केंद्रीय बजट 2025: आम आदमी के लिए राहत की उम्मीदें
केंद्रीय बजट 2025 को लेकर देशभर में उत्सुकता बनी हुई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए इस बजट में आम जनता को टैक्स में राहत, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती और महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। उद्योग संगठनों और अर्थशास्त्रियों ने सरकार को कई सुझाव दिए हैं, जिनमें टैक्स स्लैब में बदलाव और ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती प्रमुख हैं।
बजट 2025 की प्रमुख बातें
- व्यक्तिगत आयकर में छूट की मांग
- पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने का प्रस्ताव
- ग्रामीण योजनाओं में बढ़ोतरी की संभावना
- महंगाई पर नियंत्रण के उपाय
टैक्स स्लैब में बदलाव की मांग
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने केंद्र सरकार से अपील की है कि व्यक्तिगत आयकर की अधिकतम दर को घटाया जाए। फिलहाल ₹20 लाख से अधिक वार्षिक आय पर 42.74% टैक्स लागू होता है, जबकि कंपनियों पर केवल 25.17% की दर से कॉर्पोरेट टैक्स लिया जाता है। इस अंतर को संतुलित करने की मांग इसलिए की जा रही है ताकि मध्यम वर्ग की खर्च करने की क्षमता में सुधार हो और उपभोग को बढ़ावा मिले।
प्रस्तावित टैक्स सुधार:
- ₹5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं
- ₹5–10 लाख पर 10% टैक्स
- ₹10–20 लाख पर 20% टैक्स
- ₹20 लाख से ऊपर पर 30% टैक्स
इस बदलाव से उपभोग बढ़ेगा, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर राहत की उम्मीद
पेट्रोल पर वर्तमान में 21% और डीजल पर 18% एक्साइज ड्यूटी लगती है। मई 2022 से इन दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जबकि अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 40% की गिरावट आई है3।
CII के सुझाव:
- पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में 5–8 रुपये प्रति लीटर की कटौती
- डीजल पर 4–6 रुपये प्रति लीटर की कटौती
- राज्य सरकारों से VAT में भी कटौती की अपील
इससे महंगाई पर नियंत्रण और आम आदमी की जेब में राहत संभव है।
ग्रामीण भारत के लिए विशेष योजनाएं
महंगाई का सबसे अधिक असर ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ा है। CII ने सुझाव दिया है कि सरकार MGNREGS, PM-KISAN और PMAY जैसी योजनाओं में सुधार करे।
प्रस्तावित सुधार:
- MGNREGS की दैनिक मजदूरी ₹267 से बढ़ाकर ₹375 की जाए
- PM-KISAN की वार्षिक सहायता ₹6,000 से बढ़ाकर ₹8,000 की जाए
- उपभोग वाउचर की शुरुआत की जाए
इन उपायों से ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक संतुलन कायम रहेगा।
बजट के पीछे की आर्थिक सोच
सरकार का लक्ष्य है कि 2026 तक राजकोषीय घाटा GDP का 4.5% तक लाया जाए। ऐसे में टैक्स कटौती और सब्सिडी देने के फैसले को संतुलित करना चुनौतीपूर्ण होगा।
आर्थिक विश्लेषण:
- 2024 में राजकोषीय घाटा 5.9% रहा
- तेल कंपनियों के मुनाफे में वृद्धि हुई है: IOCL ₹36,580 करोड़, BPCL ₹22,069 करोड़
- इससे सरकार को कुछ वित्तीय स्पेस मिल सकता है
बजट से आम आदमी को क्या उम्मीद?
आम जनता को इस बजट से निम्नलिखित राहतों की उम्मीद है:
- टैक्स छूट से बचत में वृद्धि
- पेट्रोल-डीजल सस्ता होने से परिवहन लागत में कमी
- महंगाई पर नियंत्रण से दैनिक जीवन में राहत
- ग्रामीण योजनाओं से रोजगार और आय में सुधार
🔍 FAQs
Q1: क्या बजट 2025 में टैक्स स्लैब बदला गया है?
उत्तर: अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन ₹20 लाख तक की आय पर टैक्स छूट की मांग की गई है।
Q2: पेट्रोल की कीमतों में कितनी कटौती हो सकती है?
उत्तर: CII ने पेट्रोल पर 5–8 रुपये और डीजल पर 4–6 रुपये की कटौती का सुझाव दिया है।
Q3: क्या ग्रामीण योजनाओं में बदलाव होगा?
उत्तर: MGNREGS और PM-KISAN जैसी योजनाओं में लाभ बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
Q4: बजट से महंगाई पर क्या असर पड़ेगा?
उत्तर: टैक्स और ईंधन दरों में कटौती से महंगाई पर नियंत्रण संभव है।
🔚 निष्कर्ष
केंद्रीय बजट 2025 आम आदमी की उम्मीदों पर खरा उतरने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। टैक्स छूट, ईंधन दरों में कटौती और ग्रामीण योजनाओं में सुधार से देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिल सकती है। हालांकि, सरकार को राजकोषीय संतुलन बनाए रखने की चुनौती भी होगी।
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