फ्लैट खरीद पर GST: जानिए Real Estate में टैक्स की पूरी तस्वीर
भारत में Real Estate सेक्टर में GST लागू होने के बाद फ्लैट खरीदने की प्रक्रिया में पारदर्शिता तो आई है, लेकिन साथ ही कई सवाल भी खड़े हुए हैं। खासकर उन लोगों के लिए जो पहली बार घर खरीदने जा रहे हैं, यह जानना जरूरी है कि फ्लैट खरीदते समय उन्हें कितना GST देना होगा और किन परिस्थितियों में यह टैक्स लागू होता है।
📊 GST क्या है और Real Estate में इसका महत्व
GST की परिभाषा
GST यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक एकीकृत अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है, जिसे भारत सरकार ने 1 जुलाई 2017 को लागू किया था। इससे पहले, फ्लैट खरीदने पर कई अलग-अलग टैक्स जैसे VAT, सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी आदि लगते थे।
Real Estate में GST का प्रभाव
- टैक्स की जटिलता कम हुई
- बिल्डर्स के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा
- खरीदारों को स्पष्टता और पारदर्शिता
- रेडी-टू-मूव और अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में अंतर
🏢 फ्लैट खरीद पर GST कैसे लागू होता है?
रेडी-टू-मूव फ्लैट्स पर GST
यदि किसी फ्लैट को कंप्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त हो चुका है या वह रेडी-टू-मूव की श्रेणी में आता है, तो उस पर GST लागू नहीं होता। ऐसे मामलों में खरीदार को केवल स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।
अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट्स पर GST
अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर GST लागू होता है। इसकी दरें फ्लैट की श्रेणी पर निर्भर करती हैं:
फ्लैट की श्रेणी | GST दर | इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) |
---|---|---|
अफोर्डेबल हाउसिंग | 1% | उपलब्ध नहीं |
नॉन-अफोर्डेबल हाउसिंग | 5% | उपलब्ध नहीं |
कमर्शियल प्रॉपर्टी | 12% | उपलब्ध |
🏘️ अफोर्डेबल और नॉन-अफोर्डेबल हाउसिंग की परिभाषा
अफोर्डेबल हाउसिंग
- मेट्रो शहरों में फ्लैट का कारपेट एरिया ≤ 60 वर्ग मीटर
- नॉन-मेट्रो शहरों में ≤ 90 वर्ग मीटर
- फ्लैट की कीमत ≤ ₹45 लाख
नॉन-अफोर्डेबल हाउसिंग
- उपरोक्त मानदंडों को पूरा न करने वाली प्रॉपर्टी
- आमतौर पर लग्जरी या हाई-एंड प्रोजेक्ट्स
📈 GST लागू होने से पहले और बाद की स्थिति
GST से पहले:
- VAT: 1%–5% (राज्य पर निर्भर)
- सर्विस टैक्स: 4.5%
- एक्साइज ड्यूटी, एंट्री टैक्स आदि
GST के बाद:
- एकीकृत टैक्स प्रणाली
- अफोर्डेबल हाउसिंग पर 1%
- नॉन-अफोर्डेबल पर 5%
- रेडी-टू-मूव पर कोई GST नहीं
🧮 फ्लैट खरीद पर GST की गणना कैसे करें?
मान लीजिए आप ₹40 लाख का अंडर-कंस्ट्रक्शन अफोर्डेबल फ्लैट खरीद रहे हैं:
- GST दर: 1%
- GST राशि: ₹40,000
अगर वही फ्लैट नॉन-अफोर्डेबल श्रेणी में आता है:
- GST दर: 5%
- GST राशि: ₹2,00,000
🏗️ बिल्डर्स के लिए GST का प्रभाव
- इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा केवल कमर्शियल प्रोजेक्ट्स में
- अफोर्डेबल और नॉन-अफोर्डेबल हाउसिंग में ITC नहीं
- लागत बढ़ने की संभावना
- पारदर्शिता और टैक्स अनुपालन में सुधार
📋 फ्लैट खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें
- प्रॉपर्टी की स्थिति: रेडी-टू-मूव या अंडर-कंस्ट्रक्शन
- फ्लैट की श्रेणी: अफोर्डेबल या नॉन-अफोर्डेबल
- बिल्डर से GST रसीद लेना अनिवार्य
- स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज अलग से देना होगा
- प्रॉपर्टी के दस्तावेजों की जांच करें
🌐 बाहरी स्रोतों से जानकारी
❓FAQs
Q1: क्या रेडी-टू-मूव फ्लैट पर GST लगता है?
नहीं, रेडी-टू-मूव फ्लैट पर GST नहीं लगता। केवल स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज देना होता है।
Q2: अफोर्डेबल हाउसिंग की परिभाषा क्या है?
₹45 लाख तक की कीमत और मेट्रो शहरों में 60 वर्ग मीटर तक का कारपेट एरिया।
Q3: क्या GST के साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलता है?
नहीं, अफोर्डेबल और नॉन-अफोर्डेबल हाउसिंग में ITC नहीं मिलता। केवल कमर्शियल प्रॉपर्टी में उपलब्ध है।
Q4: क्या GST दरें समय के साथ बदलती हैं?
हाँ, GST काउंसिल समय-समय पर दरों में बदलाव करती है।
📝 निष्कर्ष
GST लागू होने के बाद रियल एस्टेट सेक्टर में टैक्स प्रणाली सरल और पारदर्शी हुई है। फ्लैट खरीदते समय यह जानना जरूरी है कि प्रॉपर्टी की श्रेणी और स्थिति के अनुसार GST कैसे लागू होता है। अफोर्डेबल हाउसिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 1% की रियायती दर तय की है, जबकि अन्य प्रॉपर्टी पर 5% GST देना होता है। खरीदारों को चाहिए कि वे बिल्डर से स्पष्ट जानकारी लें और सभी दस्तावेजों की जांच करें।
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