राजस्थान में माइनिंग लॉबी पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: रणथम्भौर अभयारण्य में अवैध खनन और निर्माण पर उठे गंभीर सवाल

सुप्रीम कोर्ट की चिंता: राजस्थान में माइनिंग लॉबी हावी

Newswell24.com
जयपुर
:/राजस्थान भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व और उसके आसपास बढ़ते अवैध खनन, होटल निर्माण और अतिक्रमण को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। हाल ही में रणथम्भौर का दौरा कर लौटे मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने टिप्पणी की कि “राजस्थान में माइनिंग लॉबी बेहद मजबूत और हावी है, लेकिन बाघों और वन्यजीवों की कीमत पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।”

यह बयान ऐसे समय में आया है जब पर्यावरणविदों ने अदालत में याचिकाएं दायर कर कहा है कि रणथम्भौर अभयारण्य के कोर और बफर ज़ोन में बड़े पैमाने पर खनन गतिविधियां और अवैध निर्माण कार्य हो रहे हैं।


⚖️ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: रणथम्भौर मामला

मुख्य न्यायाधीश गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चन्द्रन की खंडपीठ ने बुधवार को टी.एन. गोडावर्मन मामले की सुनवाई की। इस दौरान राज्य सरकार ने अदालत से समय मांगा ताकि वह रणथम्भौर से जुड़े मुद्दों पर विस्तृत जवाब दे सके।

दूसरी ओर, सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (CEC) ने भी अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की। अदालत ने अब मामले की अगली सुनवाई की तारीख 8 अक्टूबर 2025 तय की है।


📌 याचिका में उठे गंभीर मुद्दे

पर्यावरणविद गौरव कुमार बंसल की ओर से दायर याचिका में रणथम्भौर और आसपास के क्षेत्रों से जुड़े कई मुद्दों को अदालत के सामने रखा गया।

याचिका के मुख्य बिंदु:

  • कोर एरिया और बफर जोन में अवैध खनन
  • जंगलों के भीतर और आसपास होटल-रेस्टोरेंट का अनियंत्रित निर्माण
  • त्रिनेत्र गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ और अव्यवस्थित प्रबंधन
  • ईको सेंसेटिव ज़ोन की अधिसूचना जारी करने में देरी।
  • प्राचीन स्मारकों और मंदिरों का संरक्षण न होना।
  • फार्म हाउस और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का जंगल क्षेत्र में विस्तार।

🏨 होटल और फार्म हाउसों की भरमार

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के आसपास का इलाका पर्यटन के लिहाज से बेहद लोकप्रिय है। लेकिन इस लोकप्रियता ने जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव भी बढ़ाया है।

  • 2011 में RTI के तहत मिली जानकारी के अनुसार, ईको सेंसेटिव जोन (500 मीटर परिधि) में 38 होटल और फार्म हाउस मौजूद थे।
  • अब यह संख्या बढ़कर 50 से अधिक हो चुकी है।
  • कई निर्माण कार्य बिना अनुमति और पर्यावरण नियमों की अनदेखी कर किए गए हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि इन होटलों के कारण बाघों के प्राकृतिक कॉरिडोर बाधित हो रहे हैं और इंसानों तथा वन्यजीवों का टकराव बढ़ रहा है।


⛏️ अवैध खनन का बढ़ता संकट

रणथम्भौर और उसके आसपास कई जगहों पर मिट्टी और पत्थरों का अवैध खनन जारी है।

  • रणथम्भौर रोड पर राजीव गांधी संग्रहालय के पास अवैध खनन के मामले दर्ज हुए।
  • उलियाणा गांव, बसोखुर्द और भूरी पहाड़ी क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर पत्थर निकाले जा रहे हैं।
  • 2024 में उलियाणा क्षेत्र में खनन के चलते इंसानों और बाघों के बीच आमना-सामना भी हो चुका है।

यह स्थिति न केवल वन्यजीवों के लिए खतरनाक है, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती है।


📑 सीईसी की रिपोर्ट में क्या कहा गया?

सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (CEC) ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कई सुझाव और अवलोकन अदालत के सामने रखे।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  1. त्रिनेत्र गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को प्रबंधित करने के लिए एक विशेष ट्रस्ट का गठन आवश्यक है।
  2. कचीदा माता मंदिर का अवैध विस्तार तुरंत रोका जाए।
  3. अवैध खनन और निर्माण के मामलों में FIR तो दर्ज हुईं, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई।
  4. ईको सेंसेटिव ज़ोन की अधिसूचना जारी करने में राज्य सरकार की ढिलाई पर सवाल।

👥 जांच समिति का गठन

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई गई है। इसमें शामिल हैं:

  • सवाईमाधोपुर के कलेक्टर
  • रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के निदेशक
  • सीईसी के सदस्य

यह समिति क्षेत्र का दौरा करेगी, स्थानीय मंदिर ट्रस्ट और प्रभावित पक्षों से बातचीत करेगी और अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपेगी।


🌏 रणथम्भौर: भारत की शान और चुनौती

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व भारत के प्रमुख बाघ अभयारण्यों में से एक है। यह न सिर्फ बाघों की आबादी के लिए मशहूर है, बल्कि पर्यटकों के आकर्षण का बड़ा केंद्र भी है।

  • यहां करीब 80 से अधिक बाघ रहते हैं।
  • यह पार्क सालाना लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  • साथ ही, यह राजस्थान की लोकल इकॉनमी का बड़ा हिस्सा है।

लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि बेहिसाब पर्यटन और अवैध गतिविधियां इस प्राकृतिक धरोहर के अस्तित्व को खतरे में डाल रही हैं।


📊 विश्लेषण: क्यों जरूरी है सख्त कदम?

पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो:

  • बाघों की प्रजनन दर प्रभावित होगी।
  • मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ेगा।
  • पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव से जल स्रोत और वनस्पति भी नष्ट होंगे।
  • पर्यटन उद्योग की दीर्घकालिक स्थिरता खतरे में पड़ जाएगी।

❓ FAQs

Q1. रणथम्भौर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजस्थान में माइनिंग लॉबी बेहद हावी है, लेकिन बाघों और वन्यजीवों की कीमत पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

Q2. रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में मुख्य समस्या क्या है?
यहां अवैध खनन, होटल-रेस्टोरेंट का निर्माण, अतिक्रमण और ईको सेंसेटिव जोन की अनदेखी सबसे बड़ी समस्याएं हैं।

Q3. सीईसी की रिपोर्ट में क्या सुझाव दिए गए?
रिपोर्ट में त्रिनेत्र गणेश मंदिर में ट्रस्ट गठन, अवैध मंदिर विस्तार रोकने और खनन मामलों में कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

Q4. अगली सुनवाई कब होगी?
रणथम्भौर से जुड़े मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 8 अक्टूबर 2025 को होगी।


📝 निष्कर्ष

रणथम्भौर का मामला केवल राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा मुद्दा है, बल्कि पर्यटन, स्थानीय अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक धरोहर से भी सीधा संबंध रखता है। सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। आने वाले महीनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्य सरकार और प्रशासन इन निर्देशों को कितनी गंभीरता से लागू करते हैं।

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