✨ परिचय: माँ कूष्मांडा की आराधना का शुभ अवसर
शारदीय नवरात्रि 2025 के चौथे दिन माँ दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। यह दिन भक्तों के लिए विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता का स्रोत माना जाता है। माँ की कृपा से आयु, यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
🌞 माँ कूष्मांडा का स्वरूप और पौराणिक महत्व
माँ दुर्गा के नौ रूपों में चौथा रूप कूष्मांडा का है। संस्कृत में ‘कूष्मांडा’ शब्द तीन भागों से मिलकर बना है—’कु’ (थोड़ा), ‘ऊष्मा’ (ऊर्जा) और ‘अंड’ (ब्रह्मांड)। मान्यता है कि माँ ने अपनी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी।
🔱 देवी का स्वरूप:
- आठ भुजाओं वाली देवी
- सिंह पर सवार
- हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, चक्र, गदा, अमृतकलश, जपमाला और कमल
- सूर्यलोक में निवास करती हैं
🌟 धार्मिक मान्यता:
- माँ की पूजा से आत्मबल और सकारात्मकता बढ़ती है
- भय, रोग और दुर्भाग्य का नाश होता है
- भक्तों को यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है
🕉️ शारदीय नवरात्रि 2025: माँ कूष्मांडा की पूजा विधि
📅 शुभ मुहूर्त:
- दिनांक: 4 अक्टूबर 2025 (नवरात्रि का चौथा दिन)
- पूजा का श्रेष्ठ समय: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त
🧘♀️ पूजा की विधि:
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
- पूजा स्थल को साफ करके लाल या पीले कपड़े पर माँ की मूर्ति या चित्र स्थापित करें
- दीपक जलाएं और कलश की स्थापना करें
- माँ को पुष्प, चावल, कुमकुम, रोली, फल, नारियल और सफेद मिठाई अर्पित करें
- “ॐ देवी कुष्मांडायै नमः” मंत्र का जाप करें (108 बार)
- दुर्गा सप्तशती या देवी कवच का पाठ करें
- अंत में माँ की आरती करें और प्रसाद वितरित करें
📿 माँ कूष्मांडा के मंत्र और ध्यान विधि
🔸 बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नमः॥
इस मंत्र के जाप से आत्मविश्वास, तेज और निर्णय लेने की शक्ति मिलती है।
🔸 ध्यान मंत्र:
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
ध्यान करते समय माँ के तेजस्वी स्वरूप की कल्पना करनी चाहिए, जिससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक जागृति होती है।
🎶 माँ कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे। सुख पहुंचती हो मां अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
🍽️ माँ कूष्मांडा को प्रिय भोग
✅ भोग सामग्री:
- मालपुआ
- नारियल
- सफेद बर्फी
- मिश्री
- मौसमी फल
मालपुए का भोग विशेष रूप से माँ को अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इससे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और रोगों से मुक्ति मिलती है。
📖 माँ कूष्मांडा की कथा: ब्रह्मांड की रचयिता
पौराणिक कथा के अनुसार, जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था और चारों ओर अंधकार था, तब माँ कूष्मांडा ने अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की। उनके तेज से सूर्य का प्रकाश उत्पन्न हुआ। माँ का यह स्वरूप ज्ञान, ऊर्जा और संतुलन का प्रतीक है।
🔍 गुप्त नवरात्रि में माँ कूष्मांडा की विशेष भूमिका
गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक साधना के लिए माँ कूष्मांडा की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। साधक को आध्यात्मिक शक्ति, मानसिक संतुलन और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
📌 धार्मिक लाभ और प्रभाव
🌼 माँ की कृपा से प्राप्त होने वाले लाभ:
- रोगों से मुक्ति
- भय और नकारात्मकता का नाश
- आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि
- यश, आयु और आरोग्य की प्राप्ति
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक जागृति
❓ FAQs
❓ माँ कूष्मांडा की पूजा किस दिन होती है?
शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा की जाती है।
❓ माँ कूष्मांडा को कौन सा भोग प्रिय है?
मालपुआ, नारियल, मिश्री और सफेद मिठाई माँ को अत्यंत प्रिय हैं।
❓ माँ कूष्मांडा के मंत्र क्या हैं?
बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नमः॥
ध्यान मंत्र: सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च...
❓ माँ कूष्मांडा की पूजा से क्या लाभ होता है?
माँ की पूजा से रोग, भय और नकारात्मकता का नाश होता है। साथ ही यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
🔚 निष्कर्ष: माँ कूष्मांडा की आराधना से मिलता है दिव्य आशीर्वाद
शारदीय नवरात्रि 2025 के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा भक्तों को दिव्य ऊर्जा, आत्मबल और सकारात्मकता प्रदान करती है। उनकी आराधना से जीवन में संतुलन, स्वास्थ्य और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। माँ की कृपा से साधक के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
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