नवरात्रि 2025 का नौवां दिन: माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

नवरात्रि 2025 के अंतिम दिन, महानवमी के अवसर पर माँ दुर्गा के नवें स्वरूप माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह दिन भक्तों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है क्योंकि माँ सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी हैं।

🕉️ माँ सिद्धिदात्री कौन हैं? | देवी का स्वरूप और पौराणिक मान्यता

माँ सिद्धिदात्री को नवदुर्गा के नौवें स्वरूप के रूप में पूजा जाता है। उनका नाम ‘सिद्धिदात्री’ इस बात का प्रतीक है कि वे अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।

🔹 माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप:

  • चार भुजाओं वाली देवी
  • हाथों में गदा, चक्र, शंख और कमल
  • सिंह की सवारी करती हैं
  • बैंगनी रंग के वस्त्र प्रिय हैं

🔹 पौराणिक मान्यता:

  • ब्रह्मांड की रचना में माँ सिद्धिदात्री की भूमिका मानी जाती है
  • भगवान शिव ने इन्हीं से सिद्धियाँ प्राप्त की थीं
  • देवी की कृपा से भक्तों को लौकिक और पारलौकिक कामनाओं की पूर्ति होती है2

📿 नवरात्रि की नवमी तिथि का महत्व | क्यों होती है माँ सिद्धिदात्री की पूजा?

नवमी तिथि को नवरात्रि का अंतिम दिन माना जाता है। इस दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और सफलता प्राप्त होती है।

🌟 नवमी तिथि के लाभ:

  1. सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं
  2. मानसिक शांति और आत्मिक बल की प्राप्ति
  3. रोग, शोक और भय से मुक्ति
  4. कन्या पूजन से विशेष पुण्य फल

🛕 माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि | चरणबद्ध तरीके से जानिए संपूर्ण प्रक्रिया

🌅 सुबह की तैयारी:

  • सूर्योदय से पहले उठें
  • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
  • पूजा स्थल को साफ करें

🪔 पूजा सामग्री:

  • माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र
  • रोली, चंदन, अक्षत, फूल, नारियल
  • लाल चुनरी, मिष्ठान, फल, धूप, दीप

📿 मंत्र जाप:

  • बीज मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः”
  • स्तोत्र: “सिद्धस्न्धर्व यक्षाद्यैः असुरैर्मरायपि। सेव्य माना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।”

🔥 हवन और कन्या पूजन:

  • नव कन्याओं को आमंत्रित करें
  • उन्हें भोजन कराएं और उपहार दें
  • हवन में आहुति दें और आरती करें2

🍽️ माँ सिद्धिदात्री को अर्पित किए जाने वाले भोग | क्या लगाएं प्रसाद?

माँ सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए विशेष भोग अर्पित किए जाते हैं। यह भोग भक्तों की श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक होता है।

🍛 प्रिय भोग:

  • हलवा
  • पूड़ी
  • चना
  • खीर
  • नारियल

🎨 विशेष रंग:

  • बैंगनी या जामुनी रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है

📆 शुभ मुहूर्त और पंचांग विवरण | कब करें पूजा?

🕰️ शुभ मुहूर्त (30 सितंबर 2025):

  • पूजा का समय: प्रातः 06:15 बजे से 08:45 बजे तक
  • हवन का समय: दोपहर 12:00 बजे से 01:30 बजे तक
  • कन्या पूजन: सुबह 10:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक

📖 धार्मिक ग्रंथों में माँ सिद्धिदात्री का उल्लेख | आध्यात्मिक दृष्टिकोण

देवी पुराण, मार्कंडेय पुराण और दुर्गा सप्तशती में माँ सिद्धिदात्री का विस्तार से वर्णन मिलता है। उन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्ति का स्रोत माना गया है।

📚 ग्रंथों के अनुसार:

  • देवी ने ब्रह्मा को सृष्टि की शक्ति दी
  • विष्णु को पालन की शक्ति दी
  • शिव को विनाश की शक्ति दी

🙏 भक्तों के अनुभव और मान्यताएं | कैसे मिलता है माँ का आशीर्वाद?

देशभर में माँ सिद्धिदात्री की पूजा को लेकर भक्तों की गहरी आस्था है। कई भक्तों का मानना है कि नवमी तिथि पर की गई पूजा से जीवन में चमत्कारी परिवर्तन आते हैं।

🗣️ भक्तों की मान्यता:

  • माँ की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं
  • संतान प्राप्ति, नौकरी, विवाह आदि में सफलता मिलती है
  • मानसिक शांति और आत्मबल की वृद्धि होती है

📌 FAQs

❓ माँ सिद्धिदात्री की पूजा किस दिन होती है?

नवरात्रि के नौवें दिन, जिसे महानवमी कहा जाता है।

❓ माँ सिद्धिदात्री को क्या भोग लगाना चाहिए?

हलवा, पूड़ी, चना, खीर और नारियल।

❓ क्या कन्या पूजन आवश्यक है?

हां, नवमी तिथि पर कन्या पूजन अत्यंत शुभ माना जाता है।

❓ माँ सिद्धिदात्री का मंत्र क्या है?

“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः”

❓ पूजा के लिए कौन सा रंग शुभ होता है?

बैंगनी या जामुनी रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

📜 निष्कर्ष | माँ सिद्धिदात्री की पूजा से मिलती है सिद्धियों की प्राप्ति

नवरात्रि 2025 की नवमी तिथि पर माँ सिद्धिदात्री की पूजा विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। यह दिन भक्तों को आत्मिक बल, सिद्धियाँ और जीवन की बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला होता है। विधिवत पूजा, मंत्र जाप, कन्या पूजन और हवन से माँ की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

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