शारदीय नवरात्रि 2025: मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, मंत्र और आरती का महत्व

शारदीय नवरात्रि 2025 के तीसरे दिन देवी दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की उपासना की जाती है। यह दिन शक्ति, साहस और शांति का प्रतीक माना जाता है। मां चंद्रघंटा की पूजा विशेष विधि से की जाती है, जिसमें मंत्र, आरती और भोग का विशेष महत्व होता है।

🕉️ मां चंद्रघंटा: स्वरूप और पौराणिक संदर्भ

मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा रूप हैं। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की घंटा होती है, जिससे इनका नाम ‘चंद्रघंटा’ पड़ा।

🌟 देवी के स्वरूप की विशेषताएं:

  • स्वर्ण के समान चमकीला रंग
  • दस भुजाएं, जिनमें गदा, त्रिशूल, धनुष, खड्ग, चक्र आदि शस्त्र
  • सिंह पर सवारी
  • तीन नेत्र, जो ज्ञान, शक्ति और करुणा के प्रतीक हैं

📖 पौराणिक कथा:

पौराणिक मान्यता के अनुसार, मां चंद्रघंटा ने राक्षसों का संहार कर देवताओं को भयमुक्त किया था। इनकी आराधना से साधक को निर्भयता, आत्मबल और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

🙏 पूजा विधि: कैसे करें मां चंद्रघंटा की उपासना?

शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा विशेष विधि से की जाती है। यह दिन साधना और शक्ति प्राप्ति का अवसर होता है।

🪔 पूजन सामग्री:

  • शुद्ध जल और पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, शहद)
  • सुगंधित फूल (गुलाब, गुड़हल, कमल)
  • अक्षत, कुमकुम, सिंदूर, चंदन, बेलपत्र
  • केसर और दूध से बनी मिठाई
  • सफेद वस्त्र और भूरे रंग के कपड़े

📋 पूजा के चरण:

  1. मां की प्रतिमा या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
  2. पंचामृत से स्नान कराएं।
  3. फूल, अक्षत, सिंदूर आदि अर्पित करें।
  4. दूध और शहद का भोग लगाएं।
  5. सिंदूर का तिलक करें।
  6. दीपक जलाकर आरती करें।

🔮 मां चंद्रघंटा के मंत्र: शक्ति और शांति का स्रोत

मंत्रों का उच्चारण साधक को मानसिक शांति और आत्मबल प्रदान करता है।

🧘‍♀️ बीज मंत्र:

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चंद्रघंटायै नमः

📿 उपासना मंत्र:

पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।

🔱 महामंत्र:

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

🎶 मां चंद्रघंटा की आरती: भक्ति और भाव का संगम

आरती के माध्यम से भक्त देवी को अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।

🌺 आरती:

Code

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम  
पूर्ण कीजो मेरे सब काम  
चंद्र समान तू शीतल दाती  
तेज किरणों में समाती  
क्रोध को शांत बनाने वाली  
मीठे बोल सिखाने वाली  
मन की मालक मन भाती हो  
चंद्रघंटा तुम वरदाती हो  
हर संकट में बचाने वाली  
हर बुधवार जो तुझे ध्याये  
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाये  
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं  
घी की ज्योत सन्मुख जलाएं  
शीश झुका कहे मन की बाता  
पूर्ण आस करो जगदाता  
कांचीपुर स्थान तुम्हारा  
कर्नाटिका में मान तुम्हारा  
नाम तेरा रटू महारानी  
भक्त की रक्षा करो भवानी

🍚 मां चंद्रघंटा का भोग: क्या अर्पित करें देवी को?

भोग अर्पण पूजा का अभिन्न हिस्सा है। मां चंद्रघंटा को सफेद रंग की वस्तुएं प्रिय हैं।

🍯 भोग की सूची:

  • दूध या दूध से बनी खीर
  • शहद
  • केले
  • केसर मिश्रित मिठाई

📌 विशेष निर्देश:

  • भोग के बाद दूध ब्राह्मण को दान देना शुभ माना जाता है।
  • सफेद वस्त्र पहनकर पूजा करना अधिक फलदायक होता है।

📚 मां चंद्रघंटा की उपासना का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

✅ लाभ:

  • भय, पाप और बाधाओं का नाश
  • आत्मबल और साहस की प्राप्ति
  • मानसिक शांति और स्थिरता
  • प्रेतबाधा से रक्षा

📖 धार्मिक मान्यता:

देवी की उपासना से साधक को दिव्य ऊर्जा प्राप्त होती है, जिससे वह जीवन की कठिनाइयों का सामना कर सकता है।

External Source: Webdunia Hindi – पूजा विधि और मंत्र

📅 शारदीय नवरात्रि 2025: तृतीया तिथि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की तृतीया तिथि 1 अक्टूबर 2025 को पड़ रही है। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व है।

🕰️ शुभ मुहूर्त:

  • पूजा का समय: प्रातः 6:15 से 8:45 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:45 से 12:30 बजे तक

📌 ध्यान देने योग्य बातें

  • पूजा में सफेद और भूरे रंग के वस्त्र पहनें।
  • पूजा के बाद भोग ब्राह्मण को अर्पित करें।
  • मंत्रों का उच्चारण स्पष्ट और श्रद्धा से करें।
  • आरती के समय दीपक में घी का प्रयोग करें।

❓ FAQs

❓ मां चंद्रघंटा की पूजा किस दिन की जाती है?

शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन यानी तृतीया तिथि को मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।

❓ मां चंद्रघंटा का वाहन क्या है?

मां चंद्रघंटा सिंह पर सवार होती हैं, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।

❓ पूजा में कौन से रंग के वस्त्र पहनने चाहिए?

सफेद और भूरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

❓ मां चंद्रघंटा को कौन-कौन से भोग अर्पित किए जाते हैं?

दूध, खीर, शहद और केले का भोग अर्पित किया जाता है।

❓ मां चंद्रघंटा की आरती कब करनी चाहिए?

पूजन के अंत में आरती की जाती है, प्रातः और संध्या दोनों समय उपयुक्त हैं।

🔚 निष्कर्ष

शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। देवी के इस स्वरूप की पूजा से साधक को निर्भयता, आत्मबल और मानसिक शांति प्राप्त होती है। मंत्रों, आरती और भोग के माध्यम से भक्त देवी को अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।

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