GST रिटर्न फाइलिंग में होने वाली 5 आम गलतियाँ और उनसे बचने के स्मार्ट तरीके

GST रिटर्न फाइलिंग—एक ज़िम्मेदारी, न कि सिर्फ़ एक फॉर्मेलिटी

भारत में GST लागू होने के बाद से व्यापारियों के लिए रिटर्न फाइल करना एक अनिवार्य प्रक्रिया बन गई है। लेकिन कई बार जानकारी की कमी या जल्दबाज़ी में की गई गलतियाँ भारी पड़ जाती हैं। जुर्माना, नोटिस और ऑडिट जैसी समस्याओं से बचने के लिए ज़रूरी है कि आप इन आम गलतियों को समझें और उनसे बचने के उपाय अपनाएं।

1️⃣ बिक्री नहीं हुई? फिर भी रिटर्न फाइल करना ज़रूरी है

गलती: कई व्यापारी सोचते हैं कि अगर महीने में कोई बिक्री नहीं हुई, तो रिटर्न फाइल करने की ज़रूरत नहीं है।

हकीकत: अगर किसी महीने में आपकी बिक्री बिल्कुल नहीं हुई है, तब भी ‘Nil Return’ फाइल करना ज़रूरी है। ऐसा न करने पर हर दिन ₹200 तक का जुर्माना लग सकता है।

सुझाव: हर महीने रिमाइंडर सेट करें या ऐसा अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करें जो आपको समय पर अलर्ट दे। एक अनुभवी CA से सलाह लेना भी बेहतर रहेगा।

2️⃣ गलत GST श्रेणी में टैक्स भरना = दोहरी परेशानी

गलती: अक्सर व्यापारी IGST की बजाय गलती से CGST और SGST भर देते हैं, या फिर उल्टा कर बैठते हैं।

हकीकत: गलत श्रेणी में भरा गया टैक्स एक-दूसरे के खिलाफ एडजस्ट नहीं किया जा सकता। इससे आपको दोबारा सही टैक्स भरना पड़ता है।

सुझाव:

  • इंटरस्टेट ट्रांजैक्शन: IGST लागू होता है
  • इंट्रास्टेट ट्रांजैक्शन: CGST और SGST लागू होते हैं

GST पोर्टल पर फॉर्म भरते समय श्रेणी का चयन सावधानी से करें।

3️⃣ ज़ीरो रेटेड और निल रेटेड सप्लाई में फर्क समझें

गलती: एक्सपोर्ट करने वाले व्यापारी अक्सर ज़ीरो रेटेड और निल रेटेड सप्लाई को एक जैसा समझ लेते हैं।

हकीकत: ज़ीरो रेटेड सप्लाई पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्लेम किया जा सकता है, जबकि निल रेटेड पर नहीं। गलत वर्गीकरण से रिफंड का अधिकार खो सकते हैं।

सुझाव: एक्सपोर्ट को हमेशा ज़ीरो रेटेड के तहत दर्ज करें और फॉर्म भरते समय ड्रॉपडाउन विकल्पों को ध्यान से चुनें।

4️⃣ रिवर्स चार्ज: हर बार लागू नहीं होता

गलती: कई व्यापारी बिना ज़रूरत के रिवर्स चार्ज के तहत टैक्स भर देते हैं।

हकीकत: रिवर्स चार्ज केवल विशेष परिस्थितियों में लागू होता है। बिना ज़रूरत के भुगतान से कैश फ्लो पर असर पड़ता है।

सुझाव: GST की नवीनतम रिवर्स चार्ज गाइडलाइन पढ़ें और किसी भी भुगतान से पहले टैक्स सलाहकार से सलाह लें।

5️⃣ GSTR-1 और GSTR-3B में आंकड़ों का मेल न होना

गलती: बिक्री का विवरण GSTR-1 में कुछ और और सारांश GSTR-3B में कुछ और देना।

हकीकत: GST विभाग अब AI आधारित टूल्स से ऐसे अंतर को पकड़ता है, जिससे ऑडिट और नोटिस की संभावना बढ़ जाती है।

सुझाव: हर महीने अपने खातों का सही मिलान करें और ज़रूरत पड़ने पर GST रिकंसीलेशन टूल्स या किसी विशेषज्ञ की सहायता जरूर लें।

📊 अतिरिक्त सुझाव: GST फाइलिंग को आसान बनाने के लिए

  • ✅ समय पर रिटर्न फाइल करें
  • ✅ सभी इनवॉइस की डिजिटल और फिजिकल कॉपी रखें
  • ✅ GST-अनुकूल बिलिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करें
  • ✅ सरकारी नोटिफिकेशन पर नज़र रखें
  • ✅ PAN और Aadhaar को लिंक करें

🧠 ये गलतियाँ क्यों होती हैं?

  • जानकारी की कमी
  • मैनुअल डेटा एंट्री
  • नियमों की गलत व्याख्या
  • पुराने सॉफ्टवेयर पर निर्भरता

समाधान:

  • प्रशिक्षण लें
  • ऑटोमेशन अपनाएं
  • विशेषज्ञों से सलाह लें

📌 एक सच्ची घटना: एक स्टार्टअप ने ₹50,000 गंवाए

दिल्ली के एक स्टार्टअप ने इंट्रास्टेट सेवा पर IGST भर दिया। ऑडिट में गलती पकड़ी गई और उन्हें CGST+SGST दोबारा भरना पड़ा। नतीजा—₹50,000 का नुकसान।

सीख: ट्रांजैक्शन टाइप की सही पहचान करें और फाइलिंग से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।

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