फोकस कीवर्ड: सीजेआई सुरक्षा बढ़ी
दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई पर एक वकील द्वारा जूता फेंकने की कोशिश के बाद सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं। इस अप्रत्याशित घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने सीजेआई की सुरक्षा को और अधिक सख्त कर दिया है। कोर्ट परिसर में दो अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं और सार्वजनिक स्थानों पर पुलिसकर्मियों को अधिक सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।
🧨 घटना का विवरण: कोर्ट रूम में हुआ सुरक्षा उल्लंघन
- सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने कथित तौर पर सीजेआई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की।
- घटना कोर्ट नंबर 1 में हुई जब सीजेआई बी आर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन केसों की सुनवाई कर रहे थे।
- वकील को तुरंत सुरक्षा कर्मियों ने रोक लिया और कोर्ट परिसर से बाहर ले जाया गया।
- वकील ने जाते समय नारा लगाया: “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे”।
🛡️ सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव: क्या-क्या कदम उठाए गए?
दिल्ली पुलिस ने घटना के बाद निम्नलिखित कदम उठाए:
- सीजेआई के कोर्ट के बाहर दो अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए।
- कोर्ट परिसर में सुरक्षा चेकिंग को और सख्त किया गया।
- सार्वजनिक स्थानों पर पुलिसकर्मियों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए।
- दिल्ली पुलिस कमिश्नर सतीश गोलचा की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई।
- सुरक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस बैठक में शामिल हुए।
🚨 Z-प्लस सुरक्षा के बावजूद सुरक्षा में सेंध
- सीजेआई को दिल्ली पुलिस द्वारा Z-प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है।
- इसके बावजूद कोर्ट के भीतर ऐसी घटना होना सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखने के लिए सुरक्षा में कोई चूक नहीं होनी चाहिए।
⚖️ कानूनी कार्रवाई और बार काउंसिल की प्रतिक्रिया
- सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने वकील राकेश किशोर की सदस्यता समाप्त कर दी है।
- बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनके लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
- वकील ने सीजेआई की टिप्पणी को लेकर नाराजगी जताई थी, जो खजुराहो मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना से जुड़ी याचिका पर थी।
🗣️ सीजेआई की प्रतिक्रिया: “यह हमारे लिए एक भुला हुआ अध्याय है”
- सीजेआई बी आर गवई ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मेरे और मेरे साथी न्यायाधीश के लिए यह एक भुला हुआ अध्याय है।”
- उन्होंने कोर्ट में मौजूद वकीलों से कहा, “इससे विचलित न हों, कार्यवाही जारी रखें।”
- जस्टिस उज्जल भुयान ने इस घटना को “संस्थान पर हमला” बताया।
📌 पृष्ठभूमि: खजुराहो मंदिर विवाद और सीजेआई की टिप्पणी
- याचिका में खजुराहो मंदिर परिसर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना की मांग की गई थी।
- सीजेआई ने इसे “पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन” करार दिया था।
- उन्होंने कहा था, “अगर आप भगवान विष्णु के भक्त हैं तो प्रार्थना करें, ध्यान करें।”
📊 विश्लेषण: न्यायपालिका की गरिमा और सुरक्षा का महत्व
- न्यायपालिका लोकतंत्र का स्तंभ है, और उसकी गरिमा बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है।
- इस तरह की घटनाएं न केवल सुरक्षा में चूक को दर्शाती हैं, बल्कि संस्थागत सम्मान को भी ठेस पहुंचाती हैं।
- विशेषज्ञों का मानना है कि कोर्ट परिसर में सुरक्षा को और तकनीकी रूप से मजबूत करने की आवश्यकता है।
❓ FAQs
प्रश्न 1: सीजेआई को किस श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है?
उत्तर: सीजेआई को दिल्ली पुलिस द्वारा Z-प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी जाती है।
प्रश्न 2: जूता फेंकने वाले वकील के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई?
उत्तर: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने उनकी सदस्यता समाप्त कर दी और बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया।
प्रश्न 3: घटना के बाद क्या सुरक्षा कदम उठाए गए?
उत्तर: कोर्ट परिसर में दो अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए और सुरक्षा व्यवस्था को सख्त किया गया।
प्रश्न 4: सीजेआई की प्रतिक्रिया क्या रही?
उत्तर: उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए एक भुला हुआ अध्याय है” और कार्यवाही जारी रखने का निर्देश दिया।
🔚 निष्कर्ष: न्यायपालिका की सुरक्षा सर्वोपरि
जूता फेंकने की घटना ने न्यायपालिका की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। हालांकि सीजेआई ने इसे भुला हुआ अध्याय बताया, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इसे गंभीरता से लेते हुए सुरक्षा को और सख्त कर दिया है। यह घटना बताती है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा बनाए रखने के लिए सुरक्षा में कोई चूक नहीं होनी चाहिए।
External Source: Patrika Report
अगर आपको यह लेख उपयोगी लगा हो, तो इसे शेयर करें और दूसरों को भी जागरूक करें। NEWSWELL24.COM पर हम ऐसे ही जरूरी और भरोसेमंद जानकारी लाते रहते हैं।