लेह में हाल ही में भड़की हिंसा ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। भारतीय जनता पार्टी ने इस हिंसा के पीछे कांग्रेस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं, साथ ही राहुल गांधी के Gen-Z पोस्ट को भी इस घटनाक्रम से जोड़ते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं।
🔥 हिंसा की पृष्ठभूमि: कैसे भड़की लेह में आग?
लेह में 24 सितंबर को हुए विरोध प्रदर्शन ने उस समय हिंसक रूप ले लिया जब बड़ी संख्या में युवा प्रदर्शनकारी NDS मेमोरियल ग्राउंड में एकत्र हुए।
📍 घटनाक्रम की मुख्य बातें:
- प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय में घुसकर आगजनी की।
- आसपास खड़ी कई गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया गया।
- हालात बिगड़ने पर पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा।
- भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई।
🧑⚖️ कांग्रेस पार्षद पर आरोप: क्या हिंसा की साजिश थी?
बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस पार्षद स्मानला दोरजे नोरबू पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने एक वीडियो साझा करते हुए दावा किया कि नोरबू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशासन को खुली चुनौती दी थी।
🗣️ मालवीय के आरोप:
- नोरबू ने कहा था कि सुरक्षाबलों की तैनाती भी भाजपा कार्यालय तक लोगों को पहुंचने से नहीं रोक पाएगी।
- उन्होंने खुद पत्थरबाजी में शामिल होने की बात कही थी।
- 24 सितंबर को लेह में हमला करने का आह्वान किया गया था।
🧵 राहुल गांधी का Gen-Z पोस्ट: सियासी संकेत या संयोग?
बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी के हालिया Gen-Z युवाओं को लेकर किए गए पोस्ट को भी हिंसा से जोड़ते हुए सवाल उठाए हैं।
🧩 संबित पात्रा का बयान:
- उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन Gen-Z के नाम पर किया गया, लेकिन नेतृत्व कांग्रेस का था।
- कांग्रेस पार्षद स्टेंजिंग त्सेपांग को हिंसा का मुख्य भड़काने वाला बताया गया।
- त्सेपांग की राहुल गांधी के साथ तस्वीर भी साझा की गई।
📸 वायरल वीडियो और तस्वीरें: क्या कहते हैं सबूत?
बीजेपी नेताओं ने सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें और वीडियो साझा किए हैं जिनमें कांग्रेस पार्षदों को हथियारों के साथ भाजपा कार्यालय की ओर मार्च करते हुए दिखाया गया है।
📷 दृश्य विवरण:
- भीड़ को उकसाते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं की तस्वीरें।
- भाजपा कार्यालय पर हमले के दृश्य।
- हिंसा में शामिल लोगों की पहचान के दावे।
🧭 लद्दाख की मांगें और आंदोलन की जड़ें
लेह में चल रहे आंदोलन की पृष्ठभूमि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची के विस्तार की मांग से जुड़ी है।
📌 आंदोलन की प्रमुख मांगें:
- लद्दाख को राज्य का दर्जा मिले।
- छठी अनुसूची के तहत स्वायत्तता दी जाए।
- स्थानीय जनजातीय अधिकारों की रक्षा हो।
🧘 सोनम वांगचुक की भूमिका:
- जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 15 दिन की भूख हड़ताल की।
- हिंसा के बाद उन्होंने अनशन समाप्त कर शांति की अपील की।
[External Source: Patrika Report]
🧨 राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: आरोपों की बौछार
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने भी कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस नेता फंटसोग स्तांजिन त्सेपांग को हिंसा का नेतृत्वकर्ता बताया।
🗯️ दुबे के आरोप:
- त्सेपांग को राहुल गांधी का करीबी बताया गया।
- उन्हें “सोरोस के एजेंट का एजेंट” कहा गया।
- हिंसा को कांग्रेस की रणनीति करार दिया गया।
📊 विश्लेषण: क्या यह जन आंदोलन था या राजनीतिक साजिश?
लेह हिंसा को लेकर दो धारणाएं सामने आई हैं—एक ओर इसे युवाओं का गुस्सा और जन आंदोलन बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे कांग्रेस द्वारा प्रायोजित साजिश कहा जा रहा है।
⚖️ दोनों पक्षों की बात:
- कांग्रेस समर्थकों का कहना है कि यह युवाओं की आवाज थी।
- बीजेपी का दावा है कि यह हिंसा कांग्रेस नेताओं द्वारा उकसाई गई।
❓ FAQs
❓ लेह हिंसा कब और क्यों हुई?
24 सितंबर को लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई।
❓ कांग्रेस पार्षद पर क्या आरोप हैं?
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस पार्षदों ने हिंसा को उकसाया और भाजपा कार्यालय पर हमला किया।
❓ क्या राहुल गांधी का Gen-Z पोस्ट हिंसा से जुड़ा है?
बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी के पोस्ट को हिंसा से जोड़ते हुए सवाल उठाए हैं, हालांकि कांग्रेस ने इससे इनकार किया है।
❓ सोनम वांगचुक की क्या भूमिका रही?
वांगचुक ने भूख हड़ताल की और बाद में हिंसा रोकने की अपील करते हुए अनशन समाप्त किया।
🔚 निष्कर्ष: लेह हिंसा पर सियासी आरोपों की जांच जरूरी
लेह में हुई हिंसा ने न केवल स्थानीय प्रशासन को चुनौती दी है, बल्कि राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की नई लहर भी शुरू कर दी है। कांग्रेस पार्षदों पर लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच आवश्यक है ताकि सच्चाई सामने आ सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
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