच्चस्तरीय बैठक

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार के दो वरिष्ठ मंत्री इस सप्ताह दिल्ली में टाटा ग्रुप के चार शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात करेंगे:

  • नोएल टाटा (चेयरमैन, टाटा ट्रस्ट)
  • वेणु श्रीनिवासन (वाइस चेयरमैन, टाटा ट्रस्ट)
  • एन चंद्रशेखरन (चेयरमैन, टाटा संस)
  • दारियस खंबाटा (ट्रस्टी, टाटा ट्रस्ट)

बैठक का उद्देश्य टाटा ट्रस्ट के भीतर गहराते मतभेदों को सुलझाना और टाटा संस की लिस्टिंग प्रक्रिया को स्पष्ट दिशा देना है2।

📅 विवाद की शुरुआत: 11 सितंबर की बैठक

11 सितंबर 2025 को हुई टाटा ट्रस्ट की बैठक में ट्रस्टीज के बीच गहरे मतभेद सामने आए। इस बैठक में पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को टाटा संस के नॉमिनी डायरेक्टर पद से हटाया गया, जिसका विरोध नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने किया। इसके बाद ट्रस्टी मेहली मिस्त्री को बोर्ड में शामिल करने का प्रस्ताव आया, जिसे प्रमित झावेरी, दारियस खंबाटा और जहांगीर जहांगीर ने समर्थन दिया।

📧 एक ट्रस्टी द्वारा भेजे गए ईमेल को श्रीनिवासन को हटाने की चेतावनी माना गया, जिससे टाटा संस पर नियंत्रण केंद्रित करने की आशंका बढ़ गई।

🧩 टाटा ट्रस्ट में असंतोष के संकेत

सरकारी सूत्रों के अनुसार, कुछ ट्रस्टी बोर्ड एजेंडा और बैठक के मिनट्स तक पहुंच की मांग कर रहे हैं। वे प्रमुख निर्णयों पर पूर्व-अनुमोदन और स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति पर पारदर्शिता चाहते हैं। एक ट्रस्टी पर आरोप है कि उन्होंने ग्रुप कंपनियों के रणनीतिक फैसलों पर टाटा संस बोर्ड सदस्यों को निशाना बनाया।

📌 यह असंतोष कई महीनों से धीरे-धीरे बढ़ रहा था और अब प्रमुख ट्रस्टीज के कार्यकाल रिन्यूअल के समय चरम पर पहुंच गया है।

📉 टाटा ग्रुप में असर: कंपनियों में चर्चा का विषय

टाटा ट्रस्ट की आंतरिक कलह अब टाटा ग्रुप की कंपनियों में चर्चा का विषय बन गई है। बोर्ड पुनर्गठन और ट्रस्टी नियुक्तियों की अनिश्चितता ने ग्रुप की स्थिरता पर असर डाला है। अधिकारी फिलहाल सार्वजनिक टिप्पणी से बच रहे हैं, लेकिन अंदरूनी हलचल स्पष्ट है।

📈 टाटा संस की लिस्टिंग: नियामकीय दबाव

टाटा संस को RBI ने तीन साल पहले “Upper Layer NBFC” के रूप में वर्गीकृत किया था। इस वर्गीकरण के तहत कंपनी को तीन साल के भीतर शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना अनिवार्य है। मार्च 2024 में टाटा संस ने RBI से डीरजिस्ट्रेशन का अनुरोध किया था, ताकि लिस्टिंग की अनिवार्यता से छूट मिल सके। अब तक RBI की प्रतिक्रिया नहीं आई है।

📌 इस बीच, टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी रखने वाला शापूरजी पालोनजी समूह, जो वित्तीय संकट से जूझ रहा है, लिस्टिंग की मांग कर रहा है4।

🧠 विश्लेषण: टाटा ट्रस्ट की शक्ति संरचना में बदलाव

रतन टाटा के कार्यकाल में ट्रस्ट और टाटा संस के बीच तालमेल उनके व्यक्तिगत प्रभाव से बना रहता था। नोएल टाटा के नेतृत्व में यह संतुलन बिगड़ता दिख रहा है। कुछ ट्रस्टीज का मानना है कि उन्हें निर्णयों से दूर रखा जा रहा है, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।

📌 संभावित नामांकन: कौन हो सकते हैं नए डायरेक्टर?

सूत्रों के अनुसार, नोएल टाटा ने कुछ प्रमुख नामों को बोर्ड में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है:

  • उदय कोटक (बैंकिंग विशेषज्ञ)
  • बेहराम वकील (प्रसिद्ध वकील)
  • टीवी नरेंद्रन (MD, टाटा स्टील)

लेकिन इन नामों पर ट्रस्टियों की सहमति अभी स्पष्ट नहीं है।

❓ FAQs

Q1. टाटा ट्रस्ट में मतभेद क्यों बढ़ रहे हैं? A1. नॉमिनी डायरेक्टर्स की नियुक्ति, पारदर्शिता की कमी और बोर्ड एजेंडा तक पहुंच की मांग से मतभेद बढ़े हैं।

Q2. टाटा संस की लिस्टिंग क्यों जरूरी है? A2. RBI के नियमों के अनुसार, Upper Layer NBFC के रूप में वर्गीकृत कंपनियों को तीन साल में लिस्ट होना अनिवार्य है।

Q3. सरकार इस विवाद में क्यों हस्तक्षेप कर रही है? A3. टाटा ग्रुप की स्थिरता और देश की अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को देखते हुए सरकार हस्तक्षेप कर रही है।

Q4. क्या टाटा ट्रस्ट का विवाद टाटा ग्रुप की कंपनियों को प्रभावित करेगा? A4. हां, बोर्ड पुनर्गठन और ट्रस्टी नियुक्तियों की अनिश्चितता से कंपनियों की रणनीति प्रभावित हो सकती है।

🔚 निष्कर्ष

रतन टाटा के निधन के एक साल बाद टाटा ट्रस्ट में गहराते मतभेदों ने टाटा ग्रुप की स्थिरता को चुनौती दी है। सरकार की प्रस्तावित बैठक इस संकट को सुलझाने की दिशा में एक अहम कदम हो सकती है। टाटा संस की लिस्टिंग और ट्रस्ट की पारदर्शिता पर लिए गए निर्णय आने वाले समय में समूह की दिशा तय करेंगे।

External Source: Patrika Report

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