बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले CPI (ML) ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की फाइनल वोटर लिस्ट को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। पार्टी ने चुनाव आयोग से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है।
📌 CPI (ML) की मुख्य आपत्तियाँ
CPI (ML) ने चुनाव आयोग को भेजे पत्र में निम्नलिखित बिंदुओं पर चिंता जताई:
- ड्राफ्ट लिस्ट में 65 लाख नाम हटाए गए, फाइनल लिस्ट में 3.66 लाख और नाम कटे।
- हटाए गए नामों का कोई सार्वजनिक विवरण उपलब्ध नहीं।
- महिला मतदाताओं की संख्या में गिरावट दर्ज।
- दावा-आपत्ति के बाद बहाल हुए नामों की सूची भी सार्वजनिक नहीं।
📊 मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर नाम कटौती
🚫 किस आधार पर हटाए गए नाम?
CPI (ML) ने आरोप लगाया कि SIR ड्राफ्ट लिस्ट में 65 लाख नाम हटाए गए थे। इसके बाद फाइनल लिस्ट में 3.66 लाख और नाम हटा दिए गए। पार्टी ने सवाल उठाया कि:
- क्या इन नामों को हटाने से पहले संबंधित व्यक्तियों को सूचना दी गई?
- क्या कोई सुनवाई प्रक्रिया अपनाई गई?
- क्या यह जानकारी सार्वजनिक की गई?
पार्टी ने मांग की कि हटाए गए सभी नामों की बूथवार सूची कारण सहित प्रकाशित की जाए, जैसा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पहले किया गया था2।
🧾 नए और बहाल मतदाताओं की स्थिति
🆕 21 लाख नए नाम शामिल
फाइनल वोटर लिस्ट में लगभग 21 लाख नए मतदाता जोड़े गए हैं। इनमें शामिल हैं:
- नए पात्र मतदाता
- वे लोग जिनके नाम ड्राफ्ट लिस्ट से गलत तरीके से हटाए गए थे और जिन्होंने दावा-आपत्ति दर्ज की थी
CPI (ML) ने मांग की कि:
- बहाल किए गए पुराने मतदाताओं की सूची भी बूथवार सार्वजनिक की जाए
- दावा-आपत्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए3
👩🦰 महिला मतदाताओं की संख्या में गिरावट
⚠️ लिंगानुपात में असंगति
CPI (ML) ने महिला मतदाताओं की संख्या में गिरावट को लेकर गंभीर चिंता जताई। पार्टी ने बताया:
- जनगणना के अनुसार बिहार में पुरुष-महिला अनुपात 914 है
- SIR की फाइनल वोटर लिस्ट में यह अनुपात घटकर 892 रह गया है
पार्टी ने सवाल किया कि:
- क्या महिलाओं के नाम जानबूझकर हटाए गए?
- क्या यह तकनीकी त्रुटि है या प्रणालीगत पक्षपात?
चुनाव आयोग ने जांच का आश्वासन दिया है2।
🗂️ पारदर्शिता की मांग और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
CPI (ML) ने चुनाव आयोग से स्पष्ट किया कि:
- SIR प्रक्रिया में पारदर्शिता होनी चाहिए
- सभी राजनीतिक दलों को डेटा उपलब्ध कराया जाए
- सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होनी है, इसलिए तथ्यात्मक जानकारी जरूरी है4
🏛️ चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त दलों के साथ बैठक की। आयोग ने कहा:
- राजनीतिक दल लोकतंत्र की रीढ़ हैं
- पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया में उनकी भागीदारी जरूरी है
- SIR के तहत मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं5
📌 अन्य दलों की प्रतिक्रिया
महागठबंधन के अन्य दलों ने भी SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं:
- कांग्रेस ने कहा कि हटाए गए नामों की संख्या जोड़े गए नामों से कहीं अधिक है
- RJD ने दावा किया कि कई पुरुष मतदाताओं के नाम हटाए गए जबकि उनके परिवार की महिलाएं सूची में बनी रहीं4
📈 आंकड़ों की एक झलक
श्रेणी | संख्या |
---|---|
प्रारंभिक मतदाता संख्या | 7.89 करोड़ |
ड्राफ्ट लिस्ट के बाद | 7.24 करोड़ |
फाइनल लिस्ट में | 7.41 करोड़ |
हटाए गए नाम | 69 लाख |
जोड़े गए नाम | 21.53 लाख |
🔍 विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि:
- इतने बड़े पैमाने पर नाम हटाना चुनावी निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है
- महिला मतदाताओं की संख्या में गिरावट सामाजिक प्रतिनिधित्व को प्रभावित कर सकती है
- सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में SIR प्रक्रिया की समीक्षा जरूरी है
❓FAQs
Q1. SIR प्रक्रिया क्या है?
SIR यानी Special Intensive Revision एक विशेष प्रक्रिया है जिसमें मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण किया जाता है।
Q2. CPI (ML) ने क्या मांग की है?
पार्टी ने हटाए गए और बहाल किए गए मतदाताओं की बूथवार सूची सार्वजनिक करने की मांग की है।
Q3. महिला मतदाताओं की संख्या में गिरावट क्यों चिंता का विषय है?
यह सामाजिक प्रतिनिधित्व और चुनावी निष्पक्षता को प्रभावित कर सकता है।
Q4. सुप्रीम कोर्ट की भूमिका क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर SIR प्रक्रिया में गड़बड़ी पाई गई तो पूरी प्रक्रिया रद्द की जा सकती है।
🔚 निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले SIR की फाइनल वोटर लिस्ट को लेकर CPI (ML) समेत कई दलों ने गंभीर सवाल उठाए हैं। पारदर्शिता, निष्पक्षता और सामाजिक प्रतिनिधित्व की मांग के बीच चुनाव आयोग की भूमिका और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी अहम साबित हो सकती है।
External Source: Patrika Report
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