जनसुराज पार्टी के संस्थापक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाल ही में पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी आय, संपत्ति और राजनीतिक दृष्टिकोण को लेकर कई अहम खुलासे किए। उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों में उन्होंने सलाहकारी सेवाओं के माध्यम से ₹241 करोड़ की आय अर्जित की है, जिसमें से उन्होंने ₹30.95 करोड़ GST और ₹20 करोड़ इनकम टैक्स के रूप में सरकार को अदा किए हैं।
💼 आय और टैक्स का पूरा विवरण
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी कमाई पूरी तरह वैध है और हर रुपये का हिसाब सरकार के पास है। उन्होंने यह भी बताया कि Navyuga Constructions जैसी कंपनियों को दी गई दो घंटे की सलाह के लिए उन्हें ₹11 करोड़ का भुगतान मिला।
🔢 आय का ब्रेकडाउन:
- कुल आय (3 वर्षों में): ₹241 करोड़
- GST भुगतान: ₹30.95 करोड़
- इनकम टैक्स भुगतान: ₹20 करोड़
- जनसुराज पार्टी को दान: ₹98.75 करोड़
उन्होंने कहा, “मैं कोई चोर नहीं हूं, मेरी कमाई वैध है और टैक्स का पूरा हिसाब है।”
🏛️ राजनीति में प्रवेश और सलाहकारी मॉडल
प्रशांत किशोर ने बताया कि राजनीति में सक्रिय रूप से आने से पहले वे मुफ्त में सलाह देते थे। लेकिन 2021 में जनसुराज पार्टी की स्थापना और सामाजिक सुधार के लिए उन्होंने सलाहकारी सेवाओं के लिए शुल्क लेना शुरू किया। उनका उद्देश्य था कि जो भी आय हो, वह बिहार की व्यवस्था सुधार और पार्टी के कार्यों में लगे।
📌 सलाहकारी सेवाओं का विस्तार:
- उद्योगों में रणनीतिक सलाह
- ब्रांड लॉन्च के लिए मार्गदर्शन
- राजनीतिक दलों को रणनीति निर्माण में सहयोग
- सामाजिक अभियानों के लिए नीति सुझाव
🧾 दान और सामाजिक प्रतिबद्धता
किशोर ने अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा जनसुराज पार्टी को दान में दिया है। उन्होंने ₹98.75 करोड़ की राशि चेक के माध्यम से पार्टी को ट्रांसफर की, जिससे पार्टी की फंडिंग पारदर्शी बनी रहे। उन्होंने यह भी कहा कि अगले 10 वर्षों तक वे बिहार में रहकर व्यवस्था सुधार के लिए काम करेंगे।
⚖️ आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति
प्रेस कॉन्फ्रेंस में किशोर ने बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने सम्राट चौधरी को 1995 के तारापुर हत्याकांड में शामिल बताया और तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।
🧨 प्रमुख आरोप:
- सम्राट चौधरी पर 1995 के हत्याकांड में शामिल होने का आरोप
- 1999 में दो मौतों के मामले में कथित भूमिका
- अशोक चौधरी पर ₹500 करोड़ की बेनामी संपत्ति रखने का आरोप
- सरकारी ठेकों में 5% कमीशन लेने का दावा
हालांकि, इन आरोपों को दोनों नेताओं ने खारिज किया है। भाजपा ने किशोर के आरोपों को “राजनीतिक स्टंट” बताया है।
👨👩👧👦 प्रशांत किशोर का पारिवारिक परिचय
बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव में जन्मे प्रशांत किशोर का पारिवारिक पृष्ठभूमि भी चर्चा में रहा। उनके पिता दिवंगत श्रीकांत पांडे एक डॉक्टर थे और कांग्रेस विचारधारा से जुड़े थे। उनकी मां सुशीला पांडे एक गृहिणी थीं, जो राजनीति के खिलाफ थीं लेकिन बेटे के फैसलों में उनका समर्थन करती थीं।
👪 परिवार के सदस्य:
- बड़े भाई: अजय किशोर (दिल्ली-गाजियाबाद निवासी, पूर्व व्यापारी)
- दो बहनें: एक दिल्ली में, जिनके पति सेना में अफसर हैं
- पत्नी: जानवी दास (गुवाहाटी की निवासी, पेशे से डॉक्टर)
- बेटा: कक्षा आठ का छात्र
📊 प्रशांत किशोर की रणनीति और भविष्य की योजना
किशोर ने स्पष्ट किया कि वे बिहार में बदलाव लाने के लिए आए हैं, न कि पैसा कमाने के लिए। उन्होंने कहा कि उनकी योजना पूरी तरह से पारदर्शी है और वे किसी भी जांच के लिए तैयार हैं। उन्होंने केंद्र सरकार को चुनौती दी कि यदि कोई एजेंसी चाहे तो उनकी आय की जांच कर सकती है।
🎯 भविष्य की प्रतिबद्धताएं:
- अगले 10 वर्षों तक बिहार में सक्रिय रहना
- जनसुराज पार्टी को मजबूत बनाना
- भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाना
- सामाजिक सुधारों के लिए नीति निर्माण
❓FAQs
Q1: प्रशांत किशोर ने कितनी आय अर्जित की है? A1: उन्होंने पिछले तीन वर्षों में ₹241 करोड़ की सलाहकारी आय अर्जित की है।
Q2: क्या उन्होंने टैक्स का भुगतान किया है? A2: हां, उन्होंने ₹30.95 करोड़ GST और ₹20 करोड़ इनकम टैक्स अदा किया है।
Q3: जनसुराज पार्टी को कितना दान दिया गया? A3: ₹98.75 करोड़ की राशि चेक के माध्यम से पार्टी को दान की गई।
Q4: उनके परिवार में कौन-कौन हैं? A4: उनके पिता डॉक्टर थे, पत्नी डॉक्टर हैं, एक बेटा है, दो बहनें और एक भाई हैं।
Q5: क्या उन्होंने किसी नेता पर आरोप लगाए हैं? A5: हां, उन्होंने सम्राट चौधरी और अशोक चौधरी पर भ्रष्टाचार और अन्य मामलों में शामिल होने के आरोप लगाए हैं।
🔚 निष्कर्ष
प्रशांत किशोर ने अपनी आय, संपत्ति और राजनीतिक दृष्टिकोण को लेकर जो पारदर्शिता दिखाई है, वह बिहार की राजनीति में एक नया उदाहरण प्रस्तुत करती है। उन्होंने न केवल अपनी कमाई का खुलासा किया, बल्कि उसे सामाजिक सुधारों में लगाने की प्रतिबद्धता भी जताई। उनके आरोपों और दावों ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है, जिसका असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है।
External Source: Patrika Report
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