बिहार वोटर लिस्ट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के बाद जारी अंतिम मतदाता सूची में 3.66 लाख नामों को हटाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से विस्तृत जानकारी मांगी है। यह मामला पारदर्शिता और लोकतांत्रिक अधिकारों से जुड़ा हुआ है।
🏛️ सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी और निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ—जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची—ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि 9 अक्टूबर तक हटाए गए 3.66 लाख मतदाताओं की पूरी जानकारी प्रस्तुत की जाए।
- कोर्ट ने कहा कि हर नागरिक को अपने नाम हटाए जाने के खिलाफ अपील करने का अधिकार है।
- लेकिन अगर उन्हें हटाए जाने की सूचना ही नहीं दी गई, तो वे अपील कैसे करेंगे?
📋 कोर्ट की मुख्य टिप्पणियाँ:
- “हर व्यक्ति को अपील का अधिकार है।”
- “अगर हटाए गए लोगों को आदेश की जानकारी नहीं दी गई, तो पारदर्शिता का उल्लंघन है।”
- “चुनाव आयोग को स्पष्ट करना होगा कि हटाए गए नामों में से कितने को नोटिस मिला।”
📉 वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर बदलाव
चुनाव आयोग ने 30 सितंबर को बिहार की अंतिम मतदाता सूची जारी की थी। इसमें 65 लाख नामों को ड्राफ्ट सूची से हटाया गया, और अंतिम सूची में 3.66 लाख अतिरिक्त नामों को भी हटा दिया गया।
🔢 आंकड़ों की स्थिति:
- जून 2025 में कुल मतदाता: 7.89 करोड़
- अगस्त ड्राफ्ट सूची में: 7.24 करोड़ (65 लाख नाम हटाए गए)
- अंतिम सूची में: 7.42 करोड़ (21.53 लाख नए नाम जोड़े गए, 3.66 लाख और हटाए गए)
⚖️ याचिकाकर्ताओं की आपत्तियाँ और आरोप
👨⚖️ प्रशांत भूषण की दलीलें:
- SIR प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है।
- 2003 और 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी वोटरों को हटाने के स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए थे।
- आयोग ने इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया।
- 65 लाख नाम हटाने की जानकारी कोर्ट के आदेश के बाद ही सार्वजनिक की गई।
🧑⚖️ अभिषेक मनु सिंघवी का आरोप:
- 3.66 लाख लोगों को हटाने से पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया।
- हटाए जाने का कारण भी नहीं बताया गया।
- अपील का अवसर तक नहीं दिया गया, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन है。
📊 चुनाव आयोग का पक्ष
चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि:
- अब तक किसी भी हटाए गए मतदाता ने शिकायत या अपील दर्ज नहीं की है।
- अंतिम सूची में जो नाम जोड़े गए हैं, उनमें अधिकांश नए मतदाता हैं, कुछ पुराने भी शामिल हैं।
🗂️ आयोग की दलीलें:
- हटाए गए लोगों को आदेश दिए गए हैं।
- वेबसाइट पर नाम प्रकाशित करने की मांग को आयोग ने अनावश्यक बताया।
🗳️ बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की पृष्ठभूमि
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे:
- पहला चरण: 6 नवंबर (121 सीटें)
- दूसरा चरण: 11 नवंबर (122 सीटें)
- गिनती: 14 नवंबर
यह चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और INDIA गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होगा।
🔍 पारदर्शिता और लोकतंत्र पर सवाल
इस पूरे विवाद ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता, मतदाता अधिकारों, और संवैधानिक मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
❗ मुख्य चिंताएं:
- क्या हटाए गए लोगों को उचित सूचना दी गई?
- क्या नए जोड़े गए नामों की पहचान स्पष्ट है?
- क्या आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने दिशा-निर्देशों का पालन किया?
❓FAQs
Q1: बिहार में कितने वोटरों के नाम हटाए गए हैं?
उत्तर: कुल 65 लाख नाम ड्राफ्ट सूची से हटाए गए थे, और अंतिम सूची में 3.66 लाख और हटाए गए।
Q2: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को क्या निर्देश दिए हैं?
उत्तर: सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को 9 अक्टूबर तक हटाए गए 3.66 लाख वोटरों की जानकारी देने को कहा है।
Q3: क्या हटाए गए लोगों को नोटिस मिला?
उत्तर: याचिकाकर्ताओं का कहना है कि किसी को नोटिस नहीं मिला, जबकि आयोग का दावा है कि आदेश दिए गए हैं।
Q4: बिहार विधानसभा चुनाव कब होंगे?
उत्तर: दो चरणों में—6 और 11 नवंबर को। मतगणना 14 नवंबर को होगी।
🔚 निष्कर्ष: पारदर्शिता की परीक्षा में चुनाव आयोग
बिहार की वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर बदलाव और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। आगामी सुनवाई में आयोग को स्पष्ट करना होगा कि हटाए गए मतदाताओं को कैसे सूचित किया गया और क्या उन्हें अपील का अवसर मिला।
External Source: Patrika Report
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