कर्ज़दार हैं? कर्ज़ में डूबे हैं जानिए कैसे रिकवरी एजेंट्स की धमकी से कानूनी तरीके से बच सकते हैं
कर्ज़दार हैं? भारत में लाखों लोग पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड बिल या बिजनेस लोन के चलते कर्ज़ में डूबे हुए हैं। जब समय पर भुगतान नहीं हो पाता, तो बैंक और फाइनेंस कंपनियां रिकवरी एजेंट्स को भेजती हैं। कई बार ये एजेंट्स धमकी, बदसलूकी या मानसिक उत्पीड़न का सहारा लेते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि आपके पास ऐसे हालात से निपटने के लिए कानूनी अधिकार हैं?
इस लेख में हम आपको बताएंगे 7 ऐसे कानूनी हथियार जिनकी मदद से आप रिकवरी एजेंट्स की बदतमीज़ी से खुद को बचा सकते हैं—बिना डर के, पूरी जानकारी के साथ।
कर्ज़दार हैं? 1. RBI के दिशानिर्देश: आपकी पहली सुरक्षा दीवार
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकों और एनबीएफसी को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे रिकवरी एजेंट्स को ग्राहकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने को कहें। धमकी, गाली-गलौज, या शारीरिक हिंसा की कोई जगह नहीं है।
क्या करें: अगर कोई एजेंट आपको डराता है या बदतमीज़ी करता है, तो आप RBI को शिकायत कर सकते हैं। इसके लिए आप बैंक की वेबसाइट पर जाकर ‘ग्रिवांस रिड्रेसल’ सेक्शन में शिकायत दर्ज करें।
कर्ज़दार हैं? 2. पुलिस में शिकायत दर्ज कराना: डरें नहीं, कार्रवाई करें
अगर रिकवरी एजेंट आपको बार-बार कॉल करके परेशान कर रहे हैं, घर आकर धमका रहे हैं या आपके परिवार को टारगेट कर रहे हैं, तो आप सीधे पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
धारा 506 IPC के तहत धमकी देना अपराध है। धारा 509 IPC के तहत महिलाओं को परेशान करना भी दंडनीय है।
क्या करें: नज़दीकी पुलिस स्टेशन में जाकर FIR दर्ज कराएं। साथ ही कॉल रिकॉर्डिंग, मैसेज या वीडियो जैसे सबूत इकट्ठा करें।
3. सिविल कोर्ट में केस दर्ज करना: मानसिक उत्पीड़न का जवाब
अगर रिकवरी एजेंट्स की हरकतें आपकी मानसिक शांति को प्रभावित कर रही हैं, तो आप सिविल कोर्ट में मानसिक उत्पीड़न का केस दर्ज कर सकते हैं।
क्या करें: एक वकील से सलाह लें और मानसिक उत्पीड़न के आधार पर हर्जाना मांगें। कोर्ट एजेंट्स को नोटिस भेज सकती है और आपको राहत दिला सकती है।
4. उपभोक्ता फोरम में शिकायत: ग्राहक अधिकारों की रक्षा
आप एक उपभोक्ता हैं, और आपके साथ सम्मानजनक व्यवहार होना चाहिए। अगर बैंक या एजेंट्स आपके अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, तो आप उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर सकते हैं।
क्या करें: अपने दस्तावेज़, लोन एग्रीमेंट और एजेंट्स की हरकतों का रिकॉर्ड रखें। उपभोक्ता फोरम में केस फाइल करें और मुआवज़े की मांग करें।
5. कॉल ब्लॉकिंग और डिजिटल सुरक्षा: टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें
आजकल रिकवरी एजेंट्स की लगातार कॉल्स मानसिक तनाव का कारण बन सकती हैं। ऐसे में कॉल ब्लॉकिंग ऐप्स या DND (डू नॉट डिस्टर्ब) सेवा का सहारा लेकर आप खुद को इस परेशानी से बचा सकते हैं |
क्या करें:
- Truecaller जैसे ऐप से नंबर ब्लॉक करें
- DND सेवा को एक्टिवेट करें
- कॉल रिकॉर्डिंग रखें ताकि सबूत मिल सके
6. सोशल मीडिया और पब्लिक प्लेटफॉर्म्स पर शिकायत
अगर आपकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, तो आप सोशल मीडिया का सहारा ले सकते हैं। ट्विटर, फेसबुक या लिंक्डइन पर बैंक को टैग करके अपनी बात रखें।
क्या करें:
- बैंक के ऑफिशियल हैंडल को टैग करें
- अपनी शिकायत को सार्वजनिक करें
- इससे बैंक की ब्रांड इमेज पर असर पड़ता है और वे जल्दी प्रतिक्रिया देते हैं
7. लोन री-स्ट्रक्चरिंग या सेटलमेंट की मांग करें
अगर आप वाकई में भुगतान करने में असमर्थ हैं, तो आप बैंक से लोन री-स्ट्रक्चरिंग या सेटलमेंट की मांग कर सकते हैं। इससे आपकी EMI कम हो सकती है या भुगतान की अवधि बढ़ सकती है।
क्या करें:
- बैंक से लिखित में अनुरोध करें
- अपनी आर्थिक स्थिति का प्रमाण दें
- एक नया भुगतान प्लान बनवाएं
निष्कर्ष: डरें नहीं, जानें अपने अधिकार
कर्ज़ लेना कोई अपराध नहीं है, लेकिन उसे चुकाना आपकी ज़िम्मेदारी है। अगर किसी कारणवश आप भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, तो आपको धमकी या बदतमीज़ी सहने की ज़रूरत नहीं है। भारत का कानून आपको सुरक्षा देता है—बस आपको अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए।
याद रखें:
- हमेशा दस्तावेज़ रखें
- बातचीत रिकॉर्ड करें
- कानूनी सलाह लेने से न डरें
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