प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की, जिसमें उन्होंने यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस की रणनीति स्पष्ट करने की मांग की। यह बातचीत ऐसे समय में हुई जब अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लागू किया है, जिससे भारत की ऊर्जा नीति पर असर पड़ा है।
📞 मोदी-पुतिन वार्ता: क्या है नाटो प्रमुख का दावा?
नाटो महासचिव मार्क रूटे ने CNN को दिए एक इंटरव्यू में दावा किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ का अप्रत्यक्ष प्रभाव रूस पर भी पड़ा है। उन्होंने कहा:
“दिल्ली अब मास्को से सीधे संपर्क में है। प्रधानमंत्री मोदी पुतिन से पूछ रहे हैं—‘मैं आपका समर्थन करता हूं, लेकिन यूक्रेन पर आपकी रणनीति क्या है? अमेरिका के टैरिफ से भारत भी प्रभावित हो रहा है।’”
यह बयान संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के सत्र के दौरान आया, जहां वैश्विक नेताओं ने यूक्रेन संकट और ऊर्जा सुरक्षा पर चर्चा की।
🌍 अमेरिका के टैरिफ का असर: भारत और रूस दोनों पर दबाव
अमेरिका ने पिछले महीने भारत पर 25% रेसिप्रोकल टैरिफ और अतिरिक्त 25% पेनल्टी लगाई थी, जो रूस से तेल खरीदने के कारण लागू की गई। इसका उद्देश्य भारत को रूसी ऊर्जा स्रोतों से दूर करना बताया गया।
🔍 प्रमुख बिंदु:
- अमेरिका का मानना है कि रूसी तेल खरीद से रूस की सैन्य गतिविधियों को अप्रत्यक्ष समर्थन मिलता है।
- भारत ने इसे “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अविवेकपूर्ण” करार दिया।
- भारत का तर्क है कि उसकी ऊर्जा जरूरतें 1.4 अरब नागरिकों के लिए आवश्यक हैं।
🛢️ भारत की ऊर्जा नीति और रूस से संबंध
भारत और रूस के बीच दशकों पुराने रणनीतिक संबंध हैं। रक्षा, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष क्षेत्र में दोनों देशों की साझेदारी मजबूत रही है। रूस से तेल आयात भारत के लिए एक सस्ता और स्थिर विकल्प रहा है।
🇮🇳 भारत का पक्ष:
- विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
- भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका और यूरोपीय संघ भी रूस से व्यापार करते हैं, लेकिन भारत की स्थिति रणनीतिक रूप से अलग है।
🧾 ट्रंप की टैरिफ नीति: वैश्विक व्यापार पर असर
जनवरी 2025 में सत्ता में लौटने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने कई देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की। इनमें भारत, चीन और यूरोपीय देशों पर अलग-अलग दरों से शुल्क लगाया गया।
📋 टैरिफ की सूची:
- भारत पर 50% टैरिफ (रूसी तेल खरीद के कारण)
- फार्मास्युटिकल दवाओं पर 100% टैरिफ
- किचन कैबिनेट्स और फर्नीचर पर 30–50% टैरिफ
- भारी ट्रकों पर 25% टैरिफ
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर इन टैरिफ को “राष्ट्रीय सुरक्षा” से जोड़ते हुए उचित ठहराया।
🧭 यूक्रेन युद्ध और वैश्विक कूटनीति
फरवरी 2022 में शुरू हुआ यूक्रेन युद्ध अब तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। अमेरिका और नाटो देशों ने रूस पर आर्थिक दबाव बनाने के लिए कई प्रतिबंध लगाए हैं।
🌐 नाटो की रणनीति:
- नाटो महासचिव ने कहा कि सदस्य देशों को चीन पर भी 50–100% टैरिफ लगाना चाहिए।
- रूस से तेल खरीद बंद करने की अपील की गई है ताकि युद्ध को समाप्त करने में मदद मिल सके।
🤝 भारत-रूस संबंधों की मजबूती
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में एक व्यापार सम्मेलन में कहा:
“रूस के साथ हमारी साझेदारी समय की कसौटी पर खरी उतरी है। हम ऊर्जा, रक्षा और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करेंगे।”
भारत ने संकेत दिया है कि जब तक रूसी तेल आर्थिक रूप से लाभकारी रहेगा, तब तक उसका आयात जारी रहेगा।
📉 अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता
हाल ही में न्यूयॉर्क में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता हुई, जिसमें टैरिफ मुद्दों पर चर्चा की गई। भारत ने वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों जैसे ईरान और वेनेजुएला से आयात की संभावना जताई, जो फिलहाल अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत हैं।
🔄 संभावित समाधान:
- अमेरिका से ऊर्जा आयात बढ़ाना
- द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर पुनर्विचार
- वैश्विक ऊर्जा बाजार में विविधता लाना
📣 भारत और रूस की प्रतिक्रिया: अब तक चुप्पी
नाटो प्रमुख के बयान के बाद भी भारत और रूस की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह चुप्पी रणनीतिक हो सकती है, ताकि बातचीत के लिए जगह बनी रहे।
❓ FAQs
Q1: क्या पीएम मोदी ने वाकई पुतिन से यूक्रेन युद्ध पर बात की?
👉 नाटो प्रमुख मार्क रूटे के अनुसार, पीएम मोदी ने पुतिन से फोन पर बात की और रणनीति स्पष्ट करने को कहा।
Q2: अमेरिका ने भारत पर टैरिफ क्यों लगाया?
👉 अमेरिका का मानना है कि भारत द्वारा रूसी तेल खरीद से रूस को अप्रत्यक्ष समर्थन मिल रहा है।
Q3: भारत ने अमेरिकी टैरिफ पर क्या प्रतिक्रिया दी?
👉 भारत ने इसे अनुचित और अविवेकपूर्ण बताया, और अपनी ऊर्जा सुरक्षा की रक्षा करने की बात कही।
Q4: क्या भारत रूस से तेल खरीदना बंद करेगा?
👉 फिलहाल ऐसा कोई संकेत नहीं है। भारत ने कहा है कि जब तक यह आर्थिक रूप से लाभकारी रहेगा, आयात जारी रहेगा।
🔚 निष्कर्ष: कूटनीतिक संतुलन की चुनौती
प्रधानमंत्री मोदी की पुतिन से बातचीत और अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे ने वैश्विक कूटनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। भारत को अब ऊर्जा सुरक्षा, रणनीतिक साझेदारी और वैश्विक दबाव के बीच संतुलन बनाना होगा। आने वाले दिनों में भारत की विदेश नीति और व्यापार रणनीति पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।
External Source: Patrika Report
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