हरियाणा में खरीफ फसल खरीद को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। विपक्षी दलों ने सरकार पर मंडियों में फसल खरीद में देरी और किसानों की अनदेखी का आरोप लगाया है। वहीं, सरकार ने आंकड़े जारी कर इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का भुगतान समय पर किया जा रहा है।
📌 विपक्ष के आरोप: “किसान परेशान, मंडियों में खरीद ठप”
🗣️ विपक्षी दलों की मुख्य आपत्तियाँ:
- मंडियों में सरकारी एजेंसियों की अनुपस्थिति
- किसानों को MSP से कम दाम पर फसल बेचने की मजबूरी
- धान की बोरियां खुले में पड़ी होने से खराब होने का खतरा
- मिलर्स को जानबूझकर दूर रखने का आरोप
आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अनुराग ढांडा ने कहा कि “धान की सरकारी खरीद शुरू हुए दो हफ्ते हो चुके हैं, लेकिन किसानों को अभी भी उचित मूल्य नहीं मिल रहा। सरकार किसानों को दलालों के हवाले कर रही है”।
कांग्रेस और भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने भी सरकार पर किसानों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने मांग की है कि मंडियों में डिजिटल कांटे लगाए जाएं और नमी की सीमा में लचीलापन दिया जाए।
📊 सरकार का पक्ष: “खरीद प्रक्रिया सुचारू, MSP का भुगतान जारी”
हरियाणा सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि खरीफ खरीद सीजन 2025-26 के दौरान अब तक किसानों के बैंक खातों में ₹1945.99 करोड़ रुपये सीधे ट्रांसफर किए जा चुके हैं।
🔢 प्रमुख सरकारी आंकड़े:
- कुल धान आवक: 18,07,936.07 टन
- उठान (लिफ्टिंग): 9,76,370.73 टन
- भुगतान: ₹1945.99 करोड़ (DBT के माध्यम से)
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के अनुसार, “सरकार ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान सुनिश्चित किया है और खरीद प्रक्रिया लगातार जारी है।
🌾 खरीफ सीजन 2025-26: क्या है जमीनी हकीकत?
📍 मंडियों की स्थिति:
- करनाल, हिसार, कैथल, कुरुक्षेत्र जैसी प्रमुख मंडियों में किसानों को कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है।
- कई किसान अपनी फसल लेकर तीन-चार दिन से मंडी में डटे हैं, लेकिन सरकारी एजेंसियों की उपस्थिति नहीं दिख रही।
- निजी व्यापारी मौके का फायदा उठाकर MSP से कम दाम पर फसल खरीद रहे हैं।
📉 किसानों को हो रहा नुकसान:
- प्रति क्विंटल ₹500–₹700 तक का घाटा
- खुले में पड़ा अनाज बारिश और नमी से खराब होने का खतरा
- ट्रांसपोर्ट और भंडारण की अतिरिक्त लागत
🏛️ राजनीतिक बयानबाज़ी: आरोप-प्रत्यारोप का दौर
- AAP नेता अनुराग ढांडा ने कहा, “सरकार किसानों को सिर्फ वादे दे रही है, ज़मीनी स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं।”
- कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि “सरकार मिलर्स को जानबूझकर दूर रख रही है ताकि खरीद प्रक्रिया धीमी हो।”
- भाजपा प्रवक्ता ने पलटवार करते हुए कहा, “विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है। सरकार ने रिकॉर्ड स्तर पर भुगतान किया है।”
📈 MSP और खरीद नीति: एक विश्लेषण
✅ MSP का उद्देश्य:
- किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम लाभकारी मूल्य देना
- बाजार में मूल्य अस्थिरता से सुरक्षा प्रदान करना
❗ चुनौतियाँ:
- मंडियों में एजेंसियों की कमी
- भुगतान में देरी
- भंडारण और ट्रांसपोर्ट की सीमाएं
📌 विशेषज्ञों की राय:
- कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि “जब तक मंडियों में पारदर्शिता और तकनीकी सुधार नहीं होंगे, तब तक MSP का लाभ पूरी तरह किसानों तक नहीं पहुंचेगा।”
- डिजिटल कांटे, रीयल-टाइम ट्रैकिंग और ऑनलाइन भुगतान प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत है।
📷 ग्राउंड रिपोर्ट: किसानों की ज़ुबानी
कुरुक्षेत्र मंडी में मौजूद किसान सुरेंद्र सिंह ने बताया, “मैं तीन दिन से धान लेकर बैठा हूं, लेकिन कोई सरकारी एजेंसी नहीं आई। मजबूरी में प्राइवेट व्यापारी को बेचनी पड़ी।”
हिसार के किसान रामपाल ने कहा, “धान की नमी 17% बताकर खरीद से मना कर दिया गया, जबकि बारिश के बाद नमी बढ़ना स्वाभाविक है।”
📚 समाधान क्या हो सकता है?
🔄 सुधार के सुझाव:
- मंडियों में डिजिटल कांटे और ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम लागू हों।
- नमी की सीमा में लचीलापन दिया जाए।
- मिलर्स को खरीद प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल किया जाए।
- किसानों को मंडी में प्रतीक्षा के दौरान सुविधाएं दी जाएं।
- खरीद प्रक्रिया की निगरानी के लिए स्वतंत्र एजेंसी नियुक्त की जाए।
❓ FAQs
Q1. हरियाणा में खरीफ फसल खरीद कब शुरू हुई?
खरीफ खरीद सीजन 2025-26 की शुरुआत अक्टूबर के पहले सप्ताह में हुई।
Q2. सरकार ने अब तक कितना भुगतान किया है?
सरकार ने किसानों के खातों में ₹1945.99 करोड़ रुपये DBT के माध्यम से ट्रांसफर किए हैं।
Q3. विपक्ष के मुख्य आरोप क्या हैं?
विपक्ष का कहना है कि मंडियों में खरीद में देरी हो रही है, MSP नहीं मिल रहा और किसानों को दलालों के हवाले किया जा रहा है।
Q4. सरकार का क्या जवाब है?
सरकार ने आंकड़े जारी कर बताया कि खरीद प्रक्रिया सुचारू है और MSP का भुगतान समय पर किया जा रहा है।
🔚 निष्कर्ष: आंकड़ों और जमीनी हकीकत में फंसी सच्चाई
हरियाणा में खरीफ फसल खरीद को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। जहां सरकार आंकड़ों के ज़रिए अपनी स्थिति मजबूत बता रही है, वहीं विपक्ष और किसान जमीनी हकीकत को उजागर कर रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन चुनौतियों से कैसे निपटती है और किसानों का भरोसा कैसे जीतती है।
External Source: www.jagran.com
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