2006 से 2025 तक GST का सफर: भारत में कर सुधार की कहानी

भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) की शुरुआत एक ऐतिहासिक कर सुधार के रूप में हुई थी। 2006 से लेकर 2025 तक, इस प्रणाली ने देश के कर ढांचे को बदलने में अहम भूमिका निभाई है। आइए जानते हैं इस सफर की पूरी कहानी।

🏛️ GST का प्रारंभिक विचार: 2006–2011

भारत में GST की अवधारणा पहली बार 2006 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा पेश की गई थी। इसका उद्देश्य था विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत करना।

🔑 मुख्य बिंदु:

  • 2006: GST का प्रस्ताव केंद्रीय बजट में रखा गया।
  • 2007: एक सशक्त कार्यबल का गठन हुआ, जिसकी अध्यक्षता पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री ने की।
  • 2009: पहला चर्चा पत्र जारी हुआ जिसमें GST के ढांचे की रूपरेखा दी गई।

🧠 उद्देश्य:

  • कर प्रणाली को सरल बनाना
  • व्यापार में पारदर्शिता लाना
  • राज्यों और केंद्र के बीच कर संग्रह में संतुलन बनाना

🧩 विधायी प्रक्रिया और चुनौतियाँ: 2012–2016

🏗️ संविधान संशोधन

GST को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन आवश्यक था। इसके लिए 122वां संविधान संशोधन विधेयक 2014 में लोकसभा में पेश किया गया।

⚔️ राजनीतिक मतभेद

  • कई राज्यों को राजस्व नुकसान की आशंका थी।
  • केंद्र और राज्यों के बीच अधिकारों को लेकर बहस हुई।
  • विपक्षी दलों ने विधेयक में कई संशोधन की मांग की।

📜 प्रमुख घटनाएं:

  1. 2015: राज्यसभा में विधेयक अटका रहा।
  2. 2016: संशोधित विधेयक पारित हुआ।
  3. 2016: GST परिषद का गठन हुआ।

🚀 GST का क्रियान्वयन: 2017

📅 ऐतिहासिक दिन

1 जुलाई 2017 को GST को आधिकारिक रूप से लागू किया गया। इसे “One Nation, One Tax” के रूप में प्रचारित किया गया।

🧾 GST के प्रकार:

  • CGST (केंद्रीय GST)
  • SGST (राज्य GST)
  • IGST (एकीकृत GST)

📊 टैक्स स्लैब्स:

  • 0%: आवश्यक वस्तुएं
  • 5%: दैनिक उपयोग की वस्तुएं
  • 12% और 18%: सामान्य वस्तुएं और सेवाएं
  • 28%: विलासिता की वस्तुएं

📈 GST के प्रभाव: 2018–2020

✅ सकारात्मक प्रभाव:

  • कर संग्रह में वृद्धि
  • ई-वे बिल और रिटर्न फाइलिंग से पारदर्शिता
  • छोटे व्यापारियों के लिए कंपोजिशन स्कीम

❌ चुनौतियाँ:

  • तकनीकी समस्याएं
  • रिटर्न फाइलिंग की जटिलता
  • रिफंड में देरी

📉 आंकड़े:

  • 2018 में ₹9.7 लाख करोड़ का GST संग्रह
  • 2020 में COVID-19 के कारण संग्रह में गिरावट

🔄 सुधार और संशोधन: 2021–2023

🛠️ तकनीकी सुधार:

  • GSTR-1 और GSTR-3B को लिंक किया गया
  • QR कोड आधारित बिलिंग शुरू हुई

📋 नीति बदलाव:

  • इनवॉइस मैचिंग को सरल किया गया
  • कंपोजिशन स्कीम की सीमा बढ़ाई गई

🌐 डिजिटल इंडिया से जुड़ाव:

GSTN (Goods and Services Tax Network) को और मजबूत किया गया ताकि डेटा एनालिटिक्स से टैक्स चोरी रोकी जा सके।

📊 GST का वर्तमान स्वरूप: 2024–2025

🔍 नई पहल:

  • AI आधारित स्क्रूटनी सिस्टम
  • GST App से मोबाइल फाइलिंग
  • MSME के लिए विशेष राहत पैकेज

📈 संग्रह के आंकड़े:

  • 2024 में ₹15 लाख करोड़ का संग्रह
  • 2025 की पहली तिमाही में ₹4.2 लाख करोड़

🌍 वैश्विक तुलना:

भारत का GST मॉडल अब ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों के समकक्ष माना जा रहा है।

📚 GST के लाभ और सीमाएँ

✅ लाभ:

  • एकीकृत कर प्रणाली
  • व्यापार में सरलता
  • कर चोरी में कमी

❌ सीमाएँ:

  • जटिल रिटर्न प्रक्रिया
  • राज्यों की राजस्व निर्भरता
  • तकनीकी बाधाएं

❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1: GST की शुरुआत कब हुई थी?

उत्तर: GST को 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था।

Q2: GST के कितने प्रकार हैं?

उत्तर: मुख्यतः तीन प्रकार हैं—CGST, SGST और IGST।

Q3: GST परिषद क्या है?

उत्तर: यह एक संस्था है जो केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों से मिलकर बनी है और GST से जुड़े निर्णय लेती है।

Q4: GST का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: कर प्रणाली को सरल बनाना और देशभर में एक समान कर ढांचा लागू करना।

Q5: GST से व्यापारियों को क्या लाभ हुआ?

उत्तर: रिटर्न फाइलिंग की सुविधा, कंपोजिशन स्कीम, और पारदर्शिता में वृद्धि।

🔚 निष्कर्ष

2006 से 2025 तक का GST यात्रा भारत की आर्थिक प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव का प्रतीक रही है। इसने कर ढांचे को अधिक सरल और एकीकृत बनाया, साथ ही व्यापार में पारदर्शिता और डिजिटल कर प्रबंधन को नई दिशा दी। हालांकि कुछ चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं, लेकिन सुधार की प्रक्रिया निरंतर गतिशील बनी हुई है।

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