शारदीय नवरात्रि 2025 का पांचवां दिन माँ दुर्गा के पंचम स्वरूप स्कंदमाता को समर्पित है। इस दिन भक्त विशेष पूजा विधि, मंत्र और आरती के माध्यम से माँ की कृपा प्राप्त करते हैं।
🌸 माँ स्कंदमाता का स्वरूप और महत्व
माँ स्कंदमाता देवी दुर्गा का पांचवां रूप हैं, जिन्हें भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता के रूप में पूजा जाता है। उनका स्वरूप अत्यंत शांत और करुणामयी होता है।
🔹 देवी स्कंदमाता की विशेषताएं:
- चार भुजाओं वाली देवी
- एक हाथ में स्कंदकुमार (कार्तिकेय)
- दूसरे हाथ में कमल पुष्प
- सिंह पर सवारी
- पद्मासना मुद्रा में विराजमान
🔹 पूजा से प्राप्त होने वाले लाभ:
- संतान सुख की प्राप्ति
- शत्रुओं का नाश
- मोक्ष की प्राप्ति
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति
🕉️ माँ स्कंदमाता की पूजा विधि (Puja Vidhi)
शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा विशेष विधि से की जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।
🪔 पूजा के चरण:
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ पीले वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल पर माँ स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- पीले और सफेद फूल अर्पित करें।
- धूप, दीप और कपूर जलाएं।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें।
- केले का भोग लगाएं।
- अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
📿 माँ स्कंदमाता के मंत्र (Mantras)
मंत्रों का जाप पूजा में विशेष ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
🔸 बीज मंत्र:
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
🔸 स्तुति मंत्र:
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्॥
🔸 सप्तशती मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
🎶 माँ स्कंदमाता की आरती (Aarti)
आरती के माध्यम से भक्त माँ को भावपूर्ण श्रद्धा अर्पित करते हैं।
🔸 आरती के बोल (संक्षिप्त अंश):
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सबके मन की जानन हारी, जग जननी सबकी महतारी॥
🔸 आरती के लाभ:
- मन की शांति
- भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश
🍌 माँ स्कंदमाता को प्रिय भोग (Bhog)
माँ स्कंदमाता को पीले रंग की वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं। पूजा में विशेष भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है।
🔹 प्रिय भोग:
- केला
- पीले मिठाई जैसे बेसन के लड्डू
- पीले फल जैसे आम, पपीता
🔹 भोग अर्पण के लाभ:
- संतान सुख की प्राप्ति
- बाधाओं का नाश
- प्रसाद ग्रहण करने से मनोकामना पूर्ण होती है
📅 शुभ मुहूर्त और पंचमी तिथि विवरण
शारदीय नवरात्रि 2025 की पंचमी तिथि और पूजा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
🔸 पंचमी तिथि:
- प्रारंभ: 1 अक्टूबर 2025, बुधवार, रात 12:10 बजे
- समाप्ति: 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार, रात 11:45 बजे
🔸 शुभ मुहूर्त:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:45 से 05:30 तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:45 तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:45 से 06:15 तक
📚 स्कंदमाता की कथा और पौराणिक संदर्भ
माँ स्कंदमाता की कथा पुराणों में वर्णित है, जिसमें उनके पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) की रक्षा और पालन का उल्लेख मिलता है।
🔹 कथा के मुख्य बिंदु:
- स्कंदकुमार का जन्म राक्षसों के संहार हेतु हुआ
- माँ स्कंदमाता ने उन्हें युद्ध के लिए तैयार किया
- देवी ने सिंह पर सवार होकर राक्षसों का नाश किया
❓ FAQs
❓ माँ स्कंदमाता की पूजा किस दिन होती है?
शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन, पंचमी तिथि को।
❓ स्कंदमाता की पूजा से क्या लाभ होता है?
संतान सुख, मोक्ष, शत्रु नाश और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
❓ स्कंदमाता को कौन-सा भोग अर्पित करें?
केला, पीले फल और पीली मिठाई जैसे बेसन के लड्डू।
❓ स्कंदमाता का वाहन क्या है?
सिंह।
🔚 निष्कर्ष: माँ स्कंदमाता की कृपा से जीवन में सुख-शांति
शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन माँ स्कंदमाता की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। भक्तों को इस दिन विधिपूर्वक पूजा कर संतान सुख, मोक्ष और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। मंत्रों और आरती के माध्यम से माँ की कृपा प्राप्त करना संभव है।
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