बांदा, उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक घोर भेदभावपूर्ण घटना सामने आई है, जहाँ जिला अस्पताल का अल्ट्रासाउंड रूम कई दिनों से बंद पड़ा था, लेकिन जिलाधिकारी जे. रीभा के अपनी बेटी का इलाज कराने पहुँचते ही तुरंत खुल गया!
क्या हुआ पूरा मामला?
अस्पताल का अल्ट्रासाउंड रूम लंबे समय से बंद था, आम मरीजों को बाहर जाँच कराने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
लेकिन जैसे ही DM जे. रीभा अपनी बेटी के साथ पहुँचीं, ताला खुल गया, रेडियोलॉजिस्ट आ गया और जाँच हो गई!
जाँच के बाद फिर से बंद कर दिया गया, जिससे आम जनता में आक्रोश फैल गया।
“यह सिस्टम की खुली लूट है!” – मरीजों का आरोप
आक्रोशित मरीजों और अस्पताल कर्मचारियों का कहना है:
✔ “आम जनता के लिए सुविधाएँ बंद, पर बड़े अधिकारियों के लिए सब कुछ झट से!”
✔ “डॉक्टर और प्राइवेट लैब मिलकर मरीजों को लूट रहे हैं!”
✔ “कमीशनखोरी के चलते बाहर जाँच के लिए धकेला जाता है!”
सीएमएस का बचाव – “DM की बेटी का केस जरूरी था!”
जब इस मामले पर चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट (CMS) से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा:
“रेडियोलॉजिस्ट की कमी के कारण अल्ट्रासाउंड बंद था, लेकिन DM के केस में मैंने खुद कर दिया।”
“आम मरीजों के लिए संभव नहीं है, क्योंकि प्रशासनिक काम ज्यादा जरूरी हैं!”
सवाल यही – क्या आम आदमी के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ नहीं?
यह घटना सिस्टम की कड़वी सच्चाई उजागर करती है:
🔴 VIP कल्चर – साधारण मरीजों के लिए सुविधाएँ बंद, पर अधिकारियों के लिए झटपट!
🔴 कमीशनखोरी का खेल – डॉक्टर-प्राइवेट लैब मिलकर मरीजों को ठग रहे हैं!
🔴 दर्दनाक सच! गरीब मरीजों को मजबूरन बाहर के महंगे टेस्ट कराने पड़ रहे हैं!
क्या होगा अब?
इस मामले ने सवाल खड़े कर दिए हैं:
❓ क्या DM को जवाब देना चाहिए?
❓ क्या स्वास्थ्य विभाग इस भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करेगा?
❓ आखिर कब तक आम जनता को ऐसी भेदभावपूर्ण व्यवस्था झेलनी पड़ेगी?
📢 आपकी राय क्या है? क्या यह केवल एक छोटी घटना है या सिस्टम की बड़ी विफलता? कमेंट में बताएँ!