शारदीय नवरात्रि 2025 के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र, आरती और कथा जानें।

शारदीय नवरात्रि 2025 का छठा दिन माँ दुर्गा के छठे स्वरूप माँ कात्यायनी को समर्पित है। इस दिन भक्त विशेष पूजा विधि, मंत्रों और आरती के माध्यम से माँ की आराधना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माँ कात्यायनी की कृपा से रोग, भय और शोक का नाश होता है।

🙏 माँ कात्यायनी का स्वरूप और धार्मिक महत्व

माँ कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी के रूप में जाना जाता है। उनका स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और शक्तिशाली माना जाता है।

🔹 देवी का स्वरूप

  • चार भुजाएं:
    • दाहिने हाथ में अभय और वर मुद्रा
    • बाएं हाथ में तलवार और कमल का पुष्प
  • वाहन: सिंह
  • रंग: सुनहरा या पीला
  • विशेषता: महिषासुर का वध कर देवताओं को मुक्त किया

🔹 धार्मिक मान्यता

  • माँ कात्यायनी की पूजा से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है
  • विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए इनकी आराधना की जाती है
  • प्रेम संबंधों में स्थिरता और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है

🕉️ नवरात्रि 2025 Day 6: पूजा विधि स्टेप-बाय-स्टेप

🌅 सुबह की तैयारी

  1. सूर्योदय से पहले स्नान करें
  2. साफ-सुथरे पीले या लाल वस्त्र धारण करें
  3. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें

🛕 पूजा सामग्री

  • माँ कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र
  • घी का दीपक
  • रोली, अक्षत, सिंदूर
  • पीले फूल, माला
  • शहद, फल, मिठाई
  • पान में लौंग, इलायची, सिक्का

🔄 पूजा क्रम

  1. कलश की विधिवत पूजा करें
  2. माँ दुर्गा के साथ माँ कात्यायनी की पूजा करें
  3. श्रृंगार सामग्री अर्पित करें
  4. भोग लगाएं
  5. मंत्रों का जाप करें
  6. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें
  7. आरती करें और प्रसाद वितरित करें

🍯 माँ कात्यायनी का प्रिय भोग

माँ को शहद और शहद से बनी खीर अत्यंत प्रिय है।

  • शहद को चांदी या मिट्टी के पात्र में अर्पित करना शुभ माना जाता है
  • इससे आकर्षण क्षमता और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है

🎨 शुभ रंग और वस्त्र

  • माँ को पीला और लाल रंग अत्यंत प्रिय है
  • पीले वस्त्र पहनकर पूजा करना शुभ माना जाता है
  • पीले या लाल गुलाब अर्पित करें

📿 माँ कात्यायनी के मंत्र और स्तुति

🔸 बीज मंत्र

क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नमः।

🔸 आराधना मंत्र

कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

🔸 स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

🎶 माँ कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे जय कात्यायनी।  
जय जग माता जग की महारानी॥  
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।  
वहां वरदाती नाम पुकारा॥  
कई नाम हैं कई धाम हैं।  
यह स्थान भी तो सुखधाम है॥  
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी।  
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी॥

📖 माँ कात्यायनी की पौराणिक कथा

महर्षि कात्यायन ने कठोर तपस्या कर माँ भगवती को प्रसन्न किया।

  • माँ ने उन्हें पुत्री रूप में जन्म लेने का वरदान दिया
  • महिषासुर के आतंक से देवताओं को मुक्त करने हेतु माँ ने उसका वध किया
  • इसी कारण उन्हें महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है

📚 धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख

  • देवी भागवत पुराण में माँ कात्यायनी की पूजा से अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति का उल्लेख
  • दुर्गा सप्तशती में इनके स्वरूप और शक्ति का वर्णन
  • ब्रह्मवैवर्त पुराण में विवाह बाधा दूर करने की शक्ति का उल्लेख

❓ FAQs

❓ माँ कात्यायनी की पूजा किस दिन होती है?

शारदीय नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है।

❓ माँ कात्यायनी का प्रिय भोग क्या है?

माँ को शहद और शहद से बनी खीर का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है।

❓ माँ कात्यायनी की आरती कौन-सी है?

“जय जय अम्बे जय कात्यायनी” आरती का पाठ किया जाता है।

❓ माँ कात्यायनी की पूजा से क्या लाभ होता है?

रोग, भय, शोक का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

🔚 निष्कर्ष

शारदीय नवरात्रि 2025 के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा विशेष महत्व रखती है। भक्तों द्वारा विधिवत पूजा, मंत्र जाप और आरती से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। धार्मिक ग्रंथों में भी माँ की आराधना को अत्यंत फलदायी बताया गया है।

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