बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने हाल ही में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के मंच पर अपने राजनीतिक जीवन से जुड़ा एक बड़ा राज खोला। उन्होंने बताया कि आखिर क्यों उन्होंने महज तीन साल में राजनीति को अलविदा कह दिया था। यह खुलासा सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।
🗳️ राजनीति में अमिताभ बच्चन की एंट्री: एक भावनात्मक फैसला
📍 1984 का ऐतिहासिक चुनाव
- अमिताभ बच्चन ने 1984 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से राजनीति में कदम रखा।
- उन्होंने इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से लोकसभा चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड एक मिलियन से अधिक वोटों से जीत हासिल की।
- यह जीत उस समय की सबसे बड़ी चुनावी जीतों में से एक मानी जाती है।
🤝 राजीव गांधी से दोस्ती बनी वजह
- अमिताभ ने खुलासा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से उनकी गहरी मित्रता थी।
- इसी दोस्ती के चलते उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया।
- उन्होंने आखिरी समय में नामांकन किया, फिर भी भारी मतों से विजयी रहे।
🧠 ‘बहुत मुश्किल काम है’: राजनीति छोड़ने की असली वजह
🎙️ KBC 17 पर भावुक बयान
- अमिताभ बच्चन ने कहा, “मैंने राजनीति बहुत भावुक होकर छोड़ी। मेरा जन्म इलाहाबाद में हुआ था, वहां के लोग मुझे बहुत प्यार करते थे।”
- उन्होंने बताया कि राजनीति में कुछ दिन बिताने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि यह काम बेहद कठिन है।
- “आपको इधर देखना होगा, उधर सुनना होगा, इसका जवाब देना होगा… यह बहुत मुश्किल है।”
🔍 राजनीति की चुनौतियाँ
- जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना
- हर मुद्दे पर प्रतिक्रिया देना
- सामाजिक और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को निभाना
🌾 भारत के असली चेहरे से हुई मुलाकात
🏞️ ग्रामीण भारत की सच्चाई
- अमिताभ ने बताया कि राजनीति के दो सालों में उन्हें भारत के गांवों की असली तस्वीर देखने को मिली।
- “वहां के लोग कैसे रहते हैं, क्या करते हैं… यह जानना मेरे लिए अनमोल अनुभव था।”
- उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव लड़ने वालों को ग्रामीण जनता बहुत सम्मान देती है।
📚 अनुभव से मिली सीख
- भारत की विविधता को समझने का मौका
- आम जनता की समस्याओं से रूबरू होने का अनुभव
- सामाजिक सरोकारों की गहराई को महसूस करना
💣 बोफोर्स घोटाले से बिगड़ी बात
🕵️♂️ 1987 का विवाद
- अमिताभ बच्चन का नाम 1987 में बोफोर्स रक्षा सौदे घोटाले से जुड़ा।
- आरोप लगे कि उन्होंने राजीव गांधी की ओर से रिश्वत ली है।
- हालांकि, बाद में उन्हें इस मामले में क्लीन चिट मिल गई थी।
🚪 राजनीति से विदाई
- विवादों और राजनीतिक दबाव के चलते उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली।
- उन्होंने फिर से अभिनय की दुनिया में वापसी की और अपने करियर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
🎥 KBC के मंच पर फिर से यादें ताज़ा
📺 शो के दौरान हुआ खुलासा
- ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के 17वें सीजन में एक कंटेस्टेंट से बातचीत के दौरान अमिताभ ने यह खुलासा किया।
- उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
- दर्शकों ने उनके बयान पर भावनात्मक प्रतिक्रियाएं दीं।
📌 अमिताभ बच्चन की राजनीतिक यात्रा: एक संक्षिप्त विश्लेषण
📅 टाइमलाइन
- 1984: INC से जुड़ाव और चुनाव जीत
- 1985–1987: संसद सदस्य के रूप में कार्यकाल
- 1987: बोफोर्स विवाद और इस्तीफा
📊 प्रभाव और विरासत
- राजनीति में उनका प्रवेश एक ऐतिहासिक घटना थी।
- हालांकि उनका कार्यकाल छोटा रहा, लेकिन उन्होंने जनता से जुड़ने की कोशिश की।
- आज भी लोग उनके राजनीतिक फैसले को याद करते हैं।
❓ FAQs
🤔 अमिताभ बच्चन ने राजनीति कब शुरू की थी?
1984 में, इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, उन्होंने कांग्रेस पार्टी से जुड़कर इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा।
🤔 उन्होंने राजनीति क्यों छोड़ी?
राजनीति की जटिलताओं और बोफोर्स घोटाले से जुड़े विवादों के कारण उन्होंने 1987 में इस्तीफा दे दिया।
🤔 क्या अमिताभ बच्चन को बोफोर्स मामले में दोषी पाया गया?
नहीं, उन्हें बाद में इस मामले में क्लीन चिट मिल गई थी।
🤔 क्या अब अमिताभ बच्चन राजनीति में सक्रिय हैं?
नहीं, उन्होंने राजनीति से पूरी तरह दूरी बना ली है। हालांकि उनकी पत्नी जया बच्चन सक्रिय राजनीति में हैं।
🧾 निष्कर्ष
अमिताभ बच्चन की राजनीतिक यात्रा भले ही छोटी रही हो, लेकिन वह भारतीय राजनीति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। KBC के मंच पर उनके द्वारा साझा की गई भावनात्मक बातें दर्शाती हैं कि राजनीति सिर्फ लोकप्रियता का खेल नहीं, बल्कि एक कठिन जिम्मेदारी है। उनके अनुभव आज भी लोगों को सोचने पर मजबूर करते हैं कि एक सेलिब्रिटी के लिए राजनीति कितनी चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
External Source: Patrika Report
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