भारत में छात्र आत्महत्याओं की संख्या पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ी है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में आत्महत्या से होने वाली कुल मौतों में से 8.1% छात्र थे। यह आंकड़ा शिक्षा व्यवस्था, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक दबावों पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
📊 आत्महत्या के आंकड़े: NCRB 2023 रिपोर्ट की मुख्य बातें
- वर्ष 2023 में भारत में कुल 1,71,418 आत्महत्याएं दर्ज की गईं।
- इनमें से 13,892 मामले छात्र आत्महत्याओं के थे, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.5% अधिक हैं।
- 2013 में यह संख्या 8,423 थी, यानी 10 वर्षों में 65% की वृद्धि।
- छात्र आत्महत्याओं का राष्ट्रीय औसत 8.1% रहा।
📍 राज्यवार स्थिति: महाराष्ट्र सबसे आगे, मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर
🔢 शीर्ष 5 राज्य जहां छात्र आत्महत्या के मामले सबसे अधिक दर्ज हुए:
- महाराष्ट्र – 2,046 मामले (14.7%)
- मध्य प्रदेश – 1,459 मामले (10.5%)
- उत्तर प्रदेश – 1,373 मामले (9.9%)
- तमिलनाडु – 1,339 मामले (9.6%)
- केरल – आत्महत्या दर सबसे अधिक (प्रति लाख पर 30.6)4
🏙️ कोटा में आत्महत्या के मामलों में गिरावट
राजस्थान के कोटा, जो कोचिंग हब के रूप में जाना जाता है, वहां 2024 में आत्महत्या के 17 मामले सामने आए, जबकि 2023 में यह संख्या 26 थी। 2025 में 4 मई तक 14 छात्रों ने आत्महत्या की।
📚 कारण क्या हैं? छात्रों की आत्महत्या के पीछे की वजहें
🔍 प्रमुख कारण:
- 📉 परीक्षा में असफलता – 1.4% मामलों में मुख्य कारण
- 🏠 पारिवारिक समस्याएं – 31.9%
- 🏥 बीमारी – 19%
- 🍷 नशा/शराब की लत – 7%
- 💔 प्रेम संबंध – 4.7%
- 💸 बेरोजगारी – 1.8%
- 💼 करियर से जुड़ी समस्याएं – 1.1%
👩🏫 पेशे के आधार पर आत्महत्या के आंकड़े
- 👷♂️ दैनिक वेतनभोगी – 27.5%
- 👩👧 गृहिणियां – 14%
- 🧑🔧 स्व-रोज़गार – 11.8%
- 🎓 छात्र – 8.1%
- 🧑🌾 किसान – 6.1%
🚜 किसानों की आत्महत्या: महाराष्ट्र और कर्नाटक में सबसे अधिक मामले
📈 वर्ष 2023 में:
- कुल 10,786 किसानों ने आत्महत्या की।
- इनमें 4,690 किसान और 6,096 कृषि मजदूर शामिल थे।
- महाराष्ट्र में 38.5% और कर्नाटक में 22.5% मामले दर्ज हुए।
- पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा जैसे राज्यों में कोई मामला दर्ज नहीं हुआ।
🧑⚕️ मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता
विशेषज्ञों के अनुसार, छात्र आत्महत्याओं में वृद्धि का मुख्य कारण मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। सरकार ने “मनोदर्पण” और “Tele MANAS” जैसी योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इनका प्रभाव सीमित है7।
🛠️ सुझाव:
- स्कूलों में प्रशिक्षित काउंसलर नियुक्त किए जाएं।
- परीक्षा प्रणाली में सुधार हो।
- छात्रों को तनाव प्रबंधन की ट्रेनिंग दी जाए।
- परिवारों को संवेदनशीलता और समर्थन की भूमिका निभानी चाहिए।
📚 शिक्षा स्तर और आत्महत्या
🎓 आत्महत्या करने वालों की शिक्षा स्तर:
- कक्षा 10 तक – 24.6%
- कक्षा 8 तक – 18.6%
- कक्षा 12 तक – 17.5%
- स्नातक या उससे ऊपर – केवल 5.5%
🧒 बच्चों में आत्महत्या के कारण
18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में आत्महत्या के प्रमुख कारण:
- पारिवारिक समस्याएं – 2,568 मामले
- प्रेम संबंध – 1,724 मामले
- परीक्षा में असफलता – 1,303 मामले
❓ FAQs
❓ भारत में छात्र आत्महत्याओं की संख्या कितनी है?
वर्ष 2023 में 13,892 छात्र आत्महत्या के मामले दर्ज हुए।
❓ आत्महत्या के सबसे अधिक मामले किस राज्य में हैं?
महाराष्ट्र में सबसे अधिक छात्र आत्महत्याएं हुईं – 2,046 मामले।
❓ आत्महत्या के प्रमुख कारण क्या हैं?
परीक्षा में असफलता, पारिवारिक समस्याएं, बीमारी, प्रेम संबंध, बेरोजगारी आदि।
❓ सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
सरकार ने “मनोदर्पण” और “Tele MANAS” जैसी योजनाएं शुरू की हैं7।
🔚 निष्कर्ष
भारत में छात्र आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या एक गंभीर सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करती है। पिछले एक दशक में 65% की वृद्धि इस बात का संकेत है कि शिक्षा प्रणाली, पारिवारिक दबाव और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता है। सरकार और समाज को मिलकर ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे छात्रों को सुरक्षित, सहयोगी और समझदार वातावरण मिल सके।
External Source: Patrika Report
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