काली पूजा 2025 इस वर्ष मंगलवार, 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह पर्व विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पूर्वी भारत में अमावस्या की रात को मां काली की आराधना के रूप में मनाया जाता है।
📅 काली पूजा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- पूजा की तिथि: मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025
- अमावस्या प्रारंभ: 21 अक्टूबर सुबह 6:29 बजे
- अमावस्या समाप्त: 22 अक्टूबर सुबह 4:55 बजे
- निशिता काल मुहूर्त: 21 अक्टूबर रात 11:55 बजे से 12:44 बजे तक
यह पूजा विशेष रूप से निशिता काल में की जाती है, जो तांत्रिक साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस समय मां काली की आराधना से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
🌌 काली पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
- मां काली को अंधकार और बुराई के विनाश की देवी माना जाता है।
- यह पूजा शत्रु बाधा, भय, और दुर्भाग्य को दूर करने के लिए की जाती है।
- दीपावली की रात, जब अधिकांश भारत में लक्ष्मी पूजन होता है, बंगाल में मां काली की पूजा होती है।
🔮 तांत्रिक पूजा की विशेषता
- तांत्रिक विधियों से की गई पूजा में विशेष मंत्रों का जाप होता है।
- साधक मां काली से आत्मिक शक्ति, साहस, और सकारात्मक ऊर्जा की कामना करते हैं।
🍛 काली पूजा में अर्पित भोग और प्रसाद
मां काली को अर्पित किए जाने वाले भोग में पारंपरिक बंगाली व्यंजन शामिल होते हैं:
🥘 मांसाहारी भोग:
- मटन करी
- मछली (हिल्सा या रोहू)
🍮 मिठाइयाँ:
- पेयश (चावल की खीर)
- चनार पायेश
- संदेश और रसगुल्ला
भोग अर्पण के बाद इन व्यंजनों को प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित किया जाता है।
🛕 पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री 📦
काली पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की सूची:
- मां काली की प्रतिमा या चित्र
- गणेश और विष्णु की मूर्ति
- धूप, दीपक, चंदन
- अक्षत (साबुत चावल)
- दरबा घास
- तांत्रिक यंत्र
- काले तिल, नींबू, नारियल
- मिठाई, गुड़, शहद
- लाल फूल (विशेष रूप से गुड़हल)
- काले वस्त्र या धागा
- कुमकुम, हल्दी, सिंदूर
- पंचमेवा
- जल पात्र, कलश, पान पत्ता, सुपारी, लौंग
🕯️ मां काली की आरती और मंत्र 🙏
🔥 आरती के प्रमुख अंश:
“अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली, तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।”
आरती में मां की अष्ट भुजाओं, सिंह सवारी, और दुष्टों के संहार का वर्णन होता है। यह भक्तों की भक्ति, संकट निवारण, और माँ के आशीर्वाद की कामना का प्रतीक है।
📿 प्रमुख मंत्र:
- ॐ क्रीं काली
- ॐ श्री महा कालिकायै नमः
- ॐ क्लीं कालिका
- ॐ महा कल्यै च विद्महे स्मसन वासिन्यै च धीमहि तन्नो काली प्रचोदयात
- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं आद्य कालिका परं ईश्वरी स्वाहा
इन मंत्रों का जाप निशिता काल में करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
🧘♀️ पूजा विधि और प्रक्रिया 🪔
🪄 पूजा की चरणबद्ध विधि:
- स्थान की शुद्धि और मां काली की प्रतिमा की स्थापना
- गणेश और विष्णु की पूजा
- दीपक जलाना और धूप देना
- मंत्रों का जाप और तांत्रिक यंत्रों की स्थापना
- भोग अर्पण और आरती
- प्रसाद वितरण
🌍 क्षेत्रीय परंपराएं और उत्सव का माहौल 🎉
- पश्चिम बंगाल में काली पूजा को दीपावली से भी अधिक महत्व दिया जाता है।
- ओडिशा, बिहार, और असम में भी यह पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
- कई स्थानों पर काली पूजा पंडाल, प्रदर्शनियां, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
📚 ऐतिहासिक और धार्मिक संदर्भ
- मां काली का उल्लेख देवी महात्म्य और तंत्र ग्रंथों में मिलता है।
- उन्हें समय की देवी, मृत्यु की नियंत्रक, और अधर्म के विनाश की शक्ति माना गया है।
❓ FAQs: काली पूजा 2025 से जुड़े सामान्य प्रश्न
Q1. काली पूजा 2025 कब है?
👉 मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025 को अमावस्या की रात।
Q2. पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
👉 निशिता काल: रात 11:55 बजे से 12:44 बजे तक।
Q3. क्या काली पूजा में मांसाहारी भोग अर्पित किया जाता है?
👉 हां, बंगाल में मटन और मछली जैसे भोग अर्पित किए जाते हैं।
Q4. क्या यह पूजा तांत्रिक विधियों से की जाती है?
👉 हां, विशेष मंत्रों और यंत्रों के साथ तांत्रिक पूजा होती है।
Q5. क्या काली पूजा दीपावली से जुड़ी है?
👉 हां, यह दीपावली की रात को ही मनाई जाती है, विशेष रूप से पूर्वी भारत में।
🔚 निष्कर्ष
काली पूजा 2025 का आयोजन 21 अक्टूबर को अमावस्या की रात किया जाएगा। यह पर्व मां काली की शक्ति, भक्ति और तांत्रिक साधना का प्रतीक है। पूजा के शुभ मुहूर्त, विधि, भोग और मंत्रों की जानकारी के साथ भक्तजन इस पर्व को श्रद्धा और उत्साह से मनाते हैं।
External Source: Patrika Report
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