मोदी सरकार के यू-टर्न: एक विस्तृत विश्लेषण
📉 GST स्लैब में कटौती: राहुल गांधी की पुरानी मांग पर अमल
2017 में GST लागू होने के बाद से ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे ‘गब्बर सिंह टैक्स’ कहकर आलोचना की थी। उनका तर्क था कि जटिल स्लैब संरचना उपभोक्ताओं और व्यापारियों के लिए परेशानी का कारण बन रही है।
🔍 GST 2.0 के प्रमुख बदलाव:
- 22 सितंबर 2025 से GST के केवल दो स्लैब लागू: 5% और 18%
- दैनिक उपयोग की वस्तुएं जैसे साबुन, टूथपेस्ट, आटा, दवाइयों पर टैक्स घटाकर 5% या शून्य कर दिया गया
- दोपहिया वाहन, छोटे कार, टीवी, एसी, सीमेंट पर टैक्स 28% से घटाकर 18% किया गया
- तंबाकू, पान मसाला, एयरेटेड ड्रिंक्स पर 40% का ‘सिन टैक्स’ लागू
🗣️ कांग्रेस की प्रतिक्रिया:
कांग्रेस ने कहा कि यदि सरकार ने राहुल गांधी के सुझावों को पहले माना होता, तो उपभोक्ताओं को 9 साल तक ‘गब्बर सिंह टैक्स’ की मार नहीं झेलनी पड़ती। कांग्रेस नेता अभिषेक दत्त ने आरोप लगाया कि सरकार अब उन्हीं सुझावों को लागू कर अपनी पीठ थपथपा रही है।
🏛️ GST का इतिहास: UPA से मोदी सरकार तक
- GST का प्रस्ताव सबसे पहले UPA सरकार के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रखा था।
- विपक्षी दलों की आपत्तियों के कारण विधेयक पारित नहीं हो सका।
- 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद 2017 में GST लागू हुआ।
- उस समय चार स्लैब थे: 5%, 12%, 18%, और 28%।
🚜 कृषि कानूनों की वापसी: किसानों के विरोध के आगे झुकी सरकार
2020 में मोदी सरकार ने तीन कृषि कानून पेश किए थे, जिनका उद्देश्य कृषि बाजार को उदार बनाना था।
📃 तीन प्रमुख कानून:
- किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य संवर्धन अधिनियम
- किसान मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाएं अधिनियम
- आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन
🚜 विरोध और वापसी:
- देशभर के किसान इन कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए।
- एक साल से अधिक समय तक चले आंदोलन के बाद, 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा की।
🧑💼 लेटरल एंट्री योजना: दो बार लाया गया, दो बार वापस
सरकार ने प्रशासनिक पदों पर निजी क्षेत्र से विशेषज्ञों की भर्ती के लिए लेटरल एंट्री योजना शुरू की थी।
📅 योजना का टाइमलाइन:
- पहली बार 2018 में पेश की गई।
- दूसरी बार 2024 में 45 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया।
⚠️ विवाद और वापसी:
- योजना में आरक्षण लागू नहीं होने के कारण विपक्ष और सहयोगी दलों (जैसे जेडीयू) ने विरोध किया।
- 2024 में विज्ञापन वापस ले लिया गया।
🌱 पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) मसौदा: विरोध के बाद वापसी
2020 में सरकार ने EIA मसौदा अधिसूचना जारी की थी, जिसका उद्देश्य पर्यावरण मंजूरी प्रक्रिया को सरल बनाना था।
🧾 मसौदे की विशेषताएं:
- सार्वजनिक सुनवाई की प्रक्रिया को सीमित करना।
- उद्योगों को छूट देना।
🌍 विरोध और वापसी:
- पर्यावरणविदों, NGOs और विपक्ष ने इसे पर्यावरण के लिए खतरा बताया।
- व्यापक विरोध के बाद मसौदा वापस ले लिया गया।
📊 मोदी सरकार के यू-टर्न: एक नजर में
मुद्दा | पहली घोषणा | वापसी/बदलाव | कारण |
---|---|---|---|
GST स्लैब | 4 स्लैब (2017) | 2 स्लैब (2025) | जटिलता, उपभोक्ता दबाव |
कृषि कानून | 2020 | 2021 | किसान आंदोलन |
लेटरल एंट्री | 2018, 2024 | 2024 | आरक्षण विवाद |
EIA मसौदा | 2020 | 2021 | पर्यावरण विरोध |
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
❓ GST स्लैब में बदलाव कब से लागू हुआ?
22 सितंबर 2025 से नए GST स्लैब लागू हुए हैं।
❓ क्या राहुल गांधी ने पहले ही GST सुधार की मांग की थी?
हां, 2017 से राहुल गांधी GST को सरल बनाने और स्लैब घटाने की मांग करते रहे हैं।
❓ कृषि कानूनों को क्यों वापस लिया गया?
देशभर के किसानों के विरोध और लंबे आंदोलन के कारण सरकार ने कानून वापस लिए।
❓ लेटरल एंट्री योजना में क्या विवाद था?
इस योजना में आरक्षण लागू नहीं किया गया था, जिससे विपक्ष और सहयोगी दलों ने विरोध किया।
🔚 निष्कर्ष: नीतिगत बदलावों की राजनीति
मोदी सरकार द्वारा हाल के वर्षों में लिए गए कई यू-टर्न यह दर्शाते हैं कि जनविरोध और विपक्षी सुझावों का प्रभाव नीतिगत निर्णयों पर पड़ता है। GST स्लैब में कटौती, कृषि कानूनों की वापसी और लेटरल एंट्री योजना की वापसी जैसे फैसले इस बात के उदाहरण हैं कि लोकतंत्र में संवाद और विरोध की भूमिका कितनी अहम होती है।
External Source: Patrika Report
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