लद्दाख में हाल ही में हुई हिंसा के बाद केंद्र सरकार और स्थानीय प्रशासन ने संवाद को पुनः पटरी पर लाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। स्थानीय संगठनों को आश्वस्त किया जा रहा है कि उनकी भूमि, संसाधन और आजीविका पूरी तरह सुरक्षित रहेंगी।
🏔️ लद्दाख में हालिया हिंसा: पृष्ठभूमि और कारण
सितंबर 2025 में लद्दाख के लेह और करगिल क्षेत्रों में हुए प्रदर्शन उस समय उग्र हो गए जब शांतिपूर्ण बंद के दौरान हिंसा भड़क उठी।
- प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और पुलिस वाहनों को आग के हवाले किया
- पुलिस और सीआरपीएफ ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का प्रयोग किया
- हिंसा में 4 लोगों की मौत और 70 से अधिक घायल हुए
📌 मुख्य मांगें
- लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा
- छठी अनुसूची में शामिल करना
- लेह और करगिल के लिए अलग लोकसभा सीटें
- रोजगार में आरक्षण और संरक्षण
🏛️ सरकार का रुख: संवाद और भरोसे की पहल
केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन ने एपेक्स बॉडी लेह (ABL) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) को आश्वस्त किया है कि:
- भूमि अधिकार लेह ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल के पास ही रहेंगे
- सौर ऊर्जा पार्क स्थानीय सहमति के बिना नहीं बनाए जाएंगे
- खनन या प्राकृतिक संसाधनों का व्यावसायिक दोहन नहीं होगा
- जनसांख्यिकीय बदलाव का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा
🗳️ लोकसभा सीटों पर विचार: परिसीमन के समय होगा निर्णय
लद्दाख के मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया है कि लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ाने पर उच्च अधिकार समिति में चर्चा हुई है।
- परिसीमन प्रक्रिया के दौरान इस पर विचार किया जाएगा
- जनसंख्या कम होने के बावजूद लद्दाख की प्राथमिकता बनी रहेगी
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व को संतुलित करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं
🌞 सौर ऊर्जा और औद्योगिकीकरण: स्थानीय सहमति अनिवार्य
लद्दाख प्रशासन ने कहा है कि वे कार्बन-न्यूट्रल विकास के मार्ग पर हैं।
- सौर पार्क निर्माण में स्थानीय समुदाय की सहमति आवश्यक
- औद्योगिकीकरण के किसी भी प्रयास में परामर्श अनिवार्य
- कोई भी परियोजना बिना जनभागीदारी के नहीं चलाई जाएगी
🧭 भूमि अधिकार और बजट: हिल काउंसिल को मिला बढ़ा समर्थन
लेह हिल डेवलपमेंट काउंसिल को भूमि संबंधी सभी अधिकार प्राप्त हैं।
- भूमि कानूनों को जनहितैषी बनाने की दिशा में कार्य जारी
- काउंसिल का पूंजीगत बजट ₹150 करोड़ से बढ़ाकर ₹750 करोड़ किया गया
- अधिकारों को छीना नहीं गया, बल्कि उन्हें सशक्त किया गया है
❌ डेमोग्राफिक बदलाव पर सफाई
मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया है कि लद्दाख में किसी प्रकार की जनसांख्यिकीय बाढ़ या सांस्कृतिक नरसंहार नहीं हो रहा है।
- ‘डेमोग्राफिक फ्लडिंग’ जैसे शब्दों का प्रयोग कर जनता को गुमराह किया जा रहा है
- प्रशासन ने राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित संगठनों पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया
🧘 सामाजिक एकजुटता और भविष्य की दिशा
हिंसा के बाद लेह और करगिल के समुदायों में एकजुटता देखी गई है।
- बौद्ध, मुस्लिम, युवा और महिलाएं साझा मांगों पर साथ आए
- स्वशासन और सांस्कृतिक संरक्षण की मांग को बल मिला
- सरकार से संवाद और समाधान की अपेक्षा बढ़ी
📚 FAQs
Q1. क्या लद्दाख में लोकसभा सीटें बढ़ाई जाएंगी?
हाँ, परिसीमन प्रक्रिया के दौरान इस पर विचार किया जाएगा।
Q2. क्या सौर ऊर्जा पार्क स्थानीय सहमति के बिना बन सकते हैं?
नहीं, प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि बिना स्थानीय सहमति कोई परियोजना नहीं चलेगी।
Q3. क्या हिल काउंसिल के अधिकारों में कटौती की गई है?
नहीं, बल्कि उनका बजट बढ़ाकर उन्हें और सशक्त किया गया है।
Q4. क्या लद्दाख में जनसांख्यिकीय बदलाव हो रहा है?
प्रशासन ने इससे साफ इनकार किया है और इसे अफवाह बताया है।
🔚 निष्कर्ष
लद्दाख में हालिया हिंसा के बाद सरकार ने संवाद और भरोसे की पहल की है। भूमि अधिकार, संसाधन और आजीविका की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ाने और सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर स्थानीय सहमति को अनिवार्य माना गया है। प्रशासन ने जनसांख्यिकीय बदलाव की अफवाहों को खारिज करते हुए हिल काउंसिल को सशक्त करने की दिशा में कदम उठाए हैं।
External Source: Patrika Report
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